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राजस्थान के इस 300 साल ;पुराने मंदिर में प्रसाद चढ़ाना भी एक तपस्या! करना पड़ता है डेढ़ साल का इंतज़ार, जानिए हैरान करने वाली वजह

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भारत के उत्तरी भाग में राजस्थान के करौली में स्थित कैला माता मंदिर आस्था का एक बड़ा केंद्र है। 300 साल पुराने कैला माता मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर में साल भर रोजाना 56 भोग लगाए जाते हैं और मंदिर प्रांगण को फूल बंगलों से सजाया जाता है।

देवी को भोग लगाने के लिए भक्तों को डेढ़ साल से भी ज्यादा समय तक इंतजार करना पड़ता है
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंदिर में 56 भोग चढ़ाने में भक्तों को 15 महीने से भी ज्यादा का समय लग जाता है। इस साल 56 भोग की बुकिंग करवाने वाले भक्तों को डेढ़ साल का लंबा इंतजार करना पड़ेगा, यानी भक्तों को 2026 तक इंतजार करना पड़ेगा।

मान्यता के कारण यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है
300 साल पुराना मंदिर होने के कारण यह करौली और आसपास के इलाकों के लोगों में काफी लोकप्रिय है, इसलिए लोग यहां अपनी आस्था की मुराद लेकर आते हैं..अगर उन्होंने 56 भोग की मन्नत मांगी है तो उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है।

मंदिर में 56 भोग में शुद्ध देसी मिठाई चढ़ाई जाती है
कैला माता मंदिर में यह परंपरा पुरानी रियासतों के समय से चली आ रही है। इसके अनुसार मंदिर में हर दिन नियमित रूप से 56 भोग चढ़ाए जाते हैं। भक्त 56 भोग में शुद्ध देसी घी से बनी 20 से 25 प्रकार की मिठाइयां, 10 से 12 प्रकार की नमकीन, 5 से 7 प्रकार का मावा, 7 प्रकार के कच्चे व पके खाद्य पदार्थ व मौसमी फलों का उपयोग करते हैं। 56 भोग लगाने वाला भक्त हवन भी करता है और माता को वस्त्र भी अर्पित करता है।

नवरात्रि में बंद रहते हैं 56 भोग
मंदिर के एकमात्र ट्रस्टी कृष्ण चंद पाल व संचालक विवेक द्विवेदी ने बताया कि कैला देवी लक्खी मेला, चैत्र नवरात्रि व शारदीय नवरात्रि समेत गुप्त नवरात्रि के दौरान 56 भोग व फूल बंगला का आयोजन नहीं किया जाता, क्योंकि इस समय मंदिर में देवी अनुष्ठान कार्यक्रम होता है।उत्तर प्रदेश से आए कारीगर सजाते हैं देवी का दरबार शक्तिपीठ में शामिल कैला माता मंदिर में छप्पन भोग के साथ ही फूल बंगला बनाने की कला में उत्तर प्रदेश से आए कारीगर माहिर हैं और वे लगातार अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं।

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