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आचार्य चाणक्य की 5 शिक्षाएं जो दुख को दूर रख सकती हैं

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दुख और सुख का चक्र

इस संसार में ऐसा कोई भी घर नहीं है जो किसी न किसी कलंक से मुक्त हो। कौन ऐसा है जो रोग या दुख से बचा हुआ है? सुख हमेशा के लिए किसके पास है? ये विचार आचार्य चाणक्य के हैं। आप भी इस बात से सहमत हो सकते हैं।


सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, जो समय-समय पर आते-जाते रहते हैं। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने दुख का सामना नहीं किया हो। आचार्य चाणक्य इस सत्य को भली-भांति समझते थे।


दुख को दूर करने के उपाय

आचार्य चाणक्य का मानना है कि इंसान अपने आचरण में सुधार करके जीवन में आने वाली परेशानियों को रोक सकता है। सही आचरण से दुख को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस विषय पर उन्होंने अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में विस्तार से चर्चा की है। आज हम आपको आचार्य चाणक्य की 5 महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं। यदि आप इन बातों को समझ लेते हैं, तो दुख आपके जीवन में आसानी से प्रवेश नहीं कर पाएगा।


आचार्य चाणक्य की 5 बातें जो दुख को रोकती हैं:image


1. आचार्य चाणक्य के अनुसार, किसी व्यक्ति के कुल की प्रतिष्ठा उसके आचरण से होती है। बातचीत से देश की इज्जत बढ़ती है, प्रेम से मान-सम्मान में वृद्धि होती है, और भोजन से शरीर की शक्ति बढ़ती है। इसलिए, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए अपने आचरण में बदलाव लाना चाहिए।


2. चाणक्य कहते हैं कि परोपकार और तप से तुरंत पुण्य मिलता है, लेकिन यह ध्यान रखें कि दान योग्य व्यक्ति को ही दिया जाए। योग्य व्यक्ति को दिया गया दान दूसरों के लिए भी लाभकारी होता है। इस प्रकार का पुण्य लंबे समय तक आपके साथ रहता है।


3. आचार्य चाणक्य के अनुसार, जन्म से अंधा व्यक्ति अपनी मजबूरी के कारण देख नहीं पाता, लेकिन जो लोग वासना, अहंकार और धन के पीछे भागते हैं, वे खुद को अंधा बना लेते हैं। ऐसे लोगों को अपने कार्यों में पाप दिखाई नहीं देता। इसलिए, हमें इन भावनाओं से दूर रहना चाहिए।


4. चाणक्य कहते हैं कि यदि आप किसी लालची को संतुष्ट करना चाहते हैं, तो उसे उपहार दें। कठोर व्यक्ति को संतुष्ट करने के लिए हाथ जोड़ें, मूर्ख को सम्मान दें, और विद्वान को हमेशा सच बोलें। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं।


5. आचार्य चाणक्य के अनुसार, हाथों की शोभा गहनों से नहीं, बल्कि दान देने से होती है। निर्मलता जल से नहाने से आती है, न कि चंदन के लेप से। व्यक्ति को भोजन खिलाने से नहीं, बल्कि सम्मान देने से संतोष मिलता है। खुद को सजाने से बुद्धि नहीं मिलती, इसलिए आध्यात्मिक ज्ञान को जागृत करना आवश्यक है।


यदि आप आचार्य चाणक्य की ये 5 बातें अपने जीवन में उतार लेते हैं, तो दुख आपके जीवन में प्रवेश नहीं कर पाएगा।


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