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उदयपुर मानसी वाकल बांध को नुकसान पहुंचाने की बड़ी साजिश नाकाम, जांच में हुआ चौकाने वाला खुलासा

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उदयपुर शहर के 30 फीसदी हिस्से को जलापूर्ति करने वाले मानसी वाकल बांध को नुकसान पहुंचाने और क्षेत्र के हजारों लोगों की जान को खतरे में डालने की कोशिश की गई है। कुछ बदमाशों ने मानसी वाकल बांध के कंट्रोल रूम को तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे। अगर बदमाश कंट्रोल रूम में घुस जाते तो न केवल उदयपुर की जलापूर्ति प्रभावित होती, बल्कि बांध को नुकसान पहुंचाने से डाउनस्ट्रीम क्षेत्र के गांवों में रहने वाले हजारों लोगों की जान खतरे में पड़ जाती। जलदाय विभाग के अभियंता ने झाड़ोल थाने में मामला दर्ज कराकर यह आशंका जताई है। पुलिस ने बताया कि मानसी वाकल बांध के साइड इंचार्ज अभियंता शालीन भटनागर ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। 

रिपोर्ट में बताया कि 15 मई को शाम साढ़े चार बजे कुछ लोग बांध के बांध पर पहुंचे। लोगों ने बांध पर लगे ताले तोड़ दिए और केबल काटने का प्रयास किया। उन्होंने बांध के गेट की केबल काटकर ले जाने का प्रयास किया। बदमाश चांदवास गांव की तरफ से आए थे और बाइक पर सवार होकर वापस उसी दिशा में भाग गए। सुरक्षा गार्ड ने उन्हें भागते हुए देख लिया। वर्तमान मौसम की स्थिति को देखते हुए यदि बांध के गेट की केबल कट जाती या क्षतिग्रस्त हो जाती तो बांध टूटने का खतरा रहता। पीछे के गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती। आगे स्थित गोराणा गांव के भी जलमग्न होने की आशंका थी, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हो सकता था।

मानसी वाकल परियोजना पर एक नजर
यह बांध उदयपुर जिले के झाड़ोल गांव से करीब 7 किमी उत्तर में स्थित है। वर्ष 2006 में गोराणा में मानसी नदी पर 60 करोड़ की लागत से मानसी वाकल बांध का निर्माण कराया गया था। इसे देवास प्रथम चरण के नाम से जाना जाता है। इसमें करीब 24.4 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी समा सकता है। बांध के पास 22 गांव हैं।

पुलिस गश्त की सख्त जरूरत
विभागीय अभियंता ने बांध को खतरा भांपते हुए नियमित गश्त की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि 15 मई को हुई घटना की गंभीरता को देखते हुए कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। संबंधित क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि से दिन में कम से कम दो-तीन बार पुलिस गश्त की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो।

उदयपुर में जल संकट
मानसी वाकल से उदयपुर को प्रतिदिन करीब 30 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है, जो शहर की कुल जलापूर्ति का करीब 30 फीसदी है। बांध प्रक्रिया में किसी भी तरह की रुकावट आने पर शहर में जलापूर्ति बुरी तरह प्रभावित होती है। एक दिन से अधिक समय तक प्रभावित रहने पर शहर में बड़ा संकट पैदा हो सकता है।

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