हिंदू धर्म में विवाह के 8 प्रकार: विवाह एक ऐसा बंधन है, जो एक व्यक्ति द्वारा किए गए वचन का प्रतीक है। यह एक ऐसा संबंध है, जो एक बार जुड़ जाने पर जीवनभर बना रहता है। विवाह का यह बंधन खून के रिश्ते से नहीं, बल्कि दो दिलों के मिलन से बनता है। क्या आपने कभी विवाह के विभिन्न प्रकारों के बारे में सोचा है? आइए, हम आपको विवाह के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानकारी देते हैं।
हिंदू धर्म के शास्त्रों में विवाह के आठ प्रकारों का उल्लेख किया गया है, जो उस समय की सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाते हैं। ये विभिन्न प्रकार विवाह की प्रकृति और उनके उद्देश्यों को समझने में सहायक होते हैं।
1. ब्रह्म विवाह
यह विवाह का सबसे पवित्र और उच्चतम प्रकार माना जाता है। इसमें कन्या का विवाह एक योग्य, विद्वान और धर्मपरायण व्यक्ति से होता है। इस विवाह में दहेज या किसी प्रकार के लेन-देन का स्थान नहीं होता। इसे आदर्श विवाह के रूप में देखा जाता है।
2. दैव विवाह
इस प्रकार के विवाह में कन्या का विवाह एक यज्ञ या धार्मिक अनुष्ठान के पुरोहित से किया जाता था। यह तब होता था जब कन्या के माता-पिता यज्ञ में भाग लेने वाले पुरोहित को अपनी कन्या का दान देते थे। इसे यज्ञ और धर्म का सहयोग माना जाता था।
3. आर्ष विवाह
इसमें वर पक्ष, कन्या पक्ष को गाय या अन्य संपत्ति उपहार के रूप में देता था। यह लेन-देन सम्मान और सहयोग के रूप में होता था, न कि दहेज के रूप में। यह विवाह वेदों के नियमों के अंतर्गत होता था।
4. प्रजापत्य विवाह
यह विवाह माता-पिता की सहमति और सामाजिक मान्यता के आधार पर होता था। इसमें न तो उपहार दिया जाता था, न ही कोई दान-दहेज का आदान-प्रदान होता था। यह विवाह समानता और सहयोग पर आधारित होता था।
5. असुर विवाह
इस प्रकार के विवाह में वधू को धन देकर खरीदा जाता था। यह सामान्यतः समाज के निम्न वर्गों में प्रचलित था और इसे शास्त्रों में अनुचित और अनैतिक माना गया है।
6. राक्षस विवाह
इसमें महिला को बलपूर्वक अपहरण कर विवाह किया जाता था। यह युद्धों और लड़ाइयों के दौरान प्रचलित था, जब विजेता पक्ष वधू को जबरदस्ती उठा ले जाता था। इसे शास्त्रों में हिंसक और अनुचित विवाह की श्रेणी में रखा गया है।
7. पिशाच विवाह
यह विवाह छल-कपट या धोखे से किया जाता था। इसमें वधू या वर की सहमति के बिना विवाह संपन्न होता था। इसे भी अनुचित और शास्त्रविरुद्ध माना गया है।
8. गंधर्व विवाह
यह विवाह प्रेम और आपसी सहमति के आधार पर होता है। इसमें वर और कन्या दोनों बिना किसी सामाजिक रीति-रिवाज के अपने निर्णय से विवाह करते हैं। इसे शास्त्रों में स्वीकृत किया गया है और इसे प्रेम विवाह का प्रारंभिक रूप माना जा सकता है।
निष्कर्ष
इन आठ प्रकार के विवाहों में ब्रह्म विवाह, दैव विवाह, आर्ष विवाह, और प्रजापत्य विवाह को शास्त्रों में श्रेष्ठ और आदर्श माना गया है। जबकि असुर, राक्षस, पिशाच, और गंधर्व विवाह को समाज की विभिन्न परिस्थितियों और कमजोरियों के प्रतीक के रूप में देखा गया है।
You may also like
विल ओ'रूर्के ज़िम्बाब्वे टेस्ट से बाहर, बेन लिस्टर को टीम में जगह
Rajasthan weather update: आज इन पांच संभागोंं के लिए जारी हुआ है बारिश का अलर्ट, कल से बदलेगा मौसम
'जब उसने अंंतिम विकेट लिया...' हार के बाद बिखरे मैकुलम, लेकिन सिराज के लिए कह गए ये बड़ी बात
Stocks in News 6 August 2025: Sandur Manganese, Paytm, Britannia, Trent सहित इन शेयरों में दिख सकती है हलचल
318 गुना सब्सक्राइब हुआ Flysbs Aviation IPO, GMP 100%, आज होगा शेयर अलॉटमेंट, जानें डिटेल्स