नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के सराफा बाजार में मंगलवार को सोने की कीमतों में भारी गिरावट आई। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव कम होने की उम्मीदों के चलते सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने की मांग में आई कमी के कारण ऐसा हुआ। सोने के भाव 4,100 रुपये भरभराकर 1,21,800 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गए। वहीं, वैश्विक बाजारों में भी सोने की कीमतें 4,000 डॉलर प्रति औंस के स्तर से नीचे फिसल गईं। चांदी की कीमतों में तो और तगड़ी गिरावट आई। यह धातु 6,250 रुपये लुढ़ककर 1,45,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई।
अखिल भारतीय सराफा संघ के मुताबिक, सोमवार को सोने का भाव 1,25,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। मंगलवार को इसमें 4,100 रुपये की गिरावट आई। इसी तरह, 99.5% शुद्धता वाले सोने के भाव में भी 4,100 रुपये की कमी आई। यह 1,21,200 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी टैक्स सहित) पर आ गया, जबकि पिछले दिन यह 1,25,300 रुपये प्रति 10 ग्राम था।
गिरावट के पीछे सबसे बड़ा फैक्टर क्या है?एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट (कमोडिटी) सौमिल गांधी ने बताया कि मंगलवार को सोने की कीमतों में और गिरावट आई। इसकी मुख्य वजह सुरक्षित निवेश की मांग में कमी आना है। उन्होंने कहा, 'बिकवाली तेज हो गई और सोने की कीमतें तीन हफ्तों के निचले स्तर पर आ गईं।' गांधी ने इस गिरावट का कारण 'तकनीकी बिक्री' बताया।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी सोने पर दबाव देखा गया। हाजिर सोना (यानी तुरंत डिलीवरी वाला सोना) 94.36 डॉलर या 2.37% की गिरावट के साथ 3,887.03 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था। पिछले कारोबारी सत्र में यह 132.02 डॉलर या 3.21% की गिरावट के साथ 4,000 डॉलर के स्तर से नीचे बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान में कमोडिटी और करेंसी के चीफ प्रवीण सिंह ने कहा कि अमेरिका-चीन व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के कारण सुरक्षित निवेश की मांग कम हो गई है। इससे हाजिर सोना दबाव में है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग व्यापार समझौते की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए तैयार हैं। संभावित रूप से आगे की बैठकें भी करेंगे। ट्रंप ने जापान के साथ भी व्यापार समझौते पर भरोसा जताया है। इसका असर सराफा कीमतों पर पड़ा है।
प्रवीण सिंह ने आगे कहा, 'निवेशक बुधवार को अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) के नीतिगत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में 0.25% की कटौती करेगा।' चांदी की कीमतों में भी मंगलवार को भारी गिरावट आई। हाजिर चांदी 2.85% टूटकर दिन के निचले स्तर 45.56 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई।
आगे क्या दिख रहा है सीन?
