आज हम आपको एक ऐसा बरगद का पेड़ बताने जा रहे हैं जिस पर मौत का साया भटकता रहता है. कोई भी इस बरगद के पेड़ से छेड़खानी करता है तो वो मौत को गले लगा लेता है.हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा के अलावा कुछ पेड़-पौधे जैसे तुलसी, पीपल और बरगद को भी पूजा जाता है. हर घर में सुबह-सुबह तुलसी के पौधे की जल चढ़ाकर पूजा की जाती है, तो वहीं हर शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाया जाता है, इसके अलावा बरगद के पेड़ की भी साल में एक बार बड़ी पूजा की जाती है. जिसमें महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों तरफ कलावा बांधकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखती हैं, लेकिन कभी आपने बरगद के पेड़ को “मौत के पेड़” के नाम से नहीं सुना होगा.
इस पेड़ को “मौत का पेड़” कहा जाता है
खून का प्यासा ये बरगद का पेड़ पंजाब के फतेहगढ़ के साहिब जिले में हैं. बताया जाता है कि इस बरगद के पेड़ के पास जाने से ही लोग कांंपते हैं, क्योंकि जो भी इस पेड़ के पास जाता है वो ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाता है यहां तक कि जिस खेत में इस पेड़ की जड़ें फैलने लगती हैं वहां किसान खेती करना छोड़ देते हैं.
किसानों में हैं इस बरगद के पेड़ का “खौफ”
500 साल पुराने इस बरगद के पेड़ की मान्यता है, कि अगर जो भी इसकी बढ़ी हुई जड़ों को काटने की कोशिश भी करता है तो उसके परिवार में किसी ना किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है.
श्राप या अंधश्रद्धा?
इस खौफनाक बरगद के पेड़ की इस मान्यता के पीछे की वजह ये मानी जाती है, कि कई साल पहले इस जगह पर एक संत आया था. जिन्होंने एक किसान के संतान ना होने की बात सुनी थी, जिसके बाद उस संत ने किसान को एक भस्म पत्नी को खिलाने के लिए दी, लेकिन किसान की पत्नी ने उस भस्म को खाने से मना कर दिया. जिसके बाद किसान वापस आकर संत को भस्म लौटाने लगा जिसे संत ने वापस लेने से इंकार कर दिया, तो किसान ने वो भस्म वहीं जमीन पर रख दी. कुछ समय बाद उस जगह पर एक बरगद का पेड़ उग आया जो आज तक लोगों के लिए मौत का साया बना है.
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