नाहन, 1 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) .सिरमौर के गिरीपार जनपद क्षेत्र में आज भी किसान पुरानी परंपराओं को जीवंत रखे हुए हैं. यहां मक्की से भूना हुआ सत्तू तैयार किया जाता है, जो न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक भी है.
सत्तू तैयार करने के लिए आज भी गांवों में पारंपरिक “भाट” (मिट्टी व पत्थर से बना चूल्हा) का उपयोग होता है. मक्की को भूनने के बाद इसे पंचक्की (घराट) में पीसकर सत्तू बनाया जाता है.
किसान विजय कुमार बताते है भुना हुआ सत्तू बेहद पौष्टिक होता है, इसे खाने से किसी भी तरह की बीमारी पास नहीं आती. सत्तू का स्वाद लस्सी, गुड़, राब और चटनी के साथ और भी बढ़ जाता है.
विजय कुमार आज़ाद व रूद्रीदत शर्मा का कहना है कि बुजुर्गों की परंपरा के अनुसार फसल कटाई के बाद 10 से 15 घिल्ले मक्की सत्तू के लिए अलग रखे जाते थे. इसके साथ खरॉवकी भी बनाई जाती थी, जो सर्दियों में “मुड़े” के साथ खाई जाती है. खास बात यह कि मुड़े में अखरोट मिलाकर खाने से यह बेहद गुणकारी और स्वादिष्ट बन जाता है.गौरतलब है कि Himachal Pradesh के प्रथम Chief Minister एवं प्रदेश निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार ने विदेश यात्राओं के दौरान मक्की के सत्तू का विशेष उल्लेख किया था. उन्होंने सम्मेलन में बताया कि सिरमौर की पहाड़ियों में किसान मक्की को एक बार भूनकर पूरे साल सुरक्षित रखते हैं और इसे पौष्टिक आहार के रूप में इस्तेमाल करते हैं. यह सुनकर सम्मेलन में मौजूद लोग हैरान रह गए थे.गांवों में आज भी सामूहिक रूप से भाट बनाए जाते हैं. किसान मिलकर अपनी मक्की से सत्तू और खरॉवकी तैयार करते हैं
—————
(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर
You may also like
CRPF भर्ती 2025: 18-25 साल के युवाओं के लिए धमाकेदार मौका, ₹69,100 तक सैलरी!
Hair Care Tips: बालों की ग्रोथ को तेज करने में मददगार है ये तेल, उपयोग करने से मिलते हैं कई लाभ
IND vs WI 2025: कुलदीप यादव की शानदार गेंद ने छुड़ा दिए शाई होप के छक्के, देखें वायरल वीडियो
यूपी में योगी का बड़ा धमाका: सरकारी कर्मचारियों को मिला दिवाली बोनस, DA में 2% की बंपर बढ़ोतरी!
शुभमन गिल का मास्टरक्लास: तेंदुलकर-स्मिथ की बुद्धिमत्ता से इंग्लैंड ढेर, वेस्टइंडीज़ अगला निशाना