रांची, 7 अप्रैल . झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के विकास की योजनाओं पर राशि के आवंटन में कटौती का आरोप लगाया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर और पूर्व वित्त मंत्री एवं पार्टी के वरिष्ठ विधायक रामेश्वर उरांव ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए इन दोनों समुदायों के सब-प्लान (उप योजना) को लेकर केंद्र से कानून बनाने की मांग की.
नेताओं ने कहा कि सब-प्लान का बजट न केवल लगातार घटाया जा रहा है, बल्कि इसकी राशि दूसरी योजनाओं में खर्च की जा रही है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा कि हमारे नेता राहुल गांधी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए सब-प्लान को कानूनी रूप देने की मांग उठाई है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में पहली बार एससी-एसटी के लिए सब-प्लान की शुरुआत हुई. इसका उद्देश्य यह था कि इन तबकों का सामाजिक और आर्थिक उन्नयन हो सके. पिछले 10 वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि केंद्र की भाजपा सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए बजट में कटौती की है.
झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सब-प्लान में वर्ष 2021 से 2024 तक केवल 3,500 करोड़ रुपए दिए गए. जबकि, 10 वर्षों में यह राशि 11 लाख करोड़ होनी चाहिए थी. ऐसे में सब-प्लान को कानून का रूप देने की मांग संवैधानिक है. इससे सरकारें इन समुदायों के विकास के ठोस कदम उठाने को कानूनी तौर पर बाध्य होंगी. मौजूदा केंद्र सरकार इन वर्गों की उपेक्षा कर रही है.
राज्य के पूर्व वित्त मंत्री और विधायक रामेश्वर उरांव ने कहा कि वे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उन्होंने यह अनुभव किया है कि एसटी सब-प्लान का पैसा इन वर्ग के विकास पर खर्च करने के बजाय किस तरह अन्यत्र खर्च किया जाता है. वह जानते हैं कि कई राज्यों में अनुसूचित जनजाति सब-प्लान की राशि से पुलिस के लिए गोलियां खरीदी गईं और एयरपोर्ट पहुंचने के लिए सड़क बनाई गई.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि नियम 275-(1) के अनुसार केंद्र सरकार आदिवासियों के कल्याण के लिए एससी-एसटी सब-प्लान की राशि देती है. लेकिन, वह राशि राज्य में आते-आते खत्म हो जाती है. इसीलिए राहुल गांधी कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. पूर्व मंत्री ने कहा कि विशेष ऑडिट होना चाहिए, ताकि पता चल सके कि अब तक राशि कहां खर्च हुई है.
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एसएनसी/एबीएम
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