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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे: पर्यावरण के अनुकूल सुरंग का निर्माण पूरा

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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की नई उपलब्धि


दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे समाचार: देश के सबसे बड़े एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। मोदी सरकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत विकसित हो रहे इस हाई-स्पीड कॉरिडोर पर राजस्थान की अरावली पहाड़ियों के बीच 4 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण कार्य लगभग समाप्त हो चुका है। यह सुरंग न केवल आधुनिक तकनीक का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि इसे पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल तरीके से बनाया गया है, ताकि जंगलों में रहने वाले जानवरों को कोई परेशानी न हो।


सुरंग का महत्व और निर्माण

सुरंग का मार्ग और संरचना:

यह सुरंग राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स और टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है। निर्माण के दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि वहां की वाइल्डलाइफ को कोई नुकसान न पहुंचे। सुरंग में दो लेन बनाई गई हैं, जिनमें से एक लेन का निर्माण पूरा हो चुका है और दूसरी लेन पर अंतिम चरण का कार्य चल रहा है। इस सुरंग के चालू होते ही ट्रैफिक का दबाव कम होगा और यातायात में बड़ी राहत मिलेगी।


दिल्ली से मुंबई का सफर अब आसान 10 घंटे में दिल्ली से मुंबई:

गुरुग्राम से वडोदरा को जोड़ने वाला यह हाई-स्पीड कॉरिडोर अब लगभग तैयार है। पहले दिल्ली से मुंबई की यात्रा में 20 से 22 घंटे लगते थे, लेकिन अब यह सफर केवल 10 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। राजस्थान की पहाड़ियों को पार करने के लिए बनाई गई यह सुरंग इस प्रोजेक्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे यात्रा सुगम हो गई है।


एक्सप्रेसवे का विकास और भविष्य

देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे:

1380 किलोमीटर लंबा यह दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है और यह देश का सबसे लंबा और अत्याधुनिक एक्सप्रेसवे है। इसे कई सेक्शन में विभाजित किया गया है, जिनमें से दिल्ली से दौसा तक का हिस्सा पहले ही जनता के लिए खोल दिया गया है। अन्य हिस्सों पर तेजी से काम चल रहा है और सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, यह एक्सप्रेसवे अक्टूबर 2025 तक पूरी तरह चालू हो जाएगा।


भविष्य के लिए तैयार एक्सप्रेसवे

विकास की नई दिशा:

इस एक्सप्रेसवे की चौड़ाई 21 मीटर है और इसमें वर्तमान में 8 लेन बनाई गई हैं, लेकिन भविष्य में इसे 12 लेन तक बढ़ाने की योजना है। यह सुरंग भारत की पहली ऐसी टनल है, जो इको-सेंसिटिव जोन के बीच बनाकर पर्यावरण की रक्षा करते हुए तेज रफ्तार यात्रा को संभव बनाती है।


व्यापार और पर्यटन को मिलेगा लाभ

टूरिज्म और लॉजिस्टिक्स में वृद्धि:

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे न केवल यात्रियों के लिए यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि यह राजस्थान के कोटा, दौसा, और उदयपुर जैसे शहरों में पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। इसके अलावा, गुड़गांव, वडोदरा और मुंबई के बीच व्यापारिक यात्रा और लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को भी बड़ा लाभ होगा। ट्रांसपोर्ट कंपनियां कम समय में अधिक दूरी तय कर सकेंगी, जिससे उनके खर्च में कमी आएगी और समय की बचत होगी।


एक नई इन्फ्रास्ट्रक्चर कहानी

यह एक्सप्रेसवे भारत की इन्फ्रास्ट्रक्चर कहानी में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है, जो ना केवल विकास को गति देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण भी बनेगा।


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