नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना (IAF) ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की चीन की तरफ से दिए गए डिफेंस सिस्टम को दरकिनार कर पड़ोसी मुल्क में सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया। सरकार ने वायुसेना के ऑपरेशन को लेकर बुधवार को विस्तृत जानकारी दी। सरकार ने यह भी पुष्टि की कि पाकिस्तान ने भारतीय शहरों और सैन्य स्थलों पर चीनी और तुर्की मूल के हथियार प्रणालियों से किए गए हमलों को विफल कर दिया। इसमें पीएल-15 मिसाइलें और बायरकटर-शैली के ड्रोन शामिल थे। खास बात रही कि इनमें से सभी को मेड-इन-इंडिया डिफेंस टेक्नोलॉजी के जरिये सफलतापूर्वक बेअसर किया गया।सरकार ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल भारत की सैन्