नई दिल्ली : लाल किला ब्लास्ट मामले में सबसे पहला रिएक्शन इजरायल और अफगानिस्तान का आया। इजरायली विदेश मंत्री गिदोन सार ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इजरायल के समर्थन की बात की तो वहीं, अफगानिस्तान की ओर से तालिबान ने भी इस विस्फोट पर दुख जताया। इजरायल और भारत अक्सर ऐसे मामलों में एक-दूसरे का साथ देते हुए नजर आते हैं। ऐसे गंभीर मामले में भारत ने भी इजरायल और अफगानिस्तान का साथ दिया है। ये दोनों ही देश मध्य पूर्व और भारतीय उपमहाद्वीप के लिहाज से बेहद अहम हैं। ऐसे में भारत-इजरायल और अफगानिस्तान के बीच एक अलग तरह का त्रिकोण बन रहा है, जो भू सामरिक नजरिये से महत्वपूर्ण है।
इजरायल का आतंकवाद पर स्पष्ट संदेश
गिदोन सार ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा-मैं भारत के लोगों और विशेष रूप से दिल्ली में हुए विस्फोट में मारे गए निर्दोष पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी और इजरायल की गहरी संवेदना जताता हूं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। इजरायल आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है।
ऐसे बदलते गए इजरायल के साथ संबंध
दशकों की गुटनिरपेक्ष और अरब-समर्थक नीति के बाद भारत ने औपचारिक रूप से इजरायल के साथ संबंध स्थापित किए। भारत ने जनवरी 1992 में तेल अवीव में एक दूतावास खोला। दोनों देशों के बीच संबंध तब से फल-फूल रहे हैं। दोनों देशों के बीच तभी से साझा रणनीतिक हितों और सुरक्षा खतरों के कारण रिश्ते मजबूत होते चले गए। आज इजरायल और भारत के बीच कई महत्वपूर्ण रक्षा सौदे हुए हैं। स्प्रिंकलर सिंचाई, रेतीली जमीन में खेती करने की तकनीक के साथ-साथ इजरायली रडार और इजरायली युद्ध रणनीति के तौर-तरीकों की ट्रेनिंग भारतीय सुरक्षा बलों को दी जाती है। खास तौर पर कमांडो कार्रवाई और आतंक से निपटने के मामले में।
1971 की जंग में इजरायल ने दिए थे हथियार
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इजरायल ने भारत को हथियार, गोला-बारूद और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमेशा ही समर्थन दिया है। 1971 की जंग में भी जब अमेरिका तक पाकिस्तान के साथ आ गया था, उस वक्त भी इजरायल ने भारत का साथ दिया था।
कारगिल युद्ध में भी दिया था जीपीएस डेटा
इजरायल ने भारत को 1999 के कारगिल युद्ध में सैन्य सहायता दी, जिसमें हथियार, गोला-बारूद, और उच्च तकनीक वाले उपकरण जैसे लेजर-निर्देशित बम और ड्रोन शामिल थे। वहीं, जब अमेरिका ने जीपीएस डेटा देने से इनकार किया, तब इजरायल ने भारत को सैटेलाइट इमेजरी और खुफिया जानकारी दी।
ऑपरेशन सिंदूर में भी इजरायली रडार आए थे काम
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी इजरायली रडार और ड्रोन भारत के बहुत काम आए थे। इजरायल ने भारत के जवाबी हमलों का समर्थन करते हुए कहा कि आतंकवादियों को कहीं भी पनाह नहीं मिलनी चाहिए। इजरायल के मिसाइल सिस्टम (जैसे राफेल मिसाइल), ड्रोन, और साइबर सुरक्षा तकनीक भारत के बहुत काम आए थे। इजरायल नियमित रूप से भारत को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गतिविधियों के बारे में खुफिया जानकारी साझा करता है।
हमास के भीषण हमले पर मोदी ने किया था फोन
7 अक्टूबर, 2023 को जब हमास ने इजरायल के आम लोगों पर हमला किया, तो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत इजरायल के प्रति अपना समर्थन जताया था। उन्होंने ट्वीट किया था-इजरायल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा सदमा पहुंचा है। हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं। इस कठिन घड़ी में हम इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं। इजरायल में एक ही दिन में 1,200 से ज्यादा लोग मारे गए थे। खुद हाल ही में इजरायली विदेश मंत्री गिदोन ने भी कहा था कि हम नहीं भूलेंगे कि 7 अक्टूबर के हमास नरसंहार के बाद प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के पहले नेता थे जिन्होंने प्रधानमंत्री नेतन्याहू को फोन किया था।
अफगानिस्तान तालिबान ने क्या कहा
अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात के विदेश मंत्रालय ने भारत के नई दिल्ली स्थित लाल किला क्षेत्र में हुए विस्फोट की निंदा की। उन्होंने लिखा-अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात का विदेश मंत्रालय शोक में डूबे परिवारों के साथ-साथ भारत सरकार और लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना जताता है। साथ ही घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता है।
