पटनाः बिहार विधानसभा के चुनाव जंग में कुछ पुरानी और कुछ नई पार्टियां अपना अपना भाग्य आजमा रही हैं। कुछ ऐसी पार्टियां है जिनका वजूद अभी राज्य में निर्धारित होने हैं पर सभी पार्टियां नाम बड़े पर दर्शन छोटे के अंदाज में अपनी अपनी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हुए है। आइए जानते हैं ऐसे राष्ट्रीय अध्यक्षों के बारे में जिन्हें बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक नई पहचान मिलनी है।
इंडियन इंक्लूसिव पार्टी-(आईआईपी )
हाल ही में बनी इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आईआईपी ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आई पी गुप्ता को अभी अपनी पहचान बनानी है। पार्टी का आधार भी अभी बिहार विधानसभा चुनाव में बनना है। ये भी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं,पर खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर डाला है। इस चुनाव में वे सहरसा विधानसभा से लड़ने जा रहे हैं।
जनशक्ति जनता दल
जनशक्ति जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेज प्रताप यादव हैं। इनके पास पहचान का संकट नहीं है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र ,नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के भाई,बिहार सरकार में मंत्री पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। इस बार तेज प्रताप यादव महुआ विधानसभा से चुनाव भी लड़ रहे हैं। इनकी पार्टी का भी आधार अभी बिहार में बनना शेष है,पर तेज प्रताप अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
विकासशील इंसान पार्टी-वीआईपी
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी हैं। इनकी पहचान अभी बिहार की चारदीवारी पार नहीं की है पर वे हैं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष। बिहार में भी उनकी पार्टी 15सीटों पर लड़ रही है ,पर वे किसी भी विधानसभा से चुनाव लड़ नहीं रहे हैं। यह दीगर कि गठबंधन की राजनीति में उनकी घोषणा उप मुख्यमंत्री के रूप में हो चुकी है।
जनसुराज
बिहार में जनसुराज तेजी से प्रभाव बनाने वाली पार्टी बन चुकी है। जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह भी कई बार सांसद रह चुके हैं। पर इनकी पार्टी को भी अभी अपना आधार बनाना है। जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह और संस्थापक प्रशांत किशोर भी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में किसी सीट पर चुनाव लड़ नहीं रहे हैं।
राष्ट्रीय लोक मोर्चा
राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो)का भी चुनावी क्षेत्र बिहार ही रहा है। रालोमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी इस चुनाव जंग में शामिल है। यह दीगर कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा चुनाव में नहीं लड़ रहे हैं। हां, इनकी पत्नी स्नेहलता सासाराम विधानसभा से चुनाव जरूर लड़ रही हैं।
क्या है राष्ट्रीय पार्टी का आधार?
राष्ट्रीय पार्टी के लिए कुछ मापदंड जरूरी है। किसी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए चार या उससे ज़्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है। साथ ही इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं।
एक मापदंड यह भी है कि उस पार्टी के कम से कम चार उम्मीदवार किसी राज्य या राज्यों से सांसद चुने जाएं। या फिर उस पार्टी के कम से कम चार राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी होने का दर्जा हासिल हो। इसके अलावा कोई पार्टी अगर लोकसभा की कुल सीटों में से कम से कम दो प्रतिशत सीटें जीत जाए। वह जीते हुए उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से होने चाहिए। बिहार में ऐसी कई पार्टियां हैं जो राष्ट्रीय पार्टी नहीं हैं पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जरूर हैं।
इंडियन इंक्लूसिव पार्टी-(आईआईपी )
हाल ही में बनी इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आईआईपी ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आई पी गुप्ता को अभी अपनी पहचान बनानी है। पार्टी का आधार भी अभी बिहार विधानसभा चुनाव में बनना है। ये भी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं,पर खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर डाला है। इस चुनाव में वे सहरसा विधानसभा से लड़ने जा रहे हैं।
जनशक्ति जनता दल
जनशक्ति जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेज प्रताप यादव हैं। इनके पास पहचान का संकट नहीं है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र ,नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के भाई,बिहार सरकार में मंत्री पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। इस बार तेज प्रताप यादव महुआ विधानसभा से चुनाव भी लड़ रहे हैं। इनकी पार्टी का भी आधार अभी बिहार में बनना शेष है,पर तेज प्रताप अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
विकासशील इंसान पार्टी-वीआईपी
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी हैं। इनकी पहचान अभी बिहार की चारदीवारी पार नहीं की है पर वे हैं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष। बिहार में भी उनकी पार्टी 15सीटों पर लड़ रही है ,पर वे किसी भी विधानसभा से चुनाव लड़ नहीं रहे हैं। यह दीगर कि गठबंधन की राजनीति में उनकी घोषणा उप मुख्यमंत्री के रूप में हो चुकी है।
जनसुराज
बिहार में जनसुराज तेजी से प्रभाव बनाने वाली पार्टी बन चुकी है। जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह भी कई बार सांसद रह चुके हैं। पर इनकी पार्टी को भी अभी अपना आधार बनाना है। जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह और संस्थापक प्रशांत किशोर भी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में किसी सीट पर चुनाव लड़ नहीं रहे हैं।
राष्ट्रीय लोक मोर्चा
राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो)का भी चुनावी क्षेत्र बिहार ही रहा है। रालोमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी इस चुनाव जंग में शामिल है। यह दीगर कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा चुनाव में नहीं लड़ रहे हैं। हां, इनकी पत्नी स्नेहलता सासाराम विधानसभा से चुनाव जरूर लड़ रही हैं।
क्या है राष्ट्रीय पार्टी का आधार?
राष्ट्रीय पार्टी के लिए कुछ मापदंड जरूरी है। किसी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए चार या उससे ज़्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है। साथ ही इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं।
एक मापदंड यह भी है कि उस पार्टी के कम से कम चार उम्मीदवार किसी राज्य या राज्यों से सांसद चुने जाएं। या फिर उस पार्टी के कम से कम चार राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी होने का दर्जा हासिल हो। इसके अलावा कोई पार्टी अगर लोकसभा की कुल सीटों में से कम से कम दो प्रतिशत सीटें जीत जाए। वह जीते हुए उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से होने चाहिए। बिहार में ऐसी कई पार्टियां हैं जो राष्ट्रीय पार्टी नहीं हैं पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जरूर हैं।
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