एक संत अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने पति-पत्नी को लड़ते हुए देखा। वे दोनों जोर-जोर से चिल्ला रहे थे। यह देखकर संत ने अपने शिष्यों से पूछा कि क्रोध में लोग एक-दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं?
कुछ देर तक कभी शिष्य सोचते रहे। फिर एक शिष्य ने जवाब दिया कि क्रोध में हम अपने शांति को खो देते हैं। इस वजह से चिल्लाने लगते हैं। गुरु ने उससे पूछा कि जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने खड़ा है तो हमें चिल्लाने की क्या आवश्यकता है? हम धीमी आवाज में भी उससे बात कर सकते हैं।
कुछ और शिष्यों ने भी इस प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश की। लेकिन वे संतुष्ट नहीं हुए। इसके बाद संत ने अपने शिष्यों को समझाया कि जब दो लोग एक-दूसरे से गुस्सा हो जाते हैं तो उनके दिल भी दूर हो जाते हैं तो इस अवस्था में वे एक-दूसरे को बिना जोर से बोले नहीं सुन सकते।
संत ने कहा कि जो जितनी ज्यादा गुस्से में होगा, उसके बीच उतनी ही ज्यादा दूरी आ जाएगी और उन्हें उतना ही जोर से चिल्लाना पड़ेगा। संत ने अपने शिष्यों को बताया कि जब दो लोग या पति-पत्नी एक-दूसरे से प्यार करते हैं तो उन्हें चिल्लाना नहीं पड़ता। उनके दिल करीब होते हैं। इस वजह से वे धीरे-धीरे बात करते हैं।
वहीं जब पति-पत्नी एक-दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं तो उन्हें कुछ बोलने की भी जरूरत नहीं होती। वे एक-दूसरे की तरफ देखकर ही सारी बातें समझ जाते हैं।
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