नई दिल्ली। देश भर में आवारा कुत्तों से जुड़े मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने राज्यों के द्वारा जवाबी हलफनामा दायर न किए जाने को लेकर सख्त नाराजगी जताई। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि कुत्तों के द्वारा काटे जाने की बढ़ती घटनाओं से विदेशों में भी देश की छवि खराब हो रही है, इसके बावजूद इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। बेंच ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब करते हुए 3 नवंबर को पेश होने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई कि दो महीने का वक्त दिए जाने के बावजूद राज्य सरकारों ने हलफनामा दाखिल नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों को नोटिस जारी किया गया था और इस केस की डिटेल रिपोर्टिंग भी हुई थी मगर इसके बावजूद सिर्फ पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने ही जवाबी हलफनामा दायर किया है। अदालत ने कहा कि क्या अधिकारी अखबार या सोशल मीडिया नहीं देखते? बेंच ने कहा कि सभी मुख्य सचिव 3 नवंबर को यहां उपस्थित रहें, अगर जरूरत पड़ी तो हम ऑडिटोरियम में अदालत लगाएंगे।

इसी के साथ जस्टिस विक्रम नाथ ने यह भी कहा कि अगर राज्यों के मुख्य सचिव उपस्थित नहीं हुए तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा और उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को अपने पुराने आदेश में बदलाव करते हुए कहा था कि नसबंदी और वैक्सीनेशन के बाद कुत्तों को शेल्टर होम से वापस उसी इलाके में छोड़ दिया जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया था। हालांकि जो कुत्ते हिंसक, रेबीज से ग्रस्त या बीमार हैं उनको शेल्टर होम में ही रखने के निर्देश दिए थे। अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी सार्वजनिक स्थान पर कुत्तों को खाना न खिलाया जाए। इसके लिए हर वॉर्ड में एक जगह चिन्हित की जाए।
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