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क्या पुष्कर जी में स्नान से सच में मिलता है 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा जितना फल ? वीडियो में जानिए क्यों माना जाता है इसे मोक्षदायक

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भारत की धार्मिक धरोहरों में पुष्कर सरोवर का नाम एक विशिष्ट स्थान रखता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पुष्कर सरोवर में एक बार स्नान करने से उतना पुण्य प्राप्त होता है जितना कि 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा से मिलता है। यही कारण है कि पुष्कर को मोक्षदायिनी नगरी कहा जाता है और यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु स्नान करने और पुण्य अर्जित करने आते हैं। पर आखिर क्या कारण है कि पुष्कर सरोवर को इतना पवित्र माना जाता है? चलिए, जानते हैं इस चमत्कारी स्थल की उत्पत्ति, महत्व और मान्यताओं के बारे में विस्तार से।

पुष्कर सरोवर की उत्पत्ति की पौराणिक कथा
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, ब्रह्माजी ने संसार की रचना के बाद एक यज्ञ करने का निश्चय किया। स्थान की खोज में वे पृथ्वी पर आए और उनके कमंडल से तीन स्थानों पर कमल के पुष्प गिरे। उन्हीं स्थानों पर तीन पवित्र सरोवर बने, जिसमें से सबसे प्रमुख है पुष्कर सरोवर। पुष्कर का शाब्दिक अर्थ भी "कमल" (पुष्प) और "हाथ से गिरा" (कर) होता है।ब्रह्माजी ने यहीं पर यज्ञ किया और एक नई सृष्टि का आरंभ किया। किंवदंतियों के अनुसार, जब ब्रह्माजी ने यज्ञ के लिए अपनी पत्नी सावित्री का इंतजार किया और विलंब होने पर गायत्री देवी से विवाह कर यज्ञ संपन्न किया, तो सावित्री क्रोधित होकर ब्रह्माजी को श्राप दे बैठीं कि पृथ्वी पर केवल पुष्कर में ही उनकी पूजा होगी। इसीलिए, पूरी दुनिया में पुष्कर ही एकमात्र स्थान है जहां ब्रह्माजी का भव्य मंदिर स्थित है और उनकी विधिवत पूजा होती है।

क्यों पुष्कर सरोवर का स्नान है इतना पवित्र?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन स्नान करने से जीवन के समस्त पाप धुल जाते हैं और 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा का फल प्राप्त होता है। केवल स्नान ही नहीं, बल्कि पुष्कर सरोवर के तट पर दान-पुण्य, जप, तप और हवन करने से भी अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है।पुराणों में पुष्कर को "तीर्थराज" यानी तीर्थों का राजा कहा गया है। महाभारत में भी उल्लेख है कि यदि कोई व्यक्ति एक बार पुष्कर में स्नान कर ले, तो उसे जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पुष्कर सरोवर
पौराणिक महत्व के साथ-साथ पुष्कर सरोवर के जल का वैज्ञानिक पहलू भी उल्लेखनीय है। कई शोधों में यह पाया गया है कि सरोवर का जल औषधीय गुणों से भरपूर है, जिसमें त्वचा रोगों और अन्य शारीरिक समस्याओं से राहत देने की क्षमता है। सरोवर के चारों ओर का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता है, जिससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक अनुभूति होती है।पुष्कर सरोवर का पानी सालों भर साफ और ताजगी से भरा रहता है, जबकि आसपास के क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता इतनी अच्छी नहीं है। स्थानीय लोगों और विद्वानों का मानना है कि यह ब्रह्माजी की दिव्य कृपा का परिणाम है।

पुष्कर मेले में स्नान का विशेष महत्व
हर साल कार्तिक माह में पुष्कर मेला लगता है, जो दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आकर पुष्कर सरोवर में स्नान करते हैं और ब्रह्माजी के मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। इस दौरान यहां धार्मिक अनुष्ठान, कथा, प्रवचन, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है, जिससे पुष्कर एक जीवंत आध्यात्मिक नगरी में परिवर्तित हो जाता है।कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नान करने का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उस दिन स्वयं देवता भी पुष्कर सरोवर में स्नान करने के लिए आते हैं।

पुष्कर के 52 घाटों का महत्व
पुष्कर सरोवर के चारों ओर 52 घाट बने हुए हैं, जिनमें से हर घाट का अपना अलग धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। वराह घाट, ब्रह्मा घाट, सावित्री घाट, गौ घाट जैसे प्रमुख घाटों का अपना विशिष्ट स्थान है।विशेषकर गौ घाट को पवित्र माना जाता है क्योंकि यहीं पर महात्मा गांधी की अस्थियों का विसर्जन किया गया था। घाटों पर पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है और कहा जाता है कि प्रत्येक घाट पर स्नान करने से विभिन्न प्रकार के दोषों का शमन होता है।

पुष्कर यात्रा का आध्यात्मिक अनुभव
पुष्कर केवल तीर्थयात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए एक अद्भुत स्थान है जो आध्यात्मिक शांति की तलाश में है। पुष्कर का वातावरण, वहां की हवाएं, मंदिरों की घंटियों की आवाज और सरोवर के किनारे बैठकर ध्यान करना एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है।यहां आकर हर कोई थोड़ी देर के लिए सांसारिक मोह-माया से दूर हो जाता है और आत्मा को एक अनूठी शांति का अनुभव करता है। इसलिए पुष्कर यात्रा को केवल स्नान तक सीमित न समझें, बल्कि इसे एक संपूर्ण आध्यात्मिक साधना के रूप में देखें।

निष्कर्ष
पुष्कर सरोवर भारतीय संस्कृति और आस्था का एक जीवंत प्रतीक है। यहां स्नान करना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि का मार्ग है। 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा जितना पुण्य फल पाने की जो मान्यता पुष्कर सरोवर के साथ जुड़ी है, वह न केवल श्रद्धा से जुड़ी है, बल्कि आत्मा के गहन शुद्धिकरण की भी प्रतीक है।अगर आप कभी भी जीवन में मानसिक शांति, पापमुक्ति और मोक्ष की तलाश में हों, तो पुष्कर की यात्रा अवश्य करें। हो सकता है, यही यात्रा आपके जीवन का सबसे पवित्र और यादगार अनुभव बन जाए।

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