इस्लामाबाद, 26 अक्टूबर (Udaipur Kiran). पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बाल श्रम की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. हाल ही में जारी एक सरकारी सर्वे के अनुसार, राज्य में 5 से 17 वर्ष की उम्र के करीब 13 लाख बच्चे मजदूरी करने को मजबूर हैं. इनमें से 65 फीसदी बच्चे कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector) में काम कर रहे हैं.
यह सर्वे पाकिस्तान के लेबर डिपार्टमेंट और यूनिसेफ के संयुक्त सहयोग से तैयार किया गया ‘सिंध चाइल्ड लेबर सर्वे 2023-2024’ है. यह पिछले 30 सालों में राज्य में बाल श्रम पर किया गया पहला बड़ा अध्ययन है.
कृषि के बाद मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल में भी बच्चे काम पर
डेली डॉन वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में सामने आया कि कुल 13 लाख मजदूर बच्चों में से 12.4% मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में और 10.8% होलसेल व रिटेल ट्रेड में काम कर रहे हैं. सर्वे के मुताबिक, 1996 के बाद से काम करने वाले बच्चों की संख्या लगभग 50% तक घटी है, हालांकि समस्या अभी भी गंभीर है.
थकान, चोट और खराब हालातों में काम कर रहे बच्चे
सर्वे के अनुसार, बाल मजदूरी में शामिल 10 से 17 वर्ष के करीब 50.4% बच्चे खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं. इनमें भारी वजन उठाना (29.8%), तेज तापमान में काम करना (28.1%), और वर्कप्लेस पर दुर्व्यवहार (17.5%) जैसी स्थितियां शामिल हैं.
सिर्फ 41% बच्चे ही जाते हैं स्कूल
सर्वे में यह भी पाया गया कि काम करने वाले बच्चों में से सिर्फ 41.2% बच्चे ही स्कूल जाते हैं, जबकि काम न करने वाले बच्चों में यह आंकड़ा 69.9% है. उम्र बढ़ने के साथ स्कूल जाने की संख्या घटती जाती है — 14 से 17 वर्ष के श्रमिक किशोरों में केवल 29.1% ही स्कूल जाते हैं.
गरीबी और पारिवारिक दबाव बड़ी वजह
करीब 44.3% माता-पिता ने माना कि वे अपने बच्चों को परिवार की आय बढ़ाने के लिए काम पर भेजते हैं. वहीं, 43.5% बच्चों ने बताया कि उन्हें काम के दौरान थकान या चोट लगती है. गरीब परिवारों में यह स्थिति और भी गंभीर है — 33.7% गरीब घरों में कम से कम एक बच्चा मजदूरी करता है.
सुजावल और थारपारकर में सबसे ज्यादा बाल श्रम
बाल श्रम के सबसे ज्यादा मामले सुजावल (35.1%) और थारपारकर (25.6%) जिलों में पाए गए हैं, जबकि मलिर (2.7%) और कराची साउथ (3%) में यह संख्या सबसे कम रही.
सरकार ने कानून सख्त करने की कही बात
सिंध के लेबर सेक्रेटरी असदुल्लाह एब्रो ने कहा कि सर्वे के नतीजे राज्य के भविष्य के लिए चेतावनी हैं. उन्होंने ‘सिंध प्रोहिबिशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट ऑफ चिल्ड्रन एक्ट, 2017’ को और मजबूत करने तथा बाल श्रम की जड़ तक पहुंचने के लिए नई नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया.
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