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स्ट्रीट डॉग्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राम गोपाल वर्मा ने उठाए सवाल

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Mumbai , 22 अगस्त . ‘सत्या’, ‘डेंजरस’, ‘नेकिड’, ‘रंगीला’, और ‘डेंजरस’ जैसी फिल्में बना चुके फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा ने सोशल मीडिया पर Supreme court की ओर से दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर दिए संशोधित आदेश पर कई सवाल उठाए हैं.

राम गोपाल वर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट जारी किया, जिस पर उन्होंने लिखा, “Supreme court ने कहा है कि आवारा (सड़क पर घूमने वाले) कुत्तों को पकड़कर पहले उनका टीकाकरण किया जाए और फिर उन्हें उसी जगह वापस छोड़ा जाए जहां से पकड़ा गया था.

उन्होंने सवाल किया कि कुत्तों का वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट किसी बच्चे को सड़क पर काटे जाने या मारे जाने से कैसे बचाएगा? क्या कुत्ता अपनी मेडिकल फाइल को पढ़कर तय करेगा कि काटना है या नहीं? यानी, कुत्तों को कहीं और नहीं ले जाया जाएगा. उनका इलाज करके वहीं वापस छोड़ा जाएगा.

उन्होंने यह भी पूछा कि जो आक्रामक या रेबीज संक्रमित कुत्ते छोड़े नहीं जाएंगे, क्या उन्हें जांचने के लिए हमारे पास पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ और बजट है?

निर्देशक ने पूछा, “क्या हर कुत्ते का मानसिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड किया जाएगा? अगर कोई कुत्ता एक पल काटे और अगले पल पूंछ हिलाए, तो वह आक्रामक है या दोस्ताना? क्या वकीलों, पशु प्रेमियों, डॉक्टरों और कुत्तों के साइकोलॉजिस्ट की टीम उनकी मानसिक स्थिति तय करेगी?” उन्होंने आगे कहा, “क्या Supreme court हजारों विशेष अदालतें बनाएगा जो यह तय करेंगी कि किसी कुत्ते को छोड़ा जाए या नहीं?”

कोर्ट के ‘पब्लिक प्लेस में डॉग फीडिंग प्रतिबंधित’ और ‘निर्धारित स्थानों पर ही खाना देने’ के आदेश पर भी वर्मा ने सवाल खड़े किए. उन्होंने पूछा, “ये निर्धारित स्थान कौन तय करेगा और किस आधार पर? और क्या स्ट्रीट डॉग्स को इन जगहों का रास्ता बताने के लिए गूगल मैप मिलेगा?”

वर्मा ने यह भी पूछा कि क्या कुत्तों के एक इलाके से दूसरे में पलायन को रोकने की कोई योजना है? आखिर में उन्होंने Supreme court से यह जानना चाहा कि आदेश में कुत्ता हमलों के पीड़ितों, खासकर मारे गए बच्चों का जिक्र क्यों नहीं है?

राम गोपाल वर्मा ने Supreme court से अनुरोध किया है कि वह इन सभी पहलुओं पर विचार करें, ताकि अंतिम आदेश सभी के हित में हो.

बता दें कोर्ट के आदेश के अनुसार, स्ट्रीट डॉग्स को पकड़कर उन्हें नसबंदी, टीकाकरण और डीवॉर्मिंग के बाद फिर से उसी इलाके में छोड़ा जाएगा जहां से उन्हें पकड़ा गया था. हालांकि, यह नियम पागल (रेबीज संक्रमित) या आक्रामक बर्ताव करने वाले कुत्तों पर लागू नहीं होगा.

एनएस/एएस

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