"क्या हम पाकिस्तान का जो इरादा है, उसको तोड़ पाए हैं? क्या उनसे हम कोई कमिटमेंट ले पाए हैं? वह अब भी नहीं हुआ है. बिल्डिंग या ट्रेनिंग कैंप दोबारा बन जाएँगे. उनके जो हथियार बर्बाद हुए हैं, वे भी दोबारा आ जाएँगे.."
"(ऑपरेशन सिंदूर) को लेकर शायद (सरकार को) मेरी सलाह होती कि एक दिन और ऑपरेशन जारी रखना चाहिए था. अगर कोई पॉज़िटिव राजनीतिक बयान पाकिस्तान से आता, उसका इंतज़ार करना चाहिए था. उस दौरान शायद हम थोड़ी और चोट पहुँचाते."
यह बात कोई और नहीं भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक कह रहे हैं. इन्होंने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कारगिल युद्ध में सेना का नेतृत्व किया था.
उन्होंने बीबीसी हिंदी से कई मुद्दों पर बातचीत की है और पहलगाम हमले के बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' और उसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष पर अपनी राय खुलकर ज़ाहिर की.
16 मई को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात के भुज एयर फोर्स स्टेशन का दौरा किया था. इस दौरान कि "पाकिस्तान ने भारत द्वारा नष्ट किए गए अपने आतंकवादी ढाँचे का पुनर्निर्माण शुरू कर दिया है."
Visited the Bhuj Air Force Station in Gujarat today and interacted with our brave Air Warriors and soldiers from Armed Forces.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) May 16, 2025
Their selfless service and resolute determination reaffirm our confidence in their capabilities. Our Armed Forces stand ready to thwart any adversary,… pic.twitter.com/Pq4Lz5yi9s
इसी संदर्भ में हमने जनरल मलिक से पूछा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद क्या अब लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों से भारत को ख़तरा है?
जवाब में उन्होंने बताया, "ये जो संगठन हैं, ये अपने आप कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. मैंने कई साल, कई दशक तक देखा है कि इनको आईएसआई से पूरा सपोर्ट मिलता है. आपको मालूम है, आईएसआई पाकिस्तानी फ़ौज का हिस्सा है और इसलिए हमको तैयार रहना चाहिए.''
वे कहते हैं, "हम लोग इस वक़्त काफ़ी अच्छी स्थिति में हैं. आपने देखा कि जम्मू-कश्मीर में भी पिछले कई दिनों में हमने इनके कई नुमाइंदों को ख़त्म कर दिया है.. तो देखने की बात यह है कि आगे इन संगठनों को कितना समर्थन मिलता है.''
जनरल मलिक कहते हैं कि भारत ने जो सैन्य कार्रवाई की है, वह ज़रूरी तो थी, लेकिन अब यह देखना होगा कि क्या हम इससे अपना राजनीतिक मक़सद हासिल कर पाए हैं या नहीं?
उनका कहना है कि अगर नहीं कर पाए, तो हमें यह अंदाज़ा लगाना होगा कि हमारी कार्रवाई से पाकिस्तान को रोकने (डिटरेंस) में कितनी कामयाबी मिली? क्या हमने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कोई स्थाई डर या दबाव बनाया है? इस समय यह कहना मुश्किल है. हाँ, तात्कालिक रूप से पाकिस्तान पर असर ज़रूर पड़ा होगा.. लेकिन यह असर कितने समय तक बना रहेगा, यह तय नहीं है.
जनरल मलिक का कहना है, "जब मैंने कहा था कि शायद हमें 24 घंटे और अभियान चलाना चाहिए था तो उसका मतलब यही था कि हमें इस 'डिटरेंस' को और मज़बूत करना चाहिए था."

यहाँ यह समझना भी ज़रूरी है कि पाकिस्तान ने पहलगाम में हुए हमले की निंदा की और उसमें अपनी भूमिका से इंकार किया है. यही नहीं, पाकिस्तान ने उस मामले में एक निष्पक्ष जाँच में हिस्सा लेने का भी प्रस्ताव दिया था. हालाँकि भारत ने इसे सिरे से ख़ारिज कर दिया था.
जनरल वेद प्रकाश मलिक का जन्म 1939 में डेरा इस्माइल ख़ान में हुआ था. यह अब पाकिस्तान का एक शहर है. बतौर सेना अध्यक्ष उनका कार्यकाल एक अक्तूबर 1997 को शुरू हुआ और 30 सितंबर 2000 को ख़त्म हुआ.
जनरल मालिक ने अपने करियर की शुरुआत जून 1959 में की थी. वे भारतीय सेना के सिख लाइट इंफ़ैंट्री रेजिमेंट का हिस्सा थे.
रक्षा मंत्रालय के रिकॉर्ड के मुताबिक़, उन्होंने कारगिल युद्ध में नेतृत्व करने के अलावा चीन के ख़िलाफ़ साल 1962 की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था.
कारगिल युद्ध के दौरान समय-समय पर भारत अपनी कामयाबियों और नुक़सान दोनों की जानकारी साझा किया करता था.
इस बार भारत क्यों अपने नुक़सान की बात बताने से कतराता नज़र आ रहा है? और ऐसे मामलों में सच जानना कितना ज़रूरी है?
यही नहीं, पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारत के कई लड़ाकू विमान मार गिराए हैं. भारत ने इस पर सीधे कुछ नहीं कहा है. बस यह कहा है कि अपने मिशन को अंजाम देकर उसके पायलट सही सलामत वापस लौट आए हैं.
भारत ने यह भी कहा है कि सही समय आने पर इस मामले में और जानकारी साझा की जाएगी.
इन सवालों के जवाब में जनरल मलिक का कहना है, "सच हमेशा ज़रूरी होता है. सिर्फ़ अपनी कार्रवाई के लिए नहीं.. लेकिन इतिहास से सही सबक सीखने के लिए भी सच बहुत ज़रूरी होता है. कारगिल युद्ध में क्या हुआ, मैंने उस पर युद्ध ख़त्म होने के पाँच या छह साल बाद एक किताब लिखी. इसीलिए ताकि सच्चाई सबके सामने आ पाए.''
हालाँकि, वे ध्यान दिलाते हैं, "इस वक़्त सब कुछ बताने में दो मुश्किलें हैं. पहली बात तो यह है कि अभी भी लड़ाई चल रही है. हमने उस पर अस्थाई रूप से बस विराम लगाया है."
"दूसरा, लड़ाई के दौरान ऐसी बातें ज़्यादा डिटेल में हम नहीं रख सकते हैं. यह जो नुक़सान की बातें हैं, ये थोड़े दिनों बाद जब ठीक मौक़ा मिलेगा तब सामने आएंगी. इसमें मुझे कोई शक़ नहीं है कि भारत उसको छिपा कर नहीं रखेगा."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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