New Delhi, 22 अक्टूबर . इस्पात मंत्रालय की ओर से Wednesday को जारी एक बयान के अनुसार, मंत्रालय राष्ट्रीय राजधानी स्थित उद्योग भवन के इस्पात कक्ष में 27 अक्टूबर को स्टील आयात से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए एक ओपन हाउस आयोजित करने जा रहा है.
मंत्रालय ने बयान में कहा कि कंपनियां और संगठन इस ओपन हाउस में स्टील आयात से जुडे़ अपने मुद्दे चर्चा के लिए पेश कर सकते हैं.
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, ओपन हाउस दोपहर 12 बजे से शाम 6 बजे तक आयोजित किया जाएगा. इसके अलावा, स्पेसिफिक टाइम स्लॉट को लेकर ईमेल के जरिए जानकारी दी जाएगी.
बयान में कहा गया है कि लॉजिस्टिक चुनौतियों के कारण वॉक-इन संभव नहीं होगा और व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक संगठन के केवल एक प्रतिनिधि को ही अनुमति दी जाएगी.
मंत्रालय ने सलाह देते हुए कहा है कि स्टील के आयात से संबंधित समस्या वाली किसी भी कंपनी या एसोसिएशन को 24 अक्टूबर को सुबह 11:00 बजे तक कंफर्म टाइम-स्लॉट प्राप्त करने के लिए टेक-स्टीलएटदरेटनिकटडॉटइन ई-मेल पर अपना अनुरोध भेज सकते हैं.
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि ई-मेल भेजते समय कंपनी/एसोसिएशन का नाम, एसआईएमएस/एनसीओ/क्यूसीओ या अन्य से संबंधित समस्या, प्रतिभागी का नाम और डेजिगनेशन (थर्ड पार्टी प्रतिनिधित्व स्वीकार्य नहीं होगा), एसआईएमएस/एनओसी एप्लीकेशन का संदर्भ, अगर कोई हो, उद्योग एवं उत्पाद का प्रकार – ऑटो/एयरोस्पेस/दूरसंचार/रक्षा, आदि, अधिकतम 50 शब्दों संक्षेप में मुद्दा,नोडल पर्सन की कॉन्टैक्ट डिटेल्स (मोबाइल नंबर और ई-मेल) जैसी जानकारियों को शामिल किया जाना जरूरी होगा.
इस बीच, India की स्टील इंडस्ट्री सस्ते आयातों, खासकर चीन की ओर से चुनौतियों का सामना कर रही है. चीन कीमतें कम कर और बाजार हिस्सेदारी को प्रभावित कर घरेलू उत्पादकों पर दबाव डाल रहा है. Government ने घरेलू बाजार की सुरक्षा के लिए अप्रैल 2025 में कुछ स्टील आयातों पर 12 प्रतिशत का अस्थायी सुरक्षा शुल्क लगाया था.
ये उपाय पहले की गई कार्रवाइयों के बाद किए गए हैं और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों के तहत आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हुए उद्योग की सुरक्षा के लिए चल रहे प्रयासों का हिस्सा हैं.
आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे प्रमुख उत्पादकों से सस्ती कीमत पर स्टील के आयात ने घरेलू निर्माताओं को कीमतें कम करने, क्षमता उपयोग कम करने और अपनी बाजार हिस्सेदारी को कम करने के लिए मजबूर कर दिया है.
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एसकेटी/
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