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सौमिल गांधी का मानना है कि सोने में गिरावट का यह सिलसिला जारी रह सकता है। उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि सोने में करेक्शन जारी रहेगा। 5% से 10% की गिरावट की संभावना है। कारण है कि इस साल कीमत में 50% से ज्यादा बढ़ोतरी के बाद बड़े कारोबारी मुनाफावसूली करेंगे।'
सराफा बाजार के जानकारों का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक संबंध सुधरने की उम्मीदें बढ़ने से निवेशकों का रुझान सुरक्षित माने जाने वाले सोने से हटकर शेयर बाजार जैसे जोखिम भरे निवेशों की ओर बढ़ रहा है। यही वजह है कि सोने की मांग में कमी आई है। इससे कीमतें गिर रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, 'तकनीकी बिक्री' का मतलब है कि जब किसी संपत्ति की कीमत एक निश्चित स्तर से नीचे गिर जाती है तो कई निवेशक घबराकर उसे बेचना शुरू कर देते हैं। इससे कीमत और भी गिर जाती है। यह एक तरह की बाजार की प्रतिक्रिया है।
इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद भी सोने की कीमतों पर असर डाल रही है। जब ब्याज दरें कम होती हैं तो लोग बैंकों में पैसा रखने के बजाय अन्य जगहों पर निवेश करना पसंद करते हैं। इससे सोने जैसी कीमती धातुओं की मांग पर असर पड़ सकता है।
अखिल भारतीय सराफा संघ के मुताबिक, सोमवार को सोने का भाव 1,25,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। मंगलवार को इसमें 4,100 रुपये की गिरावट आई। इसी तरह, 99.5% शुद्धता वाले सोने के भाव में भी 4,100 रुपये की कमी आई। यह 1,21,200 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी टैक्स सहित) पर आ गया, जबकि पिछले दिन यह 1,25,300 रुपये प्रति 10 ग्राम था।
गिरावट के पीछे सबसे बड़ा फैक्टर क्या है?एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट (कमोडिटी) सौमिल गांधी ने बताया कि मंगलवार को सोने की कीमतों में और गिरावट आई। इसकी मुख्य वजह सुरक्षित निवेश की मांग में कमी आना है। उन्होंने कहा, 'बिकवाली तेज हो गई और सोने की कीमतें तीन हफ्तों के निचले स्तर पर आ गईं।' गांधी ने इस गिरावट का कारण 'तकनीकी बिक्री' बताया।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी सोने पर दबाव देखा गया। हाजिर सोना (यानी तुरंत डिलीवरी वाला सोना) 94.36 डॉलर या 2.37% की गिरावट के साथ 3,887.03 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था। पिछले कारोबारी सत्र में यह 132.02 डॉलर या 3.21% की गिरावट के साथ 4,000 डॉलर के स्तर से नीचे बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान में कमोडिटी और करेंसी के चीफ प्रवीण सिंह ने कहा कि अमेरिका-चीन व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के कारण सुरक्षित निवेश की मांग कम हो गई है। इससे हाजिर सोना दबाव में है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग व्यापार समझौते की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए तैयार हैं। संभावित रूप से आगे की बैठकें भी करेंगे। ट्रंप ने जापान के साथ भी व्यापार समझौते पर भरोसा जताया है। इसका असर सराफा कीमतों पर पड़ा है।
प्रवीण सिंह ने आगे कहा, 'निवेशक बुधवार को अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) के नीतिगत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में 0.25% की कटौती करेगा।' चांदी की कीमतों में भी मंगलवार को भारी गिरावट आई। हाजिर चांदी 2.85% टूटकर दिन के निचले स्तर 45.56 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई।
आगे क्या दिख रहा है सीन?
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सौमिल गांधी का मानना है कि सोने में गिरावट का यह सिलसिला जारी रह सकता है। उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि सोने में करेक्शन जारी रहेगा। 5% से 10% की गिरावट की संभावना है। कारण है कि इस साल कीमत में 50% से ज्यादा बढ़ोतरी के बाद बड़े कारोबारी मुनाफावसूली करेंगे।'
सराफा बाजार के जानकारों का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक संबंध सुधरने की उम्मीदें बढ़ने से निवेशकों का रुझान सुरक्षित माने जाने वाले सोने से हटकर शेयर बाजार जैसे जोखिम भरे निवेशों की ओर बढ़ रहा है। यही वजह है कि सोने की मांग में कमी आई है। इससे कीमतें गिर रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, 'तकनीकी बिक्री' का मतलब है कि जब किसी संपत्ति की कीमत एक निश्चित स्तर से नीचे गिर जाती है तो कई निवेशक घबराकर उसे बेचना शुरू कर देते हैं। इससे कीमत और भी गिर जाती है। यह एक तरह की बाजार की प्रतिक्रिया है।
इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद भी सोने की कीमतों पर असर डाल रही है। जब ब्याज दरें कम होती हैं तो लोग बैंकों में पैसा रखने के बजाय अन्य जगहों पर निवेश करना पसंद करते हैं। इससे सोने जैसी कीमती धातुओं की मांग पर असर पड़ सकता है।
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