नई दिल्ली: अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर पाबंदी लगा दी है। भारत आने वाले रूसी तेल में इन दो कंपनियों की 60% हिस्सेदारी थी। अमेरिकी पाबंदियों के बाद अब भारतीय कंपनियां रूस से कच्चे तेल की खरीद कम कर रही हैं। साथ ही चीन की सरकारी कंपनियों ने भी फिलहाल रूस के साथ तेल सौदों पर रोक लगा दी है। अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगा रखा है लेकिन रूस से से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाले चीन पर इस तरह का कोई टैरिफ नहीं लगाया गया है।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक जून में रूसी तेल का सबसे बड़ी खरीदार चीन रहा। रूस के कुल क्रूड एक्सपोर्ट का करीब 47 फीसदी हिस्सा चीन की झोली में आया। चीन के बाद भारत का नंबर है। रूस के कुल क्रूड एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 38 फीसदी है। रूस भारत का सबसे बड़ा क्रूड सप्लायर है। हालांकि अप्रैल से सितंबर के दौरान इसमें कुछ गिरावट आई है। रूस से तेल मंगाने वाले देशों में चीन और भारत के अलावा तुर्की और यूरोपियन यूनियन शामिल हैं।
रूसी तेल का खेल
यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल और गैस की खरीद काफी कम कर दी थी। इसके बाद रूस ने भारत और चीन को डिस्काउंट पर तेल बेचना शुरू किया था। इसके बाद रूस भारत का सबसे बड़ा क्रूड सप्लायर बन गया। हालांकि अब रूसी डिस्काउंट में कमी आई है। इस बीच अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर पाबंदी लगा दी है। इसके बाद भारतीय कंपनियों ने मिडिल ईस्ट और दूसरे देशों से तेल की खरीद बढ़ा दी है।
भारत और रूस के बीच तेल कारोबार करीब 69 अरब डॉलर का है। भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी करीब 34% है। हालांकि जानकारों का कहना है कि अमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर पाबंदी लगाई है, न कि रूसी तेल पर। यानी भारतीय कंपनियां रूस की उन कंपनियों से तेल खरीद सकती हैं जिन पर पाबंदी नहीं लगाई गई है।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक जून में रूसी तेल का सबसे बड़ी खरीदार चीन रहा। रूस के कुल क्रूड एक्सपोर्ट का करीब 47 फीसदी हिस्सा चीन की झोली में आया। चीन के बाद भारत का नंबर है। रूस के कुल क्रूड एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 38 फीसदी है। रूस भारत का सबसे बड़ा क्रूड सप्लायर है। हालांकि अप्रैल से सितंबर के दौरान इसमें कुछ गिरावट आई है। रूस से तेल मंगाने वाले देशों में चीन और भारत के अलावा तुर्की और यूरोपियन यूनियन शामिल हैं।
रूसी तेल का खेल
यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल और गैस की खरीद काफी कम कर दी थी। इसके बाद रूस ने भारत और चीन को डिस्काउंट पर तेल बेचना शुरू किया था। इसके बाद रूस भारत का सबसे बड़ा क्रूड सप्लायर बन गया। हालांकि अब रूसी डिस्काउंट में कमी आई है। इस बीच अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर पाबंदी लगा दी है। इसके बाद भारतीय कंपनियों ने मिडिल ईस्ट और दूसरे देशों से तेल की खरीद बढ़ा दी है।
भारत और रूस के बीच तेल कारोबार करीब 69 अरब डॉलर का है। भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी करीब 34% है। हालांकि जानकारों का कहना है कि अमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर पाबंदी लगाई है, न कि रूसी तेल पर। यानी भारतीय कंपनियां रूस की उन कंपनियों से तेल खरीद सकती हैं जिन पर पाबंदी नहीं लगाई गई है।
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