नब्बे के दशक में भारत इकलौता दक्षिण एशियाई देश
भारत 1980 के दशक में सोवियत समर्थित अफग़ानिस्तान लोकतांत्रिक गणराज्य को मान्यता देने वाला एकमात्र दक्षिण एशियाई देश था। हालांकि, 1990 के दशक के अफग़ान गृहयुद्ध और तालिबान सरकार के दौरान संबंधों में खटास आ गई थी। भारत ने तालिबान को उखाड़ फेंकने में मदद की और अफ़ग़ानिस्तान को मानवीय और पुनर्निर्माण सहायता प्रदान करने वाला सबसे बड़ा क्षेत्रीय देश बन गया।
भारत को अब अफगानिस्तान बताता है सच्चा दोस्त
2001 से अफगानिस्तान के साथ भारत की विकास साझेदारी को महत्व मिला है, क्योंकि भारत आज अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ अफगानिस्तान को विकास सहायता प्रदान करने वाला पांचवां सबसे बड़ा देश है। भारत ने लगभग 650-750 मिलियन डॉलर मूल्य की मानवीय और आर्थिक सहायता प्रदान की है, जिससे यह अफ़ग़ानिस्तान के लिए सबसे बड़ा क्षेत्रीय सहायता प्रदाता बन गया है। भारत का समर्थन और सहयोग हवाई संपर्कों, बिजली संयंत्रों के पुनर्निर्माण, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में निवेश के साथ-साथ अफ़ग़ान सिविल सेवकों, राजनयिकों और पुलिस को प्रशिक्षित करने में भी मदद करता है। 2005 में भारत ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) में अफगानिस्तान की सदस्यता का प्रस्ताव रखा। अमेरिकी फौजों के जाने के बाद से तालिबान शासित अफगानिस्तान के साथ अब भारत के संबंध बेहतर हो रहे हैं। हाल ही में तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भारत आए थे।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका-रूस की ठंडी प्रतिक्रिया
भारत में अमेरिकी दूतावास ने दिल्ली में हुए विस्फोट में लोगों के मारे जाने पर शोक जताया है। अमेरिकी दूतावास ने भारत में रह रहे अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा अलर्ट भी जारी किया है। वहीं, रूस की तरफ से भी दिल्ली ब्लास्ट पर संवेदना जताई गई है। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने एक्स पर लिखा-लाल किला के पास हुए विस्फोट से स्तब्ध हूं। मुझे विश्वास है कि चल रही विस्तृत जांच इस घटना के कारणों का पता लगाएगी। दोनों ही देशों के टॉप लीडरशिप की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी दोनों देशों की प्रतिक्रिया खुलकर सामने नहीं आई थी। अमेरिका ने जहां पाकिस्तान की ओर झुकाव रखा था तो वहीं, रूस की ओर से बेहद सामान्य प्रतिक्रिया आई थी।
इजरायल का आतंकवाद पर स्पष्ट संदेश
गिदोन सार ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा-मैं भारत के लोगों और विशेष रूप से दिल्ली में हुए विस्फोट में मारे गए निर्दोष पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी और इजरायल की गहरी संवेदना जताता हूं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। इजरायल आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है।
ऐसे बदलते गए इजरायल के साथ संबंध
दशकों की गुटनिरपेक्ष और अरब-समर्थक नीति के बाद भारत ने औपचारिक रूप से इजरायल के साथ संबंध स्थापित किए। भारत ने जनवरी 1992 में तेल अवीव में एक दूतावास खोला। दोनों देशों के बीच संबंध तब से फल-फूल रहे हैं। दोनों देशों के बीच तभी से साझा रणनीतिक हितों और सुरक्षा खतरों के कारण रिश्ते मजबूत होते चले गए। आज इजरायल और भारत के बीच कई महत्वपूर्ण रक्षा सौदे हुए हैं। स्प्रिंकलर सिंचाई, रेतीली जमीन में खेती करने की तकनीक के साथ-साथ इजरायली रडार और इजरायली युद्ध रणनीति के तौर-तरीकों की ट्रेनिंग भारतीय सुरक्षा बलों को दी जाती है। खास तौर पर कमांडो कार्रवाई और आतंक से निपटने के मामले में।
1971 की जंग में इजरायल ने दिए थे हथियार
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इजरायल ने भारत को हथियार, गोला-बारूद और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमेशा ही समर्थन दिया है। 1971 की जंग में भी जब अमेरिका तक पाकिस्तान के साथ आ गया था, उस वक्त भी इजरायल ने भारत का साथ दिया था।
कारगिल युद्ध में भी दिया था जीपीएस डेटा
इजरायल ने भारत को 1999 के कारगिल युद्ध में सैन्य सहायता दी, जिसमें हथियार, गोला-बारूद, और उच्च तकनीक वाले उपकरण जैसे लेजर-निर्देशित बम और ड्रोन शामिल थे। वहीं, जब अमेरिका ने जीपीएस डेटा देने से इनकार किया, तब इजरायल ने भारत को सैटेलाइट इमेजरी और खुफिया जानकारी दी।
