नई दिल्लीः ईस्ट दिल्ली स्थित जीटीबी अस्पताल के इमरजेंसी में अब स्ट्रोक का भी इलाज हो सकेगा। इसके लिए बेड रिजर्व किए गए हैं। दावा है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध कराने में जीटीबी पहला अस्पताल है। अस्पताल के डॉ कुलदीप कुमार ने बताया कि इमरजेंसी में रोजाना आने वाले मरीजों में पांच से दस प्रतिशत स्ट्रोक के पेसेंट होते हैं। सर्दियों में इनकी संख्या बढ़ जाती है।
थीम एत्री मिनट काउंट रखा गयालोगों में स्ट्रोक की समस्या के प्रति जागरुकता बढ़े और और लोग इस बीमारी के लक्षणों को समझकर इसके सही इलाज के लिए सही अस्पताल में समय से पहुंच सके। इसलिए इस साल की थीम एत्री मिनट काउंट रखा गया है। इसका मतलब इस बीमारी में प्रत्येक मिनट कीमती है। मरीज को समय से उपचार नहीं मिलने से यह बीमारी जटिल रूप ले सकती है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक रोकने के लिए खान-पान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
क्या है स्ट्रोकएक्सपर्ट के अनुसार, स्ट्रोक दो तरह के होते हैं। पहला हेमोरेजिक स्ट्रोक होता है जिसमें वेसल वॉल की परत फट जाती है, मस्तिष्क में ब्लीडिंग होती है। दूसरा इस्केमिक स्ट्रोक होता है।
स्ट्रोक के लक्षणमुंह टेढ़ा होना, बोलने में परेशानी, चेहरा लटकना, संतुलन बनाने में परेशानी आदि है। जैसे ही यह लक्षण दिखाई दे तो ऐसे अस्पताल में पहुंचना चाहिए जहां न्यूरो विभाग हो।
थीम एत्री मिनट काउंट रखा गयालोगों में स्ट्रोक की समस्या के प्रति जागरुकता बढ़े और और लोग इस बीमारी के लक्षणों को समझकर इसके सही इलाज के लिए सही अस्पताल में समय से पहुंच सके। इसलिए इस साल की थीम एत्री मिनट काउंट रखा गया है। इसका मतलब इस बीमारी में प्रत्येक मिनट कीमती है। मरीज को समय से उपचार नहीं मिलने से यह बीमारी जटिल रूप ले सकती है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक रोकने के लिए खान-पान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
क्या है स्ट्रोकएक्सपर्ट के अनुसार, स्ट्रोक दो तरह के होते हैं। पहला हेमोरेजिक स्ट्रोक होता है जिसमें वेसल वॉल की परत फट जाती है, मस्तिष्क में ब्लीडिंग होती है। दूसरा इस्केमिक स्ट्रोक होता है।
स्ट्रोक के लक्षणमुंह टेढ़ा होना, बोलने में परेशानी, चेहरा लटकना, संतुलन बनाने में परेशानी आदि है। जैसे ही यह लक्षण दिखाई दे तो ऐसे अस्पताल में पहुंचना चाहिए जहां न्यूरो विभाग हो।
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