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मायावती की स्पेशल-82 वाली बैठक, 2027 में अखिलेश यादव या बीजेपी किसका खेल बिगाड़ेंगी बहन जी?

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अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। मायावती आगामी चुनाव को देखते हुए हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही हैं। यही वजह है कि अलग-अलग बैठकें कर मायावती पदाधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दे रहे हैं। वहीं, मायावती 29 अक्टूबर को भी स्पेशल 82 पदाधिकारियों के साथ बैठक करने जा रही हैं। इसमें सभी मंडल से 4-5 पदाधिकारी बुलाए गए हैं। उधर, बसपा सुप्रीमो की बैठक पर बैठक से अन्य विरोधी दलों में खलबली मच गई है। साथ ही राजनीतिक गलियारों में भी तमाम तरह की चर्चाएं चल रही है।

यूपी की 4 बार की मुख्यमंत्री रहीं मायावती के एक्टिव होने से क्या सपा मुखिया अखिलेश यादव को नुकसान हो सकता है, इसको लेकर तमाम सवाल उठने लगे हैं। वहीं, राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि मायावती के मजबूत होने से समाजवादी पार्टी से ज्यादा सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

दलित-पिछड़ा पर कही बड़ी बात
मायावती का पूरा फोकस मुस्लिम और ओबीसी पर है। 16 अक्टूबर की बैठक में मायावती ने अपने पदाधिकारियों से कहा था कि D (दलित) को तोड़कर मैंने दिखा दिया है। विश्वनाथ पाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि P (पिछड़ा) के लिए आप लोग बूथ तक पहुंच जाइए, बाकी मुसलमान और ब्राह्मण अपने आप हमारे साथ आ जाएगा।


लगातार मायावती कर रहीं बैठक
दरअसल, कांशीराम परिनिर्वाण दिवस पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में महारैली की थी, जिसमें लाखों की तादाद में लोग उमड़े थे। इस महारैली के सफल आयोजन के बाद से मायावती पूरी तरह एक्टिव हो गई हैं। इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि मायावती अक्टूबर महीने में 4 बैठकें करेंगी, जिसमें से तीन बैठकें हो चुकी हैं। चौथी और आखिरी बैठक 29 अक्टूबर को होगी। यही नहीं, नवंबर महीने की शुरुआत भी मायावती बैठक के साथ करने जा रही हैं। मायावती 1 नवंबर को बैठक करेंगी, जिसमें बामसेफ पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे।

वरिष्ठ पत्रकार ने बता दिया क्या है मायावती का प्लान
वहीं, मायावती की लगातार हो रही बैठकों और उनके एक्टिव होने से किसे सबसे ज्यादा नुकसान होगा, इस पर वरिष्ठ पत्रकार सैयद कासिम ने बताया कि मायावती आखिर किसी दूसरे का खेल क्यों बिगाड़ेंगी, वो अपना खेल बनाने में जुटी हैं। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव का खुद उनकी वजह से ही खेल बिगड़ेगा, लेकिन इतना जरूर है कि अगर मायावती मुसलमानों पर फोकस करती हैं तो जरूर समाजवादी पार्टी का खेल बिगड़ सकता है। मायावती के पिछड़ों पर फोकस करने से अखिलेश यादव के साथ-साथ बीजेपी का भी खेल बिगड़ जाएगा।

बीजेपी को नुकसान
सैयद कासिम ने बताया कि कमजोर बसपा के साथ सिर्फ जाटव रहता है, लेकिन मजबूत बसपा के साथ जाटव के अलावा कोरी, खटीक, वाल्मीकि, पासी, ब्राह्मण, ठाकुर, मुसलमान समेत अन्य जातियों के लोग रहते हैं, इसलिए मजबूत बसपा से सपा के साथ-साथ बीजेपी को ज्यादा नुकसान होता है, क्योंकि बसपा के कमजोर होने पर यही वोट बीजेपी के पक्ष में पड़ता है, जो साल 2014 के बाद से लगातार बीजेपी के पक्ष में वोट करता आ रहा है। वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो बसपा के मजबूत होने पर बीजेपी कमजोर हो जाती है।

नाराज ब्राह्मण बसपा की ओर जा सकता है
आज ब्राह्मण बीजेपी से नाराज है, लेकिन समाजवादी पार्टी को वोट नहीं देना चाहता है। इसी वजह से ब्राह्मण बीजेपी को वोट करता है, लेकिन बसपा के एक्टिव होने से ब्राह्मण को बीजेपी का विकल्प मिल जाता है। सैयद कासिम ने बताया कि इस तरह मायावती सभी राजनीति दलों के समीकरण बिगाड़ सकती हैं। मायावती ने एक महीने में 4 बैठकें कर रही हैं। अब तक तीन बैठकें हो चुकी हैं और चौथी बैठक 29 अक्टूबर को होनी है। इस बैठक में 80 से 82 पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। सभी 18 मंडल से 4 से 5 पदाधिकारी शामिल होंगे। हर मंडल से मुस्लिम भाईचारा का संयोजक शामिल होगा। साथ ही शेड्यूल कास्ट का महासचिव, दो बसपा के पुराने नेता शामिल हैं।

इस बैठक में आकाश आनंद समेत तमाम वरिष्ठ नेता नहीं बुलाए जाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल और सभी मंडल से आए पदाधिकारी शामिल होंगे। इसी तरह 1 नवंबर की बैठक में बामसेफ के लोग भी शामिल होंगे। बामसेफ कांशीराम के जमाने से एक्टिव था, लेकिन पिछले करीब 10 सालों से निष्क्रिय हो गया था। मायावती उसे इस बार फिर से सक्रिय करने में जुट गई हैं।

बामसेफ फिर एक्टिव
बामसेफ पार्टी के हर स्तर पर मजबूती के साथ खड़ा रहता है और काम करता है। वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि इतना सक्रिय मायावती को पहले कभी नहीं देखा है। एक-एक महीने में 4-4 बैठकें कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मायावती बहुत जिद्दी हैं। मायावती जिस अंदाज में रैली में शामिल हुई थीं और सरकार बनाने का उन्होंने दावा किया है, उस दावे को रिजल्ट में तब्दील करने के लिए यह सब बैठकें और तैयारी कर रही हैं। इस बार मायावती को लग गया है कि माहौल ठीक है, इसलिए पूरी ताकत लगा रही है।
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