इसराइली सेना ने ग़ज़ा के उस भीड़भाड़ वाले केंद्रीय इलाके से लोगों को हटने को कहा है, जहां 21 महीने की जंग के दौरान अब तक उसने ज़मीनी हमला नहीं किया था.
रविवार को इसराइल डिफ़ेंस फोर्स (आईडीएफ़) ने कहा है कि देर अल-बलाह में मौजूद स्थानीय निवासी और विस्थापित फ़लस्तीनी तुरंत वहां से निकलें और अल-मवासी की ओर जाएं, जो मेडिटेरेनियन तट पर स्थित है.
यह आदेश किसी संभावित हमले का संकेत माना जा रहा है और इससे हज़ारों फ़लस्तीनी नागरिकों के बीच अफ़रा-तफ़री मच गई है.
साथ ही, उन इसराइली बंधकों के परिजन भी परेशान हैं, जिन्हें आशंका है कि उनके रिश्तेदार इसी शहर में हो सकते हैं.
आईडीएफ़ अब तक इस क्षेत्र में हवाई हमले कर चुका है, लेकिन ज़मीनी सैनिकों की तैनाती नहीं की गई है.
इसराइली सेना ने पर्चे गिराकर लोगों को किया आगाह
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रविवार को इसराइली सेना ने आसमान से पर्चे गिराए, जिनमें दक्षिण-पश्चिम देर अल-बलाह के कई इलाक़ों में रहने वाले लोगों को अपने घर छोड़कर और दक्षिण की ओर जाने का आदेश दिया गया.
सेना ने कहा, "इसराइल डिफ़ेंस फ़ोर्स दुश्मन की ताक़त और आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने के लिए क्षेत्र में पूरी ताक़त से अभियान चला रही है."
साथ ही यह भी कहा कि युद्ध के दौरान अब तक इन इलाक़ों में उनकी एंट्री नहीं हुई है.
देर अल-बलाह के जिन इलाक़ों को खाली करने के लिए कहा गया है, वहां बड़ी संख्या में विस्थापित लोग टेंट में रह रहे हैं.
इसराइली सूत्रों ने रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी को बताया कि अब तक सेना इन इलाक़ों में इसलिए नहीं घुसी, क्योंकि उन्हें संदेह है कि हमास वहां बंधकों को रखे हुए है.
ग़ज़ा में बंधक बनाए गए बचे हुए 50 लोगों में से कम से कम 20 के ज़िंदा होने की संभावना जताई जा रही है.

हमास के ख़िलाफ़ इसराइल की जंग के दौरान ग़ज़ा पट्टी की 20 लाख से ज़्यादा आबादी में से ज़्यादातर लोग कम से कम एक बार अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं.
इसराइली सेना की बार-बार की गई हटने की अपीलों में ग़ज़ा के बड़े हिस्से शामिल रहे हैं.
इसराइल की ओर से लोगों को इलाक़ा छोड़ने के नए आदेश उस वक्त सामने आए जब ग़ज़ा सिटी के शिफ़ा अस्पताल ने बताया कि रविवार सुबह राहत सामग्री के ट्रकों का इंतज़ार कर रही भीड़ पर की गई गोलीबारी में 40 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए.
दक्षिणी ग़ज़ा के अस्पतालों ने भी बताया कि वहां भी राहत वितरण केंद्रों पर कई लोगों की जान गई है.
बीबीसी ने इसराइली सेना से इस घटनाक्रम पर जवाब मांगा है.
रविवार को पोप लियो चौदहवें ने युद्ध पर टिप्पणी करते हुए कहा, "इस बर्बरता का तुरंत अंत होना चाहिए" और ""बेरोकटोक बल प्रयोग" से बचना चाहिए.
यह बयान उस जानलेवा हमले के कुछ दिन बाद आया जिसमें ग़ज़ा की इकलौती कैथोलिक चर्च को निशाना बनाया गया था.
इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा कि उनके देश को इस घटना पर गहरा खेद है.

इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ग़ज़ा में आम लोग भूख से जूझ रहे हैं और ज़रूरी सामानों की तत्काल आपूर्ति की मांग की है.
हालांकि, मई के अंत में अमेरिका और इसराइल समर्थित ग़ज़ा ह्यूमैनेटेरियन फ़ाउंडेशन (जीएचएफ़) की ओर से राहत वितरण शुरू होने के बाद से लगभग हर दिन यह रिपोर्ट सामने आई है कि राहत पाने की कोशिश में फ़लस्तीनी मारे गए हैं.
गवाहों का कहना है कि इनमें से ज़्यादातर लोगों को इसराइली सेना ने गोली मारी.
वहीं इसराइल का कहना है कि नई वितरण व्यवस्था राहत सामग्री को हमास तक पहुंचने से रोकती है.
इसराइल ने ग़ज़ा में यह युद्ध 7 अक्तूबर 2023 को हुए हमास के हमलों के जवाब में शुरू किया था, जिनमें करीब 1,200 लोगों की मौत हुई थी और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया था.
हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, इसके बाद इसराइल के हमलों में ग़ज़ा में 58,895 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
इस मंत्रालय के आंकड़ों को संयुक्त राष्ट्र और दूसरी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अब भी मौत और ज़ख्मी होने से जुड़े मामलों पर उपलब्ध सबसे विश्वसनीय स्रोत मानती हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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