अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की घोषणाओं के बाद दुनिया भर के शेयर बाजारों का हाल बेहाल हो चुका है. 7 अप्रैल दिन सोमवार को स्टॉक मार्केट में आए इस भूचाल के कारण निवेशक डरे हुए हैं. अब निवेशकों को सर्किट ब्रेकर का भय सता रहा है. भारतीय शेयर बाजार में आई बड़ी गिरावट के बाद क्या Market Halt की नौबत आ जाएगी? क्या ऐसा हो सकता है कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग रुक सकती है? क्या होता है सर्किट ब्रेकर क्या है?ट्रंप के टैरिफ़ के कारण आई गिरावट से निवेशक डरें हुए हैं. ऐसे में निवेशकों को सर्किट ब्रेकर का भय सता रहा है. कई लोगों के मन में यह सवाल उठ सकता है कि आखिर यह सर्किट ब्रेकर क्या है? जिससे बड़े-बड़े निवेशक भी घबराए हुए हैं. जानते हैं सर्किट ब्रेकर से जुड़ी सारी जानकारियां जो निवेशकों को पता होनी चाहिए.जब शेयर बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव की स्थिति आ जाती है तो उसे नियंत्रित करने के लिए सर्किट ब्रेकर यानी आपातकालीन ब्रेक लगाया जाता है. ताकि बाजार में आई तेज गिरावट या उछाल के दौरान ट्रेडिंग को अस्थाई रूप से रोका जा सके. यह एक स्वचालित तंत्र है. जिसका उद्देश्य निवेशकों को घबराहट में फैसले लेने से बचाना और बाजार को स्थिरता प्रदान करना है. उदाहरण से समझते हैं- यदि भारत में सेंसेक्स या निफ्टी में एक निश्चित प्रतिशत जैसे 10 या 20% की गिरावट आ जाए तो सर्किट ब्रेकर लागू हो जाएगा. जैसे ही यह लागू होता है वैसे ही कुछ देर के लिए ट्रेडिंग रुक जाती है. जो कुछ मिनट या घंटे के लिए हो सकती है. सर्किट ब्रेकर की शुरुआत 2 जुलाई 2001 को की गई थी.सर्किट ब्रेकर क्यों है जरूरी बाजार में आई तेज गिरावट या उछाल के दौरान निवेशकों को सोचने का समय देना और ऑर्डर बुक को व्यवस्थित करने के लिए सर्किट ब्रेकर लगाया जाता है. यह बाजार के दहशत को कम करने के लिए लागू किया जाता है. यदि स्थिति ज्यादा गंभीर होती है तो इसे पूरे दिन के लिए लगाया जा सकता है. ट्रंप के टैरिफ के कारण दुनिया भर के शेयर बाजार में भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है. जिसके कारण निवेशकों को सर्किट ब्रेकर का भय सताने लगा है. सर्किट ब्रेकर के नियम देश व बाजार के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं. निवेशकों को क्यों सता रहा भय?अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ़ नीतियों के कारण वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट दिखाई दे रही है. जब बाजार तेजी से नीचे जाता है या ऊपर उठता है तो सर्किट ब्रेकर की संभावना बढ़ जाती है. अभी दुनिया भर के बाजारों में भारी गिरावट के कारण इसकी आशंका बड़ी हुई है. निवेशकों को इसका भय इसलिए सता रहा है क्योंकि यह बाजार में असामान्य स्थिति और बड़े नुकसान का संकेत देता है. यदि सर्किट ब्रेकर लागू हो जाता है तो ट्रेडिंग रुक जाती है. निवेशक शेयर तुरंत खरीद या बेच नहीं सकते, जिसके कारण या तो उनका नुकसान बढ़ सकता है या फिर मुनाफा कमाने का मौका छिन सकता है. यह निवेशकों में अनिश्चित की स्थिति और घबराहट को बढ़ाता है. हालांकि यह बाजार को स्थिरता प्रदान करने के लिए ही लाया जाता है. ट्रंप के टैरिफ ने मचाई अफरातफारीअमेरिकी प्रेसिडेंट ने 2 अप्रैल 2025 को कई देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की. जैसे भारत पर 26 %, चीन पर 34 % और अन्य देशों पर 10 से लेकर 49% तक टैरिफ लगाया है. ट्रंप ने भारी टैरिफ अमेरिकी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लगाया है, लेकिन इससे ट्रेड वॉर की आशंका बढ़ रही है. इसके असर से अमेरिकी शेयर बाजार भी अछूता नहीं रहा. अमेरिकी बाजारों जैसे डाउ जोन्स, नैस्डैक में भारी गिरावट देखी गई, जिसका असर एशियाई बाजारों जैसे जापान का निक्केई पर भी दिखाई दे रहा है.चीन जैसे देशों ने जवाबी टैरिफ लगाए, जिसके कारण वैश्विक व्यापार व्यापार युद्ध की आशंका और बढ़ गई है.
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