पटना: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक पॉडकास्ट में राजनीति में आने को लेकर बड़ा खुलासा किया है। प्रशांत किशोर ने कहा कि काश कोविड न आया होता। उन्होंने कहा कि बिहार में पार्टी बनाकर राजनीति में उतरने के पीछे की वजह कोविड-19 महामारी के दौरान बिहार सरकार की असंवेदनशीलता रही। नीतीश सरकार का कोविड के दौरान असंवेदनशील रवैया देखकर राजनीति में आने का कदम उठाया। उन्होंने बताया कि कोविड के दौरान प्रवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों से खदेड़ा जा रहा था। वे हजारों किलोमीटर पैदल चलकर बिहार लौट रहे थे, तब उन्हें बेहद दुख हुआ। इसी अनुभव ने उन्हें अपने गृह राज्य की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। बता दें, कोविड को लेकर लालू यादव ने नीतीश कुमार पर खूब हमले बोले थे। अब पीके ने भी नीतीश सरकार पर असंवेदनशील होने का आरोप लगाया है। सत्ता की नहीं, बदलाव की चाह: पीकेप्रशांत किशोर ने साफ किया कि उनकी पार्टी का मकसद केवल सत्ता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि बिहार में एक वास्तविक और ठोस बदलाव लाना है। उन्होंने कहा कि अगर वह केवल पद या सत्ता के इच्छुक होते, तो 2015 में ही ले सकते थे, जब उन्होंने महागठबंधन को विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दिलाई थी। राजनीतिक अनुभव के बाद बनाई पार्टीप्रशांत किशोर की कंसल्टेंसी फर्म IPAC देश की कई बड़ी राजनीतिक शख्सियतों के लिए काम कर चुकी है, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल शामिल हैं। इसके बावजूद उन्होंने अब किसी भी नेता के लिए कैंपेन न करने का फैसला किया और अपनी पार्टी बनाई। जनता से सोच-समझकर वोट देने की अपील: पीकेप्रशांत किशोर ने जनता से अपील करते हुए कहा कि वोट देने से पहले उतनी ही सावधानी बरतें, जितनी फिल्म चुनते वक्त बरतते हैं। उन्होंने कहा कि लोग अक्सर कहते हैं कि वे शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर वोट देंगे, लेकिन अंत में जाति और धर्म जैसे भावनात्मक पहलुओं के आधार पर निर्णय लेते हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय बताया। बिहार की राजनीति पर गंभीर टिप्पणीप्रशांत किशोर का मानना है कि बिहार के नेता यह मान बैठे हैं कि वे बिना कोई काम किए भी वोट पा सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनकी पार्टी ‘जन सुराज’ इस मानसिकता को बदलने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगी और राज्य को एक नई दिशा देगी। जाति जनगणना पर भी मुखरपॉडकास्ट में प्रशांत किशोर ने जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने सरकार से इस पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस पर कदम नहीं उठाया तो आंदोलन किया जाएगा।
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