मुंबई/महाराष्ट्र। भारत के 15वें उपराष्ट्रपति पद के लिए आज मंगलवार (9 सितंबर) को मतदान किया जा रहा है। एनडीए की ओर से तमिलनाडु से आने वाले महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन हैं, जबकि विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है।
देखा जाये तो बी सुदर्शन रेड्डी का भी संबंध आंध्र प्रदेश से है। इस तरह इस चुनाव में दोनों प्रमुख उम्मीदवार दक्षिण भारतीय हैं। फिलहाल, आज शाम तक तय हो जाएगा की एनडीए या विपक्ष के उम्मीदवार में से कौन उपराष्ट्रपति पद का चुनाव जीतेगा?
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन विपक्षी दल ‘इंडिया गठबंधन’ के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी के खिलाफ बढ़त बनाए हुए हैं। हालांकि, इस बार के चुनावों में क्रॉस वोटिंग की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। मतदान संसद भवन में सुबह 10 बजे से शुरू हो गया है, जो शाम 5 बजे तक चलेगा और मतगणना शाम 6 बजे से शुरू होगी और देर शाम तक नतीजे भी आ जायेंगे।
यहां बता दें कि भारत में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव राजनीतिक पार्टी के चुनाव चिह्न पर नहीं लड़ा जाता है। यही वजह है कि इन चुनावों के लिए कोई भी पार्टी व्हिप जारी नहीं करती। यानी इन दोनों चुनावों में वोट देने वाले सांसद किसी भी उम्मीदवार को अपना वोट दे सकते हैं। जानकारी के लिए यह भी बताते चलें कि 21 जुलाई की देर शाम जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने स्वास्थ्य की परिस्थितियों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। हलांकि, 74 साल के जगदीप धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। जिसकी वजह से यह चुनाव हो रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग करते हैं और संख्याबल के लिहाज से एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का पलड़ा बहुत भारी है। जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन की संभावनाएं और मज़बूत हो गई हैं।
आज कुल 782 सांसद (लोकसभा और राज्यसभा) दोनों से उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान कर रहे हैं। जीत सुनिश्चित करने के लिए, किसी भी उम्मीदवार को 391 वोटों के साधारण बहुमत की जरूरत होती है। वर्तमान राजनीतिक अंकगणित के मुताबिक, सत्तारूढ़ एनडीए को पहले से ही करीब 427 सांसदों का समर्थन हासिल है। वहीं, विपक्षी गठबंधन, इंडिया ब्लॉक के पास करीब 324 सांसदों का समर्थन है।
ऐसे में संख्याबल के आधार पर एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को देश का नया उपराष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा है। वैसे उपराष्ट्रपति का चुनाव भले ही सीधे जनता से जुड़ा नहीं होता, लेकिन उससे पूरे देश को एक संदेश ज़रूर जाता है। प्रोटोकॉल में उपराष्ट्रपति दूसरे नंबर पर आते हैं। देश-विदेश में उनका नाम होता है और इस लिहाज से भी यह पद अहम माना जाता है।
कैसे और कहां हो रही वोटिंग?
इस बार के उपराष्ट्रपति चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से दो उम्मीदवार हैं और वोटिंग के लिए राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया गया है। उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान संसद भवन के कमरा नंबर एफ-101, वसुधा में मंगलवार की सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक होगा और वोटिंग खत्म होने के एक घंटे बाद यानी शाम छह बजे वोटों की गिनती शुरू होगी और फिर विजयी उम्मीदवार का ऐलान कर दिया जाएगा।
क्या है वोटिंग प्रोसेस?
उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग प्रोसेस की बात करें तो इसके लिए मतदान गुप्त तरीके से सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (STVS) के जरिए होता है। मतदान के लिए जारी मतपत्र सफेद रंग के होते हैं, जिसमें दो कॉलम रहते है, जिसमें से एक कॉलम में हिंदी और इंग्लिश में उम्मीदवारों के नाम और दूसरे कॉलम में वोट देने के लिए जगह खाली रहती है। खाली जगह पर वोटरों को अपनी प्राथमिकता 1,2.. के रूप में दर्ज करनी होती है। ये वोटर पर निर्भर करता है कि वो हिंदी में दर्ज करे या अंग्रेजी में।
कैसे होती है वोटों की गिनती?
वोटिंग के बाद शुरू होता है वोटों की गिनती की प्रक्रिया, जिसमें सबसे पहले वैध वोटों की छंटनी की जाती है, वैध मतों में पहली प्रायोरिटी वाले वोटों की सबसे पहले गिनती होती है। अगर किसी उम्मीदवार को कुल वैध मतों में से 50% से अधिक वोट मिल जाते हैं तो उसे विजयी मान लिया जाता है। इसके विपरीत अगर पहले राउंड में किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलता तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है। उसके वोटों को अगली प्राथमिकता के अनुसार दूसरे उम्मीदवारों को ट्रांसफर किया जाता है और यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता। सबसे बड़ी बात यह कि यदि उपराष्ट्रपति चुनाव में किसी उम्मीदवार को वैलिड वोटों के छठे हिस्से से भी कम वोट मिलते हैं तो उसकी 15 हजार रुपये की प्रतिभूति राशि को जब्त कर लिया जाता है।
जानें- उपराष्ट्रपति को कौन-कौन सी सुविधाएं मिलती हैं?
उपराष्ट्रपति को सीधे तौर पर कोई नियमित वेतन नहीं मिलता। हालांकि, संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के पदेन सभापति की भूमिका के लिए उन्हें वेतन प्राप्त होता है।
2018 में हुए संशोधन के बाद, उपराष्ट्रपति को महीने में चार लाख रुपये वेतन मिलता है।
इसके अलावा, एक बड़ा और सुंदर मुफ्त आवास मिलता है।
दैनिक भत्ता, ट्रैवल अलाउंस, रेल व हवाई यात्रा, लैंडलाइन फोन, मोबाइल फोन समेत कई अन्य सुविधाएं दी जाती हैं।
उपराष्ट्रपति और उनके परिवार को मुफ्त मेडिकल सुविधाएं मिलती हैं।
24 घंटे हाई सिक्योरिटी के लिए बड़ा स्टाफ मिलता है।
प्राइवेट सेक्रेटरी और अन्य कर्मचारी भी दिए जाते हैं।
रिटायरमेंट के बाद, वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है।
टाइप-8 बंगला, एक प्राइवेट सेक्रेटरी, एक अतिरिक्त निजी सचिव, एक निजी सहायक भी दिया जाता है।
पूर्व उपराष्ट्रपति को लगभग दो लाख रुपये प्रति माह पेंशन मिलती है।
एक डॉक्टर, एक नर्सिंग अधिकारी और चार निजी नर्स/अटेंडेट भी मिलते हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति के निधन पर जीवनसाथी को आजीवन टाइप-7 आवास का अधिकार होता है।
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