चंडीगढ़: सरकारी अधिकारियों की लालफीताशाही पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है। मामला दुबई से आयात किए गए कीवी फल है। 89,420 किलो कीवी फल से भरा कंटेनर सरकारी अधिकारियों की लापरवाही की वजह से चार महीने तक मुंद्रा पोर्ट पर ही फंसा रह गया। अंतत: कंटेनर के सारे कीवी सड़ गए और इंपोर्टर को भारी नुकसान हुआ। इसके लुधियाना के इस इंपोर्टर ने सीधे पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। क्या कहा है कोर्ट नेसरकारी कामकाज में होने वाली देरी पर हाई कोर्ट ने सख़्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को 50 लाख रुपये का मुआवज़ा इंपोर्टर का देने का आदेश दिया है। यह मुआवज़ा कस्टम विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और देरी के कारण हुए नुकसान के लिए दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह पैसा उन अधिकारियों से वसूला जाए जिनकी वजह से यह गड़बड़ हुई। क्या है मामलाप्रेंडा क्रिएशन्स प्राइवेट लिमिटेड (Prenda Creations Private Limited) ने दुबई से कीवी फल का एक कंसाइनमेंट इम्पोर्ट किया था। यह फल लुधियाना के इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) में डिलीवर होना था। लेकिन, कस्टम विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से इस कंशाइनमेंट का इम्पोर्ट जनरल मेनिफेस्ट (IGM) में जगह नहीं लिखी। इसके बाद इंपोर्टर ने इस कंशाइनमेंट की मैनुअल बिल ऑफ एंट्री फाइल करने की अनुमति मांगी। लेकिन कस्टम विभाग के अधिकारियों ने ऐसा करने से मना कर दिया। इस वजह से फल चार महीने से ज़्यादा समय तक मुंद्रा पोर्ट पर ही पड़ा रहा और आखिर में फल सड़ गए। कीवी का यह कंसाइनमेंट, जो अप्रैल में मुंद्रा पोर्ट पर पहुंचा था, उसे आखिरकार अगस्त में छोड़ा गया। लेकिन तब तक 89,420 किलो का पूरा शिपमेंट इंसानों के खाने लायक नहीं बचा था। अधिकारी जिम्मेदारजस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजय वशिष्ठ की बेंच ने कहा कि कस्टम विभाग और शिपिंग कंपनी दोनों ही कानून के हिसाब से काम करने में बुरी तरह से नाकाम रहे। उन्होंने कोर्ट के बार-बार कहने के बावजूद फल को क्लियर करने और उसे आगे भेजने में मदद नहीं की। कोर्ट ने कहा, "रिकॉर्ड में मौजूद तथ्यों और इस कोर्ट द्वारा समय-समय पर दिए गए आदेशों को देखने के बाद, हम इस बात से संतुष्ट हैं कि कस्टम विभाग ने गलत तरीके से और गैरकानूनी ढंग से कीवी जैसे जल्दी खराब होने वाले फल को रोक दिया। हमने देखा कि जल्दी खराब होने वाले सामान के इम्पोर्ट के मामलों में तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत होती है। इस मामले में, हमें लगता है कि प्रक्रिया को पूरा करने में बहुत ज़्यादा देरी हुई है।" इंपोर्टर को मिलेगा मुआवजाकोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता/इम्पोर्टर को 50 लाख रुपये का मुआवज़ा मिलेगा। यह मुआवज़ा इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि कस्टम विभाग की देरी के कारण 89,420 किलो कीवी फल बर्बाद हो गया।" कोर्ट ने यह भी कहा कि यह पैसा उन अधिकारियों से वसूला जाना चाहिए जिनकी गलती थी। इसके अलावा, कोर्ट ने इम्पोर्टर द्वारा पहले से चुकाए गए कस्टम ड्यूटी को 6 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ वापस करने का भी आदेश दिया।
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