भारत सरकार ने कहा है कि उसने पेट्रोल में 20 फ़ीसद एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य हासिल कर लिया है. इसे मिशन ई20 नाम दिया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 में 20 फ़ीसद एथेनॉल मिले पेट्रोल को लॉन्च कर इस मिशन की शुरुआत की थी.
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया है कि सरकार ने भारत में बेचे जा रहे पेट्रोल में 20 फ़ीसद एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल कर लिया है.
हालांकि पेट्रोल वाहन मालिकों में इसे लेकर चिंता भी जताई जा रही है.
सोशल मीडिया में यह दावा किया जा रहा है कि इससे इंजन पर ख़राब असर पड़ सकता है और गाड़ियों में गड़बड़ियां आ सकती हैं. माइलेज भी कम हो सकता है.
लेकिन सरकार ने इन दावों को ख़ारिज किया कि ई20 या 20 फ़ीसदी एथेनॉल मिले पेट्रोल से गाड़ियों के इंजन ख़राब हो सकते हैं.
समय से पहले लक्ष्य पूरा
भारत सरकार ने साल 2014 में पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने की शुरुआत की थी, तब एथेनॉल को मिलाने की दर सिर्फ 1.5 फ़ीसदी थी.
जून 2022 में पेट्रोल में 10 फ़ीसदी एथेनॉल मिलाने का टारगेट हासिल कर लिया गया था.
और अब सरकार ने बताया है कि 2030 तक 20 फ़ीसदी एथेनॉल मिलाने का जो टारगेट तय किया गया था, उसे पांच साल पहले ही हासिल कर लिया गया है.
भारत सरकार का कहना है कि ई20 ईंधन योजना के तहत एक लीटर फ्यूल में 800 मिलीलीटर पेट्रोल और 200 मिलीलीटर एथेनॉल मिलाया जाता है. इससे देश की कच्चे तेल पर निर्भरता कम होगी. कार्बन उत्सर्जन घटेगा और गन्ना किसानों की आय बढ़ेगी.
लेकिन इस एथेनॉल ब्लेंड फ्यूल ने आम लोगों के मन में कुछ सवाल भी पैदा कर दिए हैं.
वो सवाल कर रहे हैं कि क्या एथेनॉल मिला पेट्रोल उनकी गाड़ी के लिए ठीक है.
क्या इससे उनकी गाड़ी के माइलेज पर असर पड़ रहा है. और किसी गाड़ी के लिए सबसे अच्छा पेट्रोल कौन सा होता है?
- दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों में चीन इस नई तकनीक के साथ कैसे बाकी देशों से आगे निकल रहा है?
- रूस का यह इनकार, भारत के लिए कितना बड़ा झटका, अब क्या है रास्ता
- डोनाल्ड ट्रंप ने अब कहा, 'हम अगले 24 घंटों में भारत पर टैरिफ़ बढ़ाने जा रहे हैं'
सबसे पहले तो एथेनॉल को समझिए, ये एक तरह का अल्कोहल है, जो गन्ने और मक्के से बनता है.
इसे पेट्रोल में मिलाकर फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है.
ये एथेनॉल ब्लेंड फ्यूल भी दो तरह के होते हैं : ई10 और ई20.
ई10 का मतलब है 90 फ़ीसदी पेट्रोल और 10 फ़ीसदी एथेनॉल. वहीं ई20 का मतलब है 80 फ़ीसदी पेट्रोल और 20 फ़ीसदी एथेनॉल.
- रूस से तेल की सप्लाई घटी तो भारत के पास क्या विकल्प होंगे और इनका असर क्या होगा?
- पाकिस्तान में तेल के 'विशाल भंडार' कहां हैं, जिसे लेकर ट्रंप ने किया समझौते का एलान
भारत सरकार ने 2023 में बीएस6-II नाम की वाहन उत्सर्जन मानक प्रणाली लागू की थी.
इसके तहत वाहन निर्माता कंपनियों को इंजन और उससे जुड़े पुर्जों को ई20 फ्यूल के अनुकूल बनाना अनिवार्य किया गया था.
लेकिन इससे पहले के सालों में बनाई गई गाड़ियां ज़्यादातर या तो बिना एथेनॉल वाले पेट्रोल या फिर ई10 पेट्रोल के लिए ही डिज़ाइन की गई हैं.
ऐसे में जिन्होंने 2023 से पहले गाड़ी खरीदी है उनके मन में शंकाएं ज़्यादा हैं.
पुडुचेरी यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर चुके और टू-व्हीलर गाड़ियों के एक्सपर्ट डॉ. कुमारन कहते हैं, "पेट्रोल पर बेस्ड इंजन सिस्टम और उसके पुर्जे उस फ्यूल के साथ ठीक से काम नहीं कर पाते जिसमें ज़्यादा एथेनॉल मिला होता है. इसलिए पुरानी गाड़ियों की पेट्रोल टंकी, गैसकेट और फ़्यूल पाइप जैसी चीज़ों को एथेनॉल के अनुकूल पुर्जों से बदलना ज़रूरी होगा."