ऑपरेशन सिंदूर में भी इजरायली रडार आए थे काम
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी इजरायली रडार और ड्रोन भारत के बहुत काम आए थे। इजरायल ने भारत के जवाबी हमलों का समर्थन करते हुए कहा कि आतंकवादियों को कहीं भी पनाह नहीं मिलनी चाहिए। इजरायल के मिसाइल सिस्टम (जैसे राफेल मिसाइल), ड्रोन, और साइबर सुरक्षा तकनीक भारत के बहुत काम आए थे। इजरायल नियमित रूप से भारत को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गतिविधियों के बारे में खुफिया जानकारी साझा करता है।
हमास के भीषण हमले पर मोदी ने किया था फोन
7 अक्टूबर, 2023 को जब हमास ने इजरायल के आम लोगों पर हमला किया, तो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत इजरायल के प्रति अपना समर्थन जताया था। उन्होंने ट्वीट किया था-इजरायल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा सदमा पहुंचा है। हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं। इस कठिन घड़ी में हम इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं। इजरायल में एक ही दिन में 1,200 से ज्यादा लोग मारे गए थे। खुद हाल ही में इजरायली विदेश मंत्री गिदोन ने भी कहा था कि हम नहीं भूलेंगे कि 7 अक्टूबर के हमास नरसंहार के बाद प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के पहले नेता थे जिन्होंने प्रधानमंत्री नेतन्याहू को फोन किया था।
अफगानिस्तान तालिबान ने क्या कहा
अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात के विदेश मंत्रालय ने भारत के नई दिल्ली स्थित लाल किला क्षेत्र में हुए विस्फोट की निंदा की। उन्होंने लिखा-अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात का विदेश मंत्रालय शोक में डूबे परिवारों के साथ-साथ भारत सरकार और लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना जताता है। साथ ही घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता है।
नब्बे के दशक में भारत इकलौता दक्षिण एशियाई देश
भारत 1980 के दशक में सोवियत समर्थित अफग़ानिस्तान लोकतांत्रिक गणराज्य को मान्यता देने वाला एकमात्र दक्षिण एशियाई देश था। हालांकि, 1990 के दशक के अफग़ान गृहयुद्ध और तालिबान सरकार के दौरान संबंधों में खटास आ गई थी। भारत ने तालिबान को उखाड़ फेंकने में मदद की और अफ़ग़ानिस्तान को मानवीय और पुनर्निर्माण सहायता प्रदान करने वाला सबसे बड़ा क्षेत्रीय देश बन गया।
भारत को अब अफगानिस्तान बताता है सच्चा दोस्त
2001 से अफगानिस्तान के साथ भारत की विकास साझेदारी को महत्व मिला है, क्योंकि भारत आज अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ अफगानिस्तान को विकास सहायता प्रदान करने वाला पांचवां सबसे बड़ा देश है। भारत ने लगभग 650-750 मिलियन डॉलर मूल्य की मानवीय और आर्थिक सहायता प्रदान की है, जिससे यह अफ़ग़ानिस्तान के लिए सबसे बड़ा क्षेत्रीय सहायता प्रदाता बन गया है। भारत का समर्थन और सहयोग हवाई संपर्कों, बिजली संयंत्रों के पुनर्निर्माण, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में निवेश के साथ-साथ अफ़ग़ान सिविल सेवकों, राजनयिकों और पुलिस को प्रशिक्षित करने में भी मदद करता है। 2005 में भारत ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) में अफगानिस्तान की सदस्यता का प्रस्ताव रखा। अमेरिकी फौजों के जाने के बाद से तालिबान शासित अफगानिस्तान के साथ अब भारत के संबंध बेहतर हो रहे हैं। हाल ही में तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भारत आए थे।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका-रूस की ठंडी प्रतिक्रिया
भारत में अमेरिकी दूतावास ने दिल्ली में हुए विस्फोट में लोगों के मारे जाने पर शोक जताया है। अमेरिकी दूतावास ने भारत में रह रहे अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा अलर्ट भी जारी किया है। वहीं, रूस की तरफ से भी दिल्ली ब्लास्ट पर संवेदना जताई गई है। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने एक्स पर लिखा-लाल किला के पास हुए विस्फोट से स्तब्ध हूं। मुझे विश्वास है कि चल रही विस्तृत जांच इस घटना के कारणों का पता लगाएगी। दोनों ही देशों के टॉप लीडरशिप की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी दोनों देशों की प्रतिक्रिया खुलकर सामने नहीं आई थी। अमेरिका ने जहां पाकिस्तान की ओर झुकाव रखा था तो वहीं, रूस की ओर से बेहद सामान्य प्रतिक्रिया आई थी।
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