राजस्थान के किसानों के लिए राहत भरी खबर। अगर आप राज्य सरकार से 30,000 रुपये का अनुदान चाहते हैं, तो 10 सितंबर तक ऑफलाइन आवेदन करें। राजस्थान सरकार बैलों से खेती करने वाले किसानों के लिए एक योजना लेकर आई है। जिसके तहत राज्य के लघु एवं सीमांत किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और पारंपरिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। कृषि विभाग ने इसके लिए किसानों से आवेदन मांगे हैं। इसलिए राज्य सरकार की 30,000 रुपये की वार्षिक अनुदान राशि प्राप्त करने के लिए अब ऑफलाइन आवेदन करना होगा। कारण यह है कि आवेदन के लिए बनाया गया राजस्थान किसान पोर्टल फिलहाल निष्क्रिय है।
पोर्टल निष्क्रिय, अब ऑफलाइन मोड में करना होगा आवेदन
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल के बजट 2025-26 के तहत घोषित इस योजना का उद्देश्य पूरे राजस्थान में पारंपरिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना, ग्रामीण आजीविका को मजबूत करना और पशुधन का संरक्षण करना है। पोर्टल के निष्क्रिय होने के कारण अब आवेदन प्रक्रिया को ऑफलाइन मोड में स्थानांतरित कर दिया गया है।
योजना का उद्देश्य बैलों से खेत जोतने को प्रोत्साहित करना है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किसानों को निर्धारित दस्तावेजों के साथ अपने फॉर्म अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में जमा करने होंगे। इस योजना का स्पष्ट उद्देश्य किसानों को पूरी तरह से मशीनों पर निर्भर रहने के बजाय बैलों से खेत जोतने के लिए प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके सरकार न केवल पारंपरिक तरीकों को संरक्षित करना चाहती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बैलों की उपयोगिता और अस्तित्व को भी सुनिश्चित करना चाहती है। उम्मीद है कि इस कदम से पशुधन आधारित कृषि प्रणाली को मजबूती मिलेगी और छोटे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
पात्रता की शर्तें
पात्रता के लिए आवश्यक है कि किसान के पास कम से कम एक जोड़ी बैल हों और उसके पास खेती योग्य ज़मीन हो। पशु की आयु 15 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए, और आवेदन के साथ नजदीकी पशु चिकित्सालय द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा।
पुजारी-आदिवासी किसान भी इस योजना के दायरे में आएंगे
अधिकारी ने आगे बताया कि पहले के नियमों में पशु बीमा अनिवार्य था, लेकिन अब पहुँच को आसान बनाने के लिए इस शर्त को हटा दिया गया है। एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि मंदिर की भूमि पर खेती करने वाले पुजारियों और वन अधिकार पट्टे रखने वाले आदिवासी किसानों को भी वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने की शर्त पर इस योजना के दायरे में लाया गया है।
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