नई दिल्ली: राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव तानु से निकलकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) पहुंचे अजय पाल ने मंगलवार को छात्रसंघ चुनाव के काउंसलर पद के लिए नामांकन दाखिल किया। भारतीय वायुसेना में अग्निवीर के रूप में सेवा दे चुके अजय पाल अब स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के बैनर तले छात्र राजनीति में कदम रख रहे हैं। देशसेवा के बाद अब छात्रहित में संघर्षअजय पाल ने नामांकन के बाद कहा, 'मैंने वायुसेना में अग्निवीर के रूप में देश की सेवा की और अब एसएफआई के माध्यम से जेएनयू के लोकतांत्रिक मूल्यों और छात्रों की आवाज को बुलंद करने के लिए संघर्ष कर रहा हूं।' सस्ती शिक्षा बचाने का संकल्प, सरकार पर साधा निशानाअपनी चुनावी प्राथमिकताओं में अजय पाल ने जेएनयू की सस्ती शिक्षा प्रणाली को संरक्षित रखने को प्रमुख मुद्दा बताया। उन्होंने कहा, 'जेएनयू में एक सेमेस्टर की फीस केवल 268 रुपये है, जिससे गरीब परिवारों के बच्चे भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन सरकार इस व्यवस्था को खत्म करने पर आमादा है।' उन्होंने केंद्र सरकार पर कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा देने और शिक्षा के अधिकार को कमजोर करने का आरोप लगाया। ग्रामीण संघर्ष और पर्यावरणीय मुद्दों को भी दी आवाजअजय पाल ने राजस्थान में ओरण भूमि (चारागाह) को लेकर चल रहे संघर्ष और हीटवेव से हो रही मौतों पर सरकार की निष्क्रियता की भी आलोचना की। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे केवल छात्र मुद्दों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि व्यापक सामाजिक सरोकारों को भी मंच पर लाएंगे। नामांकन के बाद मिला छात्रों का समर्थननामांकन के साथ ही अजय पाल ने अपने चुनाव प्रचार को तेज कर दिया है। उनके समर्थन में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष आईसी घोष, छात्रसंघ पद के अन्य उम्मीदवार गोपिका बाबू, सागर सिंघल, अंजली, कमल सिंह दुधोड़ा और छगनलाल रामसर समेत कई छात्र मौजूद रहे। 25 अप्रैल को मतदान, 28 को परिणामजेएनयू छात्रसंघ चुनाव के लिए मतदान 25 अप्रैल को होगा और परिणाम 28 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे। अजय पाल की उम्मीदवारी न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा का प्रतीक है, बल्कि जेएनयू के छात्र आंदोलन को भी नई दिशा और ऊर्जा देने का कार्य कर रही है।
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वायुसेना से जेएनयू तक: अग्निवीर अजय पाल ने छात्रसंघ चुनाव में ठोकी ताल
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