रूस से तेल खरीद और टैरिफ मुद्दों को लेकर वाशिंगटन और दिल्ली के बीच जारी तनाव के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच एक विशेष और मजबूत रिश्ता है, जिसमें किसी प्रकार की चिंता की जरूरत नहीं है। ट्रंप ने शुक्रवार को ओवल ऑफिस में कहा, "मैं हमेशा नरेंद्र मोदी का मित्र रहूंगा। वह एक महान प्रधानमंत्री हैं, लेकिन इस खास समय में उनके कुछ फैसले मुझे पसंद नहीं आए।"
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यह बयान ऐसे समय में दे रहे थे जब दोनों देशों के बीच संबंध पिछले कई दशकों में शायद सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं।
पीएम मोदी के साथ मजबूत दोस्ताना संबंध
ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्हें यह देखकर निराशा हुई कि भारत रूस से इतनी बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर यह प्रतिक्रिया दी कि अमेरिका ने भारत और रूस के बीच व्यापारिक गतिरोध को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। इसके बावजूद, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके प्रधानमंत्री मोदी के साथ संबंध हमेशा अच्छे रहे हैं। ट्रंप ने याद दिलाया कि मोदी हाल ही में अमेरिका आए थे और उनके साथ मुलाकात सकारात्मक रही।
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि ऐसा लगता है जैसे हमने भारत और रूस को चीन के सबसे गहरे प्रभाव में खो दिया है। उन्होंने मोदी के भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी और मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी नेता शी जिनपिंग के साथ पुरानी तस्वीर भी साझा की।
मोदी, जिनपिंग और पुतिन के बीच गर्मजोशी
चीन के तियानजिन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी, शी जिनपिंग और पुतिन के बीच दिखी मित्रता ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया। इस मुलाकात के कुछ ही दिनों बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की।
व्यापार वार्ता के बारे में पूछे जाने पर ट्रंप ने कहा कि यह बहुत सकारात्मक रही है। अन्य देशों के साथ बातचीत भी अच्छी चल रही है। उन्होंने यूरोपीय संघ की आलोचना करते हुए कहा कि सिर्फ गूगल ही नहीं, बल्कि कई अमेरिकी बड़ी कंपनियों के साथ व्यवहार से अमेरिका नाराज है।
अमेरिकी नौकरियों पर असर: नवारो की चिंता
इस बीच, ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ व्यापार और विनिर्माण सलाहकार पीटर नवारो ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कहा कि भारत द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ अमेरिकी नौकरियों को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत रूस से तेल केवल लाभ और राजस्व के लिए खरीद रहा है, जिससे रूस का युद्धक यंत्र मजबूत होता है और यूक्रेन तथा रूस में लोग मरते हैं। इसके परिणामस्वरूप अमेरिकी करदाताओं को अधिक भुगतान करना पड़ता है।
भारत, यूक्रेन युद्ध को वित्तीय मदद दे रहा
राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक केविन हैसेट ने कहा कि ट्रंप और उनकी व्यापार टीम इस बात से निराश हैं कि भारत रूस के यूक्रेन युद्ध में वित्तीय योगदान दे रहा है। उन्होंने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, "व्यापार टीम और राष्ट्रपति इस बात से निराश हैं कि भारत रूस के यूक्रेन युद्ध को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। उम्मीद है कि यह मामला कूटनीतिक रूप से जल्द सुलझ जाएगा।"
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