अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ने दुनिया के तमाम देशों में हंगामा मचा दिया है. अमेरिका से लेकर एशियाई मार्केट तक हाहाकार है. जिसके कारण अब ब्लैक मंडे 2.0 की संभावनाएं तेज हो गई है. ट्रंप के टैरिफ ने दुनिया भर के देशों में हलचल मचा दी है. केवल भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट देखी जा रही है. टैरिफ के असर से अमेरिकी शेयर बाजार भी बच नहीं पाया. अब अमेरिकी टीवी पर्सनैलिटी और बाजार विश्लेषक जिम क्रेमर ने भी सोमवार को दुनिया भर के शेयर बाजार में भारी गिरावट की चेतावनी दी है. क्या ब्लैक मंडे 2.0 आने वाला है?दुनिया भर के शेयर बाजारों की स्थिति को देखकर सवाल उठाए जा रहा है कि क्या ब्लैक मंडे 2.0 आने वाला है? जानते हैं आखिर क्या है यह ब्लैक मंडे. 19 अक्टूबर, 1987 को ऐसा क्या हुआ था जिसे दुनिया भर का शेयर बाजार अभी तक भूल नहीं पाया है. 19 अक्टूबर, 1987 को क्या हुआ था?19 अक्टूबर, 1987 दिन सोमवार को वैश्विक स्तर पर स्टॉक मार्केट के इतिहास से जुड़ी एक ऐसी घटना घटी थी, जब अमेरिकी शेयर बाजार में भारी तबाही मच गई थी. जिसका असर दुनिया भर में देखने को मिला था. 22.6% की भारी गिरावट से मची थी तबाही19 अक्टूबर, 1987 को अमेरिका में डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 22.6% की गिरावट आई, जो एक दिन में सबसे बड़ी प्रतिशत गिरावट थी. इसलिए इसे ब्लैक मंडे कहा गया. इस दिन डाउ जोन्स 508 अंक गिरकर 1,738.74 पर बंद हुआ था. इस घटना ने केवल अमेरिकी बाजार को ही प्रभावित नहीं किया बल्कि इसके कारण हॉन्ग कॉन्ग, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अन्य बाजारों में भी भारी बिकवाली हुई. डर गए थे निवेशइस घटना के कारण निवेशकों में डर फैल गया था, जिसके कारण निवेशकों ने अपने स्टॉक बड़े पैमाने पर बेच दिए. निवेशकों के इस रवैया के कारण बाजार में अस्थिरता बढ़ गई. ब्लैक मंडे के लिए ये कारक थे जिम्मेदार19 अक्टूबर, 1987 को दुनिया भर के शेयर बाजार में मचे त्राहिमाम के पीछे के एक नहीं बल्कि कई कारण थे. 1. कंप्यूटर आधारित ट्रेडिंग का उस समय प्रचलन काफी बढ़ रहा था. जिसके कारण निवेशक पोर्टफोलियो इंश्योरेंस की नीति अपना रहे थे, जिससे बाजार गिरने पर ऑटोमेटेकली बिकवाली के आर्डर दिए जाते थे. इसके कारण भी गिरावट तेज हो गई थी. 2. 1980 के दशक में शेयर्स की कीमत तेजी से बढ़ने लगी थी, जिसके कारण निवेशकों को लगने लगा था कि कीमतें वास्तविक मूल्य से ज्यादा हैं. 3. इन्वेस्टर उधर यानि मार्जिन पर स्टॉक खरीद रहे थे. जब इन स्टॉक की कीमत गिरने लगी तो ब्रोकरेज ने मार्जिन कॉल की, जिसके कारण कई निवेशकों को मजबूरी में बिकवाली करनी पड़ी. 4. इस समय जैसे ट्रंप के टैरिफ के कारण निवेशक डर के माहौल में है. वैसे ही उस समय भी कुछ दिन पहले बाजार में छोटी गिरावट से निवेशकों में घबराहट शुरू हो गई थी. जिसका असर 19 अक्टूबर को भारी गिरावट के रूप में देखने को मिला. 5. आज के जैसे उस समय ट्रेडिंग सिस्टम और नियम इतनी मजबूत नहीं थे, जिसके कारण ऑर्डर की बाढ़ को संभालने में काफी देरी हुई और इससे भ्रम की स्थिति बन गई. ब्लैक मंडे को देखने के बाद काफी सुधार और सबक लिए गए. सर्किट ब्रोकर जैसे नियम लागू किए गए. 19 अक्टूबर, 1987 मे आई इस भारी गिरावट के बाद से अब तक शेयर बाजार में इस तरह की कोई मंदी दिखाई नहीं दी है. ब्लैक मंडे 2.0?अमेरिकी शेयर बाजारों में 4 अप्रैल दिन शुक्रवार को सबसे खराब सत्र और कोरोना महामारी के बाद सबसे बड़ी गिरावट देखने के बाद कई विशेषज्ञों ने ब्लैक मंडे 2.0 के चेतावनी दी थी. जिम क्रेमर का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ के कारण बाजार को फिर से 1987 के जैसी बड़ी गिरावट देखनी पड़ सकती है.
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