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गजब! नीलगाय के 2 नहीं 3 सींग, महाराष्ट्र के जंगल में हुआ चमत्कार..दुनिया में पहली बार दिखा अदभुत नजारा

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नीलगाय तो आपने जरूर देखी ही होगी। ऐसा जानवर जो न तो नीला है और न ही उसमें गायों वाली कोई खूबी है। फिर भी उसे नाम मिला नीलगाय। अक्सर आबादी वाले क्षेत्र में हमें ये दिख ही जाती है। लेकिन क्या कभी आपको 3 सींगों वाली नीलगाय के दीदार हुए हैं? नहीं..महाराष्ट्र के यवतमाल में टिपेश्वर वाइल्डलाइफ सेंचुरी में यह अद्भुत नजारा देखने को मिला है।



वन विभाग के अधिकारियों ने पिछले ही हफ्ते इस ऐतिहासिक नजारे को अपने कैमरे में कैद किया है। तीन सींगों वाली नीलगाय को देखकर हर कोई हैरान है, यहां तक की बड़े से बड़े वन्यजीव विशेषज्ञों को भी इस यकीन नहीं हो रहा है। तीन सींगों वाला एक नर नीलगाय है। आमतौर पर इनके दो ही सींग होते हैं, लेकिन इस नीलगाय के दोनों सींगों के बीचों बीच तीसरा सींग भी उग आया है।



वन अधिकारियों की खुशी का ठिकाना नहींडिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) उत्तम फड, असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट उदय आव्हाड और फॉरेस्ट गार्ड रवि धुर्वे जंगल में पेट्रोलिंग पर थे, जब उन्हें यह तीन सींगों वाला जानवर दिखा। उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। TOI से बातचीत में उन्होंने दावा किया है कि इससे पहले 3 सींगों वाले नीलगाय के मिलने के कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। यह बहुत ही दुर्लभ है और अब तक दुनिया में कहीं भी नहीं पाया गया है।



भेड़-बकरियों में पाए जाते हैं 3 सींगअधिकारियों के मुताबिक अक्सर दो से ज्यादा सींग के मामले मवेशियों या भेड़-बकरियों में पाए जाते हैं। लेकिन हिरण की प्रजाति में आने वाले नीलगाय में ऐसा कभी नहीं सुना गया। नीलगाय भारत के सबसे बड़े मृगों में से एक हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे दुर्लभ जेनेटिक बदलाव हो सकते हैं। हालांकि जिस टीम ने इस नीलगाय को देखा है, उनके लिए यह चमत्कारिक अनुभव किसी भी विज्ञान से परे है। डीएफओ फड क कहना है कि टिपेश्वर में हमने कई बार बाघ और दुर्लभ पक्षी देखे हैं, लेकिन यह अनुभव सबसे अलग है।



नीलगाय पर रखी जाएगी नजरअधिकारियों का कहना है कि जेनेटिक म्यूटेशन की वजह से ऐसा हो सकता है। इस वजह से सींग के टिश्यू असमान्य गति से बढ़ सकते हैं। इस नीलगाय पर अधिकारी बारीकी से नजर रखेंगे। इस नीलगाय का सरंक्षण करने के साथ उस पर शोध भी किया जाएगा। डीएफओ फड ने कहा कि यह दुर्लभ घटना वाइल्डलाइफ रिसर्च और वैज्ञानिक अध्ययन के लिए काफी कीमती साबित हो सकता है।

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