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टी-शर्ट से पोंछ देते हैं मोबाइल की स्क्रीन? उतर गई ये कोटिंग तो आ जाएगा मोटा खर्चा

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अक्सर कुछ लोगों की आदत रहती है कि वे दिन-रात, उठते-बैठते फोन की स्क्रीन को साफ करते रहते हैं। क्या आप जानते हैं कि एक आम इंसान दिन में 100 से 150 बार फोन को अनलॉक करता है? और स्क्रीन को 2,600 बार से ज्यादा छूता है। इसी वजह से फोन की स्क्रीन पर एक खास परत धीरे-धीरे खराब हो जाती है। आजकल के सारे स्मार्टफोन में यह परत लगी होती है। अगर नहीं होती तो फोन बहुत गंदा दिखता। धूल और गंदगी आसानी से चिपक जाती। स्क्रीन पर उंगली फेरना अच्छा नहीं लगता। अगर आपका फोन अब पहले जैसा साफ और चिकना नहीं लगता, तो यही वजह है। यह परत धीरे-धीरे खत्म हो रही है। यह पहला संकेत है कि परत खराब हो गई है। चलिए जन लेते हैं ये कौनसी परत है?



ओलियोफोबिक कोटिंग क्या है?हाऊ टू गीक की रिपोर्ट बताती है कि फोन की स्क्रीन को दाग-धब्बों से बचाने के लिए ओलियोफोबिक कोटिंग का इस्तेमाल होता है। यह एक मजबूत प्लास्टिक की परत होती है। यह उंगलियों के तेल और दाग को स्क्रीन पर चिपकने नहीं देती। इसी से फोन की स्क्रीन ज्यादातर समय साफ दिखती है। अगर कंप्यूटर की स्क्रीन को छूएंगे तो वह जल्दी गंदी हो जाएगी। लेकिन फोन पर ऐसा नहीं होता। इसके पीछे की वजह ओलियोफोबिक कोटिंग ही है।



ज्यादातर फोन में होती है यह परतआजकल के सारे स्मार्टफोन में यह परत लगी होती है। अगर नहीं होती तो फोन बहुत गंदा दिखता। धूल और गंदगी आसानी से चिपक जाती। स्क्रीन पर उंगली फेरना अच्छा नहीं लगता। अगर आपका फोन अब पहले जैसा साफ और चिकना नहीं लगता, तो यही वजह है। यह परत धीरे-धीरे खत्म हो रही है। यह पहला संकेत है कि परत खराब हो गई है।



बार साफ न करें कुछ लोग तो फोन को साफ करने के इतने शौकीन हैं कि स्क्रीन को बार-बार साफ करते हैं। जबकि कुछ टी-शर्ट से ही अपना फोन साफ कर लेते हैं। लेकिन ऐसा करना सही नहीं है। इससे आपके फोन की ओलियोफोबिक कोटिंग हट जाएगी। उसके बाद स्क्रीन हमेशा गंदी रहने लगी। ज्यादा साफ करना, खासकर केमिकल से अच्छा नहीं है।



इस कपड़े से साफ करेंकुछ साल पहले पता लगाया गया था कि साफ करना परत को नुकसान पहुंचाता है। ऐपल कहता है कि 70 प्रतिशत आइसोप्रोपिल अल्कोहल वाइप इस्तेमाल करें। लेकिन स्क्रीन का जिक्र नहीं करता। सैमसंग भी ऐसा ही कहता है। स्क्रीन को कम साफ करें और वह भी माइक्रोफाइबर कपड़े से। अगर बहुत गंदी हो तो एक बूंद पानी काफी है।
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