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आखिर कब क्यों और कैसे हुई पुष्कर सरोवर की उत्पत्ति ? 2 मिनट के वायरल वीडियो में जाने इसकी पौराणिक कथा और महत्त्व

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भारत, जिसे ऋषि-मुनियों की भूमि कहा जाता है, अपनी पौराणिक कथाओं, तीर्थ स्थलों और धार्मिक स्थलों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इन्हीं पवित्र स्थलों में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है पुष्कर सरोवर, जो राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है। पुष्कर न केवल ब्रह्माजी के एकमात्र प्रमुख मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ स्थित सरोवर भी अपार श्रद्धा और चमत्कारी लाभों के कारण श्रद्धालुओं के बीच विशेष स्थान रखता है। आज हम जानेंगे पुष्कर सरोवर की उत्पत्ति से लेकर इसके चमत्कारी लाभों तक की पूरी रोचक और पौराणिक कथा।

पुष्कर सरोवर की उत्पत्ति: एक दिव्य घटना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना का कार्य प्रारंभ किया, तो उन्हें एक उपयुक्त स्थान की आवश्यकता थी जहाँ वह यज्ञ कर सकें। ब्रह्माजी ने अपने हाथ से एक कमल पुष्प फेंका, और वह पुष्प पृथ्वी पर तीन स्थानों पर गिरा — और जहां-जहां वह गिरा, वहाँ जलधाराएँ उत्पन्न हुईं। इन्हीं में से प्रमुख स्थल है पुष्कर, जहाँ पुष्कर सरोवर का निर्माण हुआ।'पुष्कर' शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'कमल पुष्प'। माना जाता है कि इस कमल के गिरने से ही इस पावन सरोवर का जन्म हुआ। यह सरोवर दिव्य ऊर्जा से युक्त माना जाता है, और इसकी उत्पत्ति स्वयं ब्रह्माजी के हाथों से होने के कारण इसे असीम पवित्रता का प्रतीक समझा जाता है।

धार्मिक महत्व और ब्रह्माजी का यज्ञ
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्माजी ने इसी पुष्कर सरोवर के तट पर एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ के लिए आवश्यक था कि उनकी पत्नी सावित्री उनके साथ उपस्थित हों। किन्हीं कारणोंवश सावित्री समय पर नहीं पहुँच सकीं, और ब्रह्माजी ने यज्ञ को विधिपूर्वक पूरा करने के लिए गायत्री नामक कन्या से विवाह कर लिया।इस घटना से कुपित होकर देवी सावित्री ने ब्रह्माजी को श्राप दे दिया कि पृथ्वी पर उनकी पूजा केवल पुष्कर में ही होगी। तभी से पुष्कर तीर्थ का महत्व और भी अधिक बढ़ गया। आज भी ब्रह्माजी का भव्य मंदिर इसी सरोवर के पास स्थित है, जो दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।

पुष्कर सरोवर के चमत्कारी लाभ
पुष्कर सरोवर को सिर्फ पौराणिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और चमत्कारी लाभों के लिए भी अत्यंत पूजनीय माना जाता है। यहां स्नान करने और तपस्या करने के अनगिनत फायदे बताए गए हैं:

1. पापों से मुक्ति
पुष्कर सरोवर में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं — ऐसी मान्यता है। विशेषकर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लाखों श्रद्धालु यहां स्नान करने के लिए आते हैं। कहा जाता है कि इस दिन सरोवर में डुबकी लगाने से जन्मों के पाप कट जाते हैं और आत्मा शुद्ध हो जाती है।

2. मोक्ष की प्राप्ति
कई ग्रंथों में उल्लेख है कि पुष्कर सरोवर में श्रद्धापूर्वक स्नान करने और पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मृत्यु के पश्चात आत्मा को मुक्त कर मोक्ष मार्ग प्रशस्त होता है। इसीलिए यहाँ पर अनेक लोग अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान और तर्पण भी करते हैं।

3. रोगों से मुक्ति
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, पुष्कर सरोवर के पवित्र जल में विशेष औषधीय गुण हैं। त्वचा रोग, मानसिक अशांति और अन्य शारीरिक विकारों से पीड़ित व्यक्ति यहाँ स्नान कर लाभ प्राप्त करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि सरोवर का जल शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है और सकारात्मकता प्रदान करता है।

4. वैवाहिक जीवन में सुख-शांति
कई भक्त विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याओं के समाधान हेतु पुष्कर सरोवर में स्नान करते हैं और ब्रह्माजी की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस प्रक्रिया से वैवाहिक जीवन में आपसी प्रेम, समर्पण और सुख-शांति आती है।

5. संतान सुख की प्राप्ति
जो दंपत्ति संतान सुख से वंचित होते हैं, वे पुष्कर सरोवर में आकर विशेष पूजा कर संतान प्राप्ति की कामना करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में इस सरोवर को "संतान सुख प्रदायक" भी कहा गया है।

पुष्कर सरोवर से जुड़ी अन्य रोचक बातें
पुष्कर मेले के समय यह सरोवर श्रद्धालुओं से भर जाता है। यह मेला दुनिया के सबसे बड़े ऊंट मेलों में से एक है और धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ सांस्कृतिक उत्सव का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करता है।
पुष्कर सरोवर के चारों ओर 52 घाट बने हुए हैं, जिनमें से 'वराह घाट', 'ब्रह्मा घाट' और 'गौ घाट' प्रमुख हैं।
पुष्कर सरोवर के पास स्थित 'पुष्कर बाज़ार' में धार्मिक वस्तुएं, हस्तशिल्प, पारंपरिक आभूषण और रंग-बिरंगे कपड़े मिलते हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

निष्कर्ष
पुष्कर सरोवर केवल एक तीर्थ स्थल नहीं है, बल्कि यह एक आस्था का महासागर है, जहाँ भक्तों को आंतरिक शांति, पापमुक्ति और आत्मिक उन्नति का अनुभव होता है। इसकी पौराणिक उत्पत्ति और दिव्य लाभ आज भी करोड़ों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।पुष्कर आकर न केवल व्यक्ति धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेता है, बल्कि वह आत्मा के शुद्धिकरण की यात्रा भी करता है। इस पावन स्थल का हर कण, हर लहर मानो इतिहास और आस्था का जीवंत प्रमाण है। पुष्कर सरोवर आज भी उस दिव्यता को समेटे हुए है, जो ब्रह्माजी के कमल पुष्प से सृष्टि के आरंभ के समय उत्पन्न हुई थी।

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