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एकता का संदेश

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पहलगाम हमले के खिलाफ जम्मू और कश्मीर विधानसभा से आई आवाज आतंकियों को करारा जवाब है। जिस तरह से राजनीति को दरकिनार कर पूरा सदन एकजुट हुआ, उससे आतंकी को संदेश मिल गया कि एकता, अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा जैसे मसलों पर पूरा देश एक है। जनता की भावना: पहलगाम के जरिये आतंकवादी भारत में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना चाहते थे। लेकिन देशभर और जम्मू-कश्मीर से आई प्रतिक्रियाओं ने ऐसा होने नहीं दिया। सुखद रूप से यह पहली बार है, जब पूरी घाटी अपने डर और आशंकाओं को पीछे छोड़कर सड़कों पर उतर आई। कश्मीरियों ने इस आतंकी हमले को कश्मीरियत पर हमला बताया और यही भावना देखने को मिली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में। आतंकवाद का खात्मा: सदन में लाए गए प्रस्ताव में कहा गया कि ऐसे आतंकवादी कृत्य कश्मीरियत की आत्मा, संविधान में निहित मूल्यों और जम्मू-कश्मीर व देश की लंबे समय से पहचान रही एकता, शांति और सौहार्द की भावना पर सीधा हमला हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बिल्कुल ठीक कहा कि लोगों के समर्थन से ही आतंकवाद का खात्मा हो सकता है और वह वक्त आ चुका है। पहलगाम की वारदात ने आतंकवादियों और उनके आकाओं को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है। घाटी की जनता को यह बात समझ आ चुकी है कि उन्हें इतने बरसों तक केवल बरगलाया गया। यही वजह है कि घाटी में आतंकियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई को सभी का साथ मिल रहा है। राजनीति से ऊपर देश: सदन के विशेष सत्र में उमर अब्दुल्ला का यह कहना भी महत्वपूर्ण है कि इस मौके पर वह जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग नहीं करेंगे। यह मुद्दा नैशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणापत्र का हिस्सा है, लेकिन उन्होंने राजनीति को पीछे रखते हुए पहले राष्ट्रीय हित को देखा, इसकी प्रशंसा होनी चाहिए। केंद्र से टकराने और सियासत करने के मौके कई आएंगे, अभी मौका है कंधे से कंधा मिलाकर चलने का। पहलगाम जैसी घटनाएं किसी राष्ट्र के लिए परीक्षा जैसी होती हैं और इसमें अहम हो जाता है कि सभी पक्ष सरकार के साथ एकमत रहें। करारा जवाब: पहलगाम के दोषियों को उनके किए की सजा जरूर मिलनी चाहिए। साथ में यह भी जरूरी है कि देश उनके बिछाए जाल में न फंसे। पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं को सबसे करारा जवाब यही होगा कि पूरा भारत इस मामले को लेकर एक बना रहे, जैसा कि हुआ भी है।
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