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हर शनिवार करें इन 5 मंत्रों का जप, साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा में मिलेगी राहत, शनिदेव बना देंगे मालामाल

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Shaniwar ke Upay Mantra : शनिवार के देवता शनि महाराज हैं। इन्हें कर्म और न्याय का देवता माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को दंडनायक की उपाधि भी दी गई है। वह व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल और दंड देते हैं। यही वजह है कि तमाम लोग शनि देव का पूजन डर कर भी करते हैं, ताकि उनके जीवन में कोई अनिष्ट न हों। साथ ही शनि के उपाय करते हैं। माना जाता है कि शनि देव मानवों को ही नहीं, बल्कि देवताओं को भी उनके गलत कर्मों की सजा देते हैं। वहीं अगर किसी की राशि में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो, या फिर कुंडली में शनि ग्रह अशांत हों तो भी व्यक्ति के जीवन में परेशानियां लगी रहती हैं। उसे व्यापार, परिवार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि मामलों में जूझना पड़ता है। ऐसे में प्रत्येक शनिवार शनि पत्नी नाम मंत्र समेत 5 मंत्रों का जप करने से शनि महाराज न सिर्फ व्यक्ति के दुखों को दूर करते हैं, बल्कि उसे मालामाल भी बनाते हैं। आइये विस्तारपूर्वक जानते हैं वो कौन-से पांच मंत्र हैं, जिनके जप से शनि देव को प्रसन्न किया जा सकता है।
​शनि पत्नी नाम मंत्र image

वैसे तो शनि देव की कृपा पाने के लिए कई उपाय बताए जाते हैं, लेकिन शनि देव पत्नी नाम मंत्र से काफी प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि शनि देव की 8 पत्नियां थीं। इनके नाम ध्वजिनी, धामिनी, कंकाली, कलहप्रिया, कंटकी, तुरंगी, महिषी और अजा हैं। इन्हीं के आधार पर शनि पत्नी नाम मंत्र है, जिसे प्रत्येक शनिवार जपने से शनि देव की कृपा पाई जा सकती है।

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली।

कंटकी कलही चाथ तुरंगी महिषी अजा।।

शनेर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन पुमान्।

दुःखानि नाशयेन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखम।।


​शनि वैदिक मंत्र image

कहा जाता है कि शनि देव की शुभ दृष्टि से व्यक्ति के सभी कार्य पूरे हो जाते हैं और वह नई ऊंचाइयां हासिल करता है, लेकिन शनि देव की वक्र दृष्टि बुद्धि पलट देती है। व्यक्ति परेशानियों से घिर जाता है। ऐसे में शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हर शनिवार शनि वैदिक मंत्र का जप करना चाहिए। कहा जाता है कि इस मंत्र का जप करने से साढ़ेसाती और ढैय्या में राहत मिलती है।

ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीपतये शनयो रविस्र वन्तुनः।।


​तांत्रिक शनि मंत्र image

शनि महाराज के तांत्रिक मंत्र का जप प्रतिदिन किया जा सकता है, लेकिन शनि देव की दया दृष्टि पाने के लिए शनिवार को इसका जप जरूर करना चाहिए। यह शनि देव का बीज मंत्र भी है। कहा जाता है कि इस मंत्र का जप करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।


​शनि गायत्री मंत्र image

अगर किसी की कुंडली में शनि ग्रह नकारात्मक स्थिति में हैं और वह दुष्प्रभाव दे रहे हैं तो शनि गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। इससे शनि देव व्यक्ति की पीड़ा दूर करते हैं। शनिवार को इस मंत्र का जप करने से शनि ग्रह शांत होते हैं और जातक को सकारात्मक परिणाम देते हैं।

ॐ भग-भवाय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोदयात्।

ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोदयात्।।


​शनि स्तोत्र मंत्र image

शनि की साढ़ेसाती, ढैया, महादशा और नकारात्मक स्थिति से बचने के लिए शनिवार के दिन दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।

नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।

नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।

नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।

नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।।

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।

एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।

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