इंटरनेट डेस्क। पितृपक्ष चल रहा हैं और ये ऐसा महीना हैं जिसमें आप अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं, तृपण करते है, जिससे उन्हें शांति मिलती है। एसे में अनेक संस्कारों की तरह श्राद्ध कर्म के भी कुछ नियम हैं, जिनका पालन अत्यंत आवश्यक बताया गया है। पितृपक्ष के दौरान इन नियमों का पालन जरूरी है।
शुद्धता का नियम
श्राद्ध कर्म में शुद्धता, नियम और श्रद्धा का विशेष महत्व है। इनका पालन करने से पितृगण प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर अपने लोक चले जाते हैं।
भूलों के लिए क्षमा
सूर्याेदय के समय स्नान करके एक लोटा जल पीपल पर चढ़ाएं, एक दीपक श्रद्धांजलि करके प्रार्थनापूर्वक नमस्कार कर पितरों से अपनी भूलों के लिए क्षमा मांगें।
योग्य ब्राह्मण
श्राद्ध में पतित, नास्तिक, मूर्ख, धूर्त, काले दांत वाले, गुरु द्वेषी, शुल्क से पढ़ाने वाले, जुआरी, अंध, कुश्ती सिखाने वाले आदि ब्राह्मणों का त्याग करना चाहिए। योग्य ब्राह्मणों को ही आमंत्रित करना चाहिए।
pc- aaj tak
You may also like
अब पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्ष को सुलझाएंगे ट्रंप! बोले- 'मैं युद्ध खत्म कराने में माहिर हूं'
Vastu Tips : घर में आएगी खुशियां और बरसने लगेगा पैसा, बस ये 5 आसान वास्तु टिप्स आज़माएं
Durgapur rape case: ममता बनर्जी के बयान पर भड़की भाजपा, कहा- नारीत्व के नाम पर हैं कलंक
ग्रेटर नोएडा: पार्किंग को लकेर सोसायटी में फायरिंग, एक घायल, हिरासत में आरोपी
बिहार चुनाव से पहले लालू परिवार को लगा 440 वोल्ट का झटका, IRCTC घोटाले में लालू, राबड़ी और तेजस्वी पर लगे आरोप