क्या एथेनॉल बेस्ड फ्यूल डालने से गाड़ियों के माइलेज पर भी असर पड़ सकता है?
इस पर एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा कहते हैं, "एथेनॉल में पेट्रोल की तुलना में कम ऊर्जा होती है, इसलिए ई20 फ्यूल का इस्तेमाल करने पर माइलेज में गिरावट महसूस हो सकती है. हालांकि, इंजन के कुछ हिस्सों में बदलाव और सही ट्यूनिंग के ज़रिए माइलेज की इस कमी को सुधारा जा सकता है."
नरेंद्र तनेजा ये भी कहते हैं कि ई20 फ्यूल एक बायोफ्यूल है, तो इससे प्रदूषण कम फैलता है. इसलिए इसका इस्तेमाल अधिकतर देशों में हो रहा है. उनका कहना है कि भारत में तो अभी सिर्फ़ पेट्रोल में ही एथेनॉल मिलाया जा रहा है.अधिकतर बड़ी एसयूवी जैसी गाड़ियां डीज़ल पर चलती हैं. इसमें कुछ नहीं मिलाया जा रहा. दूसरे देशों में डीज़ल की भी एथेनॉल ब्लेंडिंग हो रही है.
- ट्रंप के टैरिफ़ के बाद क्या भारत और अमेरिका के रिश्ते और तल्ख़ होंगे?
- भारत पर लगाया टैरिफ़, फिर पाकिस्तान के साथ ट्रंप ने की तेल पर ये डील
- ट्रंप के टैरिफ़ वॉर से क्या भारत अब भी बच सकता है?
वहीं भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी इससे जुड़ी एक लंबी पोस्ट एक्स पर डाली है.
जिसमें उन्होंने बताया है कि ई20 फ्यूल से गाड़ियों पर कोई ख़राब असर नहीं पड़ रहा है. माइलेज में फर्क पड़ने वाली बात पर मंत्रालय ने लिखा है कि रेगुलर पेट्रोल की तुलना में एथेनॉल की एनर्जी डेंसिटी कम होने की वजह से, माइलेज में मामूली कमी आती है. इससे ई20 के लिए डिज़ाइन और कैलिब्रेट किए गए फोर-व्हीलर में एक से दो फ़ीसदी माइलेज कम होता है.
बाकी गाड़ियों के लिए ये लगभग तीन से छह फ़ीसदी है. हालांकि एफिशिएंसी के मामले में इस मामूली गिरावट को बेहतर इंजन ट्यूनिंग और ई20 कम्प्लायंट एलिमेंट के ज़रिए कम किया जा सकता है.
मंत्रालय ने ये भी बताया है कि एथेनॉल ब्लेंड पेट्रोल कार्बन उत्सर्जन को कम करता है.
- ट्रंप ने कहा भारत अच्छा दोस्त लेकिन टैरिफ़ को लेकर अब दी ये चेतावनी
- भारत में मिडिल क्लास के सपनों पर मंडरा रहा है ये ख़तरा
- अमेरिका, ब्रिटेन नहीं इस देश का पासपोर्ट है सबसे ताक़तवर, भारत कितना मज़बूत

फिर सवाल ये है कि हमारी गाड़ियों के लिए सबसे अच्छा पेट्रोल कौन सा होगा?
इस पर नरेंद्र तनेजा बताते हैं कि आमतौर पर पेट्रोल जितना प्योर होगा, वो उतना ज्यादा गाड़ी को पावर देगा और माइलेज भी ज्यादा देगा.
बाज़ार में नॉर्मल और प्रीमियम कैटेगरी के फ्यूल भी मिलते हैं.
तनेजा बताते हैं कि प्रीमियम कैटेगरी के पेट्रोल में ज्यादा पावर होती है लेकिन वो उतना ही महंगा भी मिलता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
- ग्लोबल ब्रांड्स को भारत से प्यार, पर क्रेडिट से परहेज़ क्यों? वजह ये तो नहीं
- एस. जयशंकर की चीन यात्रा क्या पाकिस्तान और अमेरिका के लिए एक संदेश है?
- नॉन वेज मिल्क क्या है जिसे भारत में बेचना चाहता है अमेरिका
You may also like
Love Rashifal : आज किन राशियों को मिलेगी प्यार की सौगात और किन्हें रिश्ता टूटने का दर्द ? एक क्लिक में जानिए अपनी लव लाइफ का हाल
मंडोर एक्सप्रेस में सुरक्षा पर सवाल, जयपुर के पास चोरी की सनसनीखेज वारदात
खेल मंत्रालय ने बदली सार्वजनिक प्राधिकरण की परिभाषा! आरटीआई के दायरे से बाहर हुआ बीसीसीआई
Aaj Ka Panchang 7 August 2025: त्रयोदशी पर बन रहे हैं विशेष योग, जानिए पूजा-पाठ का शुभ मुहूर्त और राहुकाल की पूरी जानकारी
Stocks to Buy: आज Sarda Energy और Kirloskar Oil समेत ये शेयर कराएंगे फायदा, तेजी के संकेत