युवाओं की सोने से पहले टीवी-मोबाइल, लैपटॉप पर घंटों मूवी देखने की आदत अब स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़कर देखी जा रही है। खासकर इससे सुनने की क्षमता में कमी और रीढ़ की हड्डी की चोट तेजी से दिख रही है। लंबे समय तक अक्सर असुविधाजनक पोजिशन में लेटे रहने, टीवी देखने या वीडियो देखने से मस्कुलोस्केलेटल समस्याओं में बढ़ोतरी हो रही है।
अगर आप बिंज वॉच करते हैं और आपकी कमर में खिंचाव, स्लाइड डिस्क और गर्दन दर्द लगातार बना हुआ है तो इसे हल्के में ना लें। लंबे समय तक बिना सही सपोर्ट के रहने से रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है और यही पोस्चर सर्वाइकल और कमर से जुड़ी दिक्कतों का एक प्रमुख कारण बन रहा है।
हेडफोन और ईयरबड्स का नुकसान

इसके साथ हेडफोन या ईयरबड्स का बार-बार इस्तेमाल तेज आवाज में कान को डैमेज कर सकता है, जो कि कभी ठीक नहीं किया जा सकता। कान बजना, सुनने में कमी और साउंड सेंसिटिविटी जैसे लक्षण युवाओं में चिंताजनक तरीके से बढ़ रहे हैं। जिससे अब हीयरिंग टूल अब केवल बुजुर्गों के लिए नहीं रह गया है।
युवा कर रहे हैं हीयरिंग एड का उपयोग
हीयरिंग एड युवाओं के लिए सुनने की क्षमता को बनाए रखने और बेहतर बनाने के लिए मॉडर्न टूल बनता जा रहा है। यह पहले से मौजूद हीयरिंग डैमेज को मैनेज करने के अलावा तेज आवाज, साउंड क्वालिटी और सामान्य सुनने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
डॉक्टर कहते हैं ये काम करें
बिंज वॉच करने के दौर में एंटरटेनमेंट और हेल्दी लाइफस्टाइल के बीच बैलेंस बनाना जरूरी है। डॉक्टर रेगुलर पोस्चर से ब्रेक लेने, बिस्तर पर स्क्रीन देखने का समय में कमी लाने, देखते समय सीधे बैठने और हो सके तो हेडफोन-ईयरबड्स की जगह स्पीकर पर सुनने की सलाह देते हैं। जिन लोगों को पहले से सुनने में दिक्कत है, उन्हें हीयरिंग टूल इस्तेमाल करने चाहिए। अगर आप अभी से अपने कान और रीढ़ की हड्डी का ध्यान रखेंगे तो बाद में होने वाली दिक्कतों से बच सकते हैं।
दिल-दिमाग के लिए भी खतरनाक
वर्ल्ड ऑर्थोपेडिक कंसर्न इंटरनेशनल के अध्यक्ष डॉ. अरिंदम बनर्जी कहते हैं कि कोई भी चीज अति में बुरी होती है, चाहे वो डाइट हो, एक्सरसाइज हो या फिर आराम। स्क्रीन पर ज्यादा वक्त बिताना बेहद गलत है। कई अध्ययन एक ही पोस्चर में बहुत देर तक बैठे रहना शरीर के लिए नुकसानदायक बताते हैं। ज्यादा देर बैठे रहने को नई स्मोकिंग कहा जा रहा है, जो पीठ, आंख, कान, नर्वस सिस्टम से लेकर दिल और दिमाग को नुकसान पहुंचाता है।
देर से पता चलते हैं ये नुकसान

सी.सी. साहा लिमिटेड के निदेशक विक्रम साहा ने बताया कि बिस्तर पर लगातार लेटे रहकर स्क्रीन देखने से आराम तो मिलता है, लेकिन इससे होने वाली पीठ में अकड़न, गर्दन में खिंचाव और कानों को होने वाले नुकसान को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। पीठ दर्द का पता आसानी से लग जाता है, लेकिन लगातार हेडफोन के इस्तेमाल से सुनने में दिक्कत धीरे-धीरे आती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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