हरियाणा अपडेट: जनवरी 2025 में केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी है, जिससे लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। इस निर्णय से यह उम्मीद की जा रही थी कि कोरोना महामारी के दौरान रोके गए 18 महीने के महंगाई भत्ते (DA) का बकाया भी मिल सकता है, लेकिन अब सरकार ने इस पर स्पष्टता प्रदान की है।
सरकार का स्पष्टीकरण
बकाया डीए नहीं मिलेगा
वित्त मंत्रालय ने संसद में एक लिखित उत्तर में स्पष्ट किया है कि 18 महीने का डीए और डीआर (Dearness Relief) का बकाया जारी नहीं किया जाएगा। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि महामारी के दौरान सरकारी खर्चों में तेजी से वृद्धि हुई थी। कोविड-19 के दौरान सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड की व्यवस्था की, जिससे वित्तीय बोझ बढ़ गया था। इसी कारण वर्ष 2020 से 2021 के बीच डीए और डीआर की तीन किस्तें रोक दी गई थीं।
डीए बकाया ना देने का कारण
सरकार का तर्क
सरकार का कहना है कि वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है और अब इन रोकी गई किस्तों को वापस जारी करने की कोई योजना नहीं है। यह जानकारी समाजवादी पार्टी के सांसद आनंद भदौरिया द्वारा पूछे गए सवाल पर दी गई।
वर्तमान डीए की स्थिति
कितना मिल रहा है डीए?
वर्तमान में, केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार 53% की दर से डीए और डीआर मिल रहा है। इसका मतलब है कि उनकी बेसिक सैलरी पर 53% के हिसाब से डीए दिया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि 8वें वेतन आयोग के लागू होने से पहले डीए में दो बार और वृद्धि हो सकती है।
8वें वेतन आयोग का गठन
सैलरी में बदलाव की संभावना
जनवरी 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। इस आयोग का उद्देश्य कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में समयानुकूल संशोधन करना है। इससे पहले 7वें वेतन आयोग का गठन 2014 में हुआ था और उसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गई थीं। यह आयोग 2026 तक प्रभावी रहेगा, लेकिन केंद्र सरकार ने समय पर नई सिफारिशें प्राप्त करने के लिए 8वें आयोग की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
8वें वेतन आयोग के लाभ
कर्मचारियों को होगा फायदा
8वें वेतन आयोग के लागू होने से कर्मचारियों की सैलरी में अच्छी-खासी बढ़ोतरी की उम्मीद है। अनुमान है कि फिटमेंट फैक्टर 2.86 तक हो सकता है, जिससे न्यूनतम सैलरी 18,000 से बढ़कर 51,480 रुपये तक पहुंच सकती है। इसी तरह, अन्य स्तरों के कर्मचारियों की पेंशन और सैलरी में भी महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
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