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SI भर्ती विवाद! सरकार की डेडलाइन खत्म अब राजस्थान हाईकोर्ट से आएगा अंतिम फैसला? उम्मीदवारों की नजरें कोर्ट पर टिकी

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22 मई को बहरोड़ एसडीएम के लिए 70 हजार रुपए की रिश्वत लेते रीडर ललित यादव को गिरफ्तार किया गया था। एसीबी के अनुसार ललित ने यह रकम एसडीएम रामकिशोर मीना के लिए ली थी। एसीबी ने इस मामले में एसडीएम को आरोपी बनाया है, हालांकि उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है।70 हजार रुपए की रिश्वत देने वाले गांव गंडाला के सुरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि उसके गांव में केएनबी ईंट भट्ठा है। उस जमीन में उसका आधा हिस्सा है। उसे पिछले 4 साल से किराया नहीं मिल रहा है। भूमि रूपांतरण के 20 साल पूरे होने के बाद अब असहमति जताते हुए एसडीएम के समक्ष भूमि रूपांतरण निरस्तीकरण का प्रार्थना पत्र पेश किया।

'हर दफ्तर गया, कोई सुनवाई नहीं'
एसडीएम और रीडर को उसने पूरी सच्चाई बताई और अपनी आर्थिक तंगी बताई, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। एसडीएम को रिश्वत देने के लिए वह गांव में परिचितों से ब्याज पर 70 हजार रुपए लेकर आया। उसने कलेक्टर की सुनवाई में भूमि रूपांतरण निरस्तीकरण की मांग उठाई, जयपुर सचिवालय भी गया। वह भिवाड़ी के बीडा भी गया। इसके अलावा एनजीटी भोपाल में भी जाकर शिकायत की। किसी ने नहीं सुनी।

'एसडीएम कहते थे- फाइल मोटी है, बाद में देखेंगे'
पिछले छह महीने से मैं लगातार एसडीएम ऑफिस के चक्कर लगा रहा था। एसडीएम ने पहले कहा कि आपकी फाइल लंबी है, बाद में देखेंगे। जब दोबारा गया तो उन्होंने कहा कि फाइल मोटी है। आपको देखनी पड़ेगी, आप ललित जी से मिलिए। जब मैं उनसे मिला तो उन्होंने एक लाख रुपए मांगे।

'70 हजार में तय हुआ सौदा'
सुरेंद्र यादव ने कहा- मैं लगातार चक्कर लगाते-लगाते थक गया था। मैंने कई बार एसडीएम से भी संपर्क किया। लेकिन कोई असर नहीं हुआ। एक लाख की जगह 70 हजार रुपए में सौदा तय हुआ। इसके बाद मैंने एसीबी से संपर्क किया। वहां आवेदन दिया और एसीबी ने उसके अनुसार कार्रवाई शुरू की। सबसे पहले रिश्वत मांगने का सत्यापन कराया गया।

यह है मामला
सुरेंद्र कुमार यादव ने कहा- उनके पिता दो भाई थे। बड़े भाई का नाम राजवीर सिंह था और छोटे भाई का नाम श्याम सिंह था। उनके पिता का निधन हो चुका है। चाचा श्याम सिंह ने 2004 में केएनबी ईंट भट्टे के लिए 9000 मीटर यानी 1.19 हेक्टेयर जमीन को गैर कृषि भूमि में परिवर्तित करवा लिया था। चाचा श्याम सिंह और मां सुशीला, बड़े भाई सुरेंद्र और छोटे भाई विकास इस पर सहमत हो गए। अब 20 साल बाद वे लोग इस परिवर्तन को रद्द करवाकर गैर कृषि भूमि को कृषि भूमि में परिवर्तित करवाना चाहते हैं।

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