देहरादून, 3 नवंबर . देहरादून के लेखक गांव में Monday को आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्पर्श हिमालय महोत्सव में Union Minister किरेन रिजिजू, मॉरीशस के पूर्व President पृथ्वीराज सिंह रूपन, जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी और पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण सहित कई विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया. महोत्सव में आध्यात्मिकता, संस्कृति, साहित्य और भारतीय जीवन मूल्यों पर गहन विमर्श हुआ.
इस दौरान Union Minister किरेन रिजिजू ने से बातचीत में कहा कि लेखक गांव पहुंचना उनके लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है. यह स्थान लेखकों और चिंतकों के लिए प्रेरणादायक वातावरण प्रदान करता है, जहां बैठकर रचनात्मक कार्य करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं.
रिजिजू ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य उत्तराखंड और देश के युवाओं के उज्जवल भविष्य की दिशा में चिंतन करना है. उन्होंने यह भी कहा कि यह लेखक गांव पूर्व Prime Minister अटल बिहारी वाजपेयी से प्रेरित होकर स्थापित किया गया है, जिनका साहित्य और संस्कृति के प्रति समर्पण अद्वितीय था.
वहीं, मॉरीशस के पूर्व President पृथ्वीराज सिंह रूपन ने से कहा कि उन्हें India के लेखक गांव का वातावरण बेहद पसंद आया है. उन्होंने इस महोत्सव को सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण का उत्कृष्ट माध्यम बताया. रूपन ने कहा कि ऐसे आयोजनों से हमारी संस्कृति और परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद मिलती है. उन्होंने उत्तराखंड के राज्य गठन की 25वीं वर्षगांठ पर उत्तराखंडवासियों को हार्दिक बधाई दी.
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि लेखक गांव में आयोजित स्पर्श हिमालय महोत्सव वास्तव में अद्भुत और प्रेरणादायक है. सनातन परंपराओं पर विमर्श करने और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए यह एक आदर्श मंच है. हिंदुत्व को सही मायने में समझने की आवश्यकता है, क्योंकि हिंदुत्व कोई संकीर्ण विचारधारा नहीं, बल्कि वह जीवन पद्धति है जिसमें सभी मानवीय संवेदनाएं और भावनाएं समाहित हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड को ‘आयुष प्रदेश’ के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, जिससे राज्य ही नहीं, पूरे देश का कल्याण होगा.
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने कहा कि लेखक गांव India की सनातन संस्कृति का जीवंत प्रतीक है, जो सबको साथ लेकर चलने का संदेश देता है. यहां आकर वे अभिभूत हैं, क्योंकि यह स्थल India की उस जड़ों से जुड़ी संस्कृति को दर्शाता है, जो समय के साथ मजबूत होती जा रही है.
उन्होंने हिंदू राष्ट्र के सवाल पर कहा कि जैसे अमेरिका में अमेरिकी रहते हैं, जापान में जापानी और ब्रिटेन में ब्रिटिश, उसी तरह India में हिंदू रहते हैं, इसलिए India हिंदू राष्ट्र है. यह विचार भारतीय संस्कृति की आत्मा का प्रतीक है.
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एएसएच/एबीएम
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