चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 50 फ़ीसदी अतिरिक्त टैरिफ़ लगाने की धमकी पर सख़्त एतराज़ जताया है.
सोमवार को ट्रंप ने कहा था कि अगर चीन ने अमेरिकी सामान पर आयात शुल्क लगाने के फ़ैसले को वापस नहीं लिया तो वह चीन पर 50% टैरिफ़ और लगा देगा.
ट्रंप के बयान पर चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि वो अमेरिकी 'ब्लैकमेल को स्वीकार नहीं करेगा' और इसके ख़िलाफ़ अंत तक लड़ेगा.
विश्लेषकों का कहना है कि ताज़ा घटनाक्रम के बाद दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड वॉर की संभावना बढ़ गई है.
अगर ट्रंप वाक़ई 50% अतिरिक्त टैरिफ़ लगाते हैं तो चीन से अमेरिका पहुँचने वाला कुछ सामान 104% तक महंगा हो जाएगा.
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वो अमेरिका के ब्लैकमेल को कभी स्वीकार नहीं करेगा. मंत्रालय ने ये भी कहा है कि वो अमेरिकी टैरिफ़ के ख़िलाफ़ अंत तक लड़ने को तैयार है.
वाणिज्य मंत्रालय ने 50% अतिरिक्त टैरिफ़ की धमकी को 'ग़लती के बाद ग़लती' क़रार दिया है.
मंत्रालय ने कहा कि मसले के हल के लिए टैरिफ़ की योजनाओं को स्थगित करते हुए दोनों देशों के बीच वार्ताएं होनी चाहिए.
चीन के सरकारी मीडिया ने भी ट्रंप के ताज़ा बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अख़बार द पीपल्स डेली ने लिखा कि चीन ने जो क़दम उठाए हैं, वो 'न्यायसंगत और क़ानूनी मर्यादा' के भीतर हैं.
पीपल्स डेली ने ट्रंप के ट्रेड वॉर के कारगर होने पर भी सवाल उठाए.
समाचार पत्र ने लिखा, "एक या दो साल हो गए हैं, जब से अमेरिका ने चीन के साथ एकतरफ़ा ट्रेड वॉर छेड़ा है. लेकिन इसका परिणाम क्या हुआ है?"
अख़बार ने लिखा, "दबाव के बावजूद चीन के ट्रेड ने मज़बूती दिखाई है. चीनी अर्थव्यवस्था हमेशा विकास की ओर अग्रसर रही है. इसके विपरीत अमेरिका अपना ट्रेड डेफ़िसिट कम करने में विफल रहा है."
चीन ने टैरिफ़ के रेसिप्रोकल होने के दावे को आधारहीन और धमकाने वाला रवैया बताया है.
बीबीसी के चीन संवाददाता स्टीफ़न मैक्डोनाल्ड कहते हैं, "ट्रंप के ख़िलाफ़ सख़्त स्टैंड लेकर चीन को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन मिलने की उम्मीद है."
"इसके अलावा चीन को नए ट्रेड पार्टनर मिल सकते हैं, जिनके साथ व्यापार बढ़ सकता है. इससे अमेरिकी बाज़ार में होने वाले घाटे की कुछ भरपाई तो हो जाएगी."
वैसे चीन की अपनी आर्थिक स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं है. देश में घरेलू मांग घट रही है, बेरोज़गारी बढ़ रही है और कई वर्षों से अर्थव्यवस्था की रफ़्तार सुस्त-सी है.

अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को कहा था कि वो चीन से आने वाले सामान पर 50 फ़ीसदी अतिरिक्त टैरिफ़ लगा सकते हैं.
उन्होंने कहा था कि अगर चीन अमेरिकी सामान पर 34% आयात शुल्क लगाने की घोषणा को वापस नहीं लेगा तो उन्हें ये क़दम उठाना पड़ेगा.
व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा कि दुनिया के देशों के साथ बातचीत करने के लिए टैरिफ़ लगाने के निर्णय को स्थगित नहीं करेंगे.
जानकार क्या कह रहे हैं?चीनी सामान पर ट्रंप पहले ही 54% आयात शुल्क लगा चुके हैं. इसके अलावा 50% अतिरिक्त टैरिफ़ की बात ने हालात और जटिल बना दिए हैं.
दोनो देशों के बीच तल्ख़ बयानबाज़ियां बढ़ती ही जा रही हैं.
विश्लेषक कह रहे हैं कि भले ही टैरिफ़ से उसका निर्यात बाधित हो, लेकिन चीन अपने पैर पीछे खींचने की फ़िराक में नहीं है.
सिंगापुर के यूरेशिया ग्रुप के कंसल्टेंट डेन वांग कहते हैं, "अगर चीन ये कह रहा है कि वो अंत तक लड़ेगा, तो आपको इस पर यक़ीन करना चाहिए. अगर अमेरिका एक बार फिर टैरिफ़ बढ़ाएगा तो चीन भी बढ़ाएगा. फिर चाहे चीन का निर्यात बुरी तरह से प्रभावित ही क्यों न हो जाए."
कॉन्फ़्रेंस बोर्ड नाम के थिंक टैंक से जुड़े अल्फ़रेडो मंटूफ़ार-हेलू भी कहते हैं कि ये सोचना ग़लत होगा कि चीन पीछे क़दम खींच लेगा.
उन्होंने बीबीसी को बताया, "दुर्भाग्य से हम ऐसी जगह पहुँच गए हैं, जहाँ से अब अरसे तक आर्थिक मुश्किलों से दो चार होना पड़ेगा."
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चीन पर अतिरिक्त टैरिफ़ लगाने की चेतावनी के बावजूद मंगलवार सुबह जापान और दक्षिण कोरिया के शेयर बाज़ारों में थोड़ी बढ़त देखने को मिली.
सोमवार को इन दोनों देशों के बाज़ार भारी गिरावट के साथ बंद हुए थे.
ट्रंप ने कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34 फ़ीसदी के जवाबी टैरिफ़ वापस नहीं लिए, तो वे मंगलवार से चीन पर नए टैरिफ़ लागू कर देंगे.
मंगलवार को जापान के निक्केई 225 सूचकांक और दक्षिण कोरिया के सूचकांक कोस्पी में सोमवार की तुलना में लगभग 2 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
इसी के साथ ऑस्ट्रेलिया का शेयर बाज़ार एएसएक्स 200 भी हल्की बढ़त के साथ खुला.
सोमवार को ट्रंप के टैरिफ़ संबंधी बयान का असर दुनियाभर के शेयर बाज़ारों पर देखा गया था. एशिया और यूरोप के बाज़ारों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी.
भारतीय शेयर बाज़ार भी इससे अछूते नहीं रहे. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ़्टी सवा तीन फ़ीसदी गिरा, जबकि सेंसेक्स में लगभग तीन फ़ीसदी की गिरावट आई थी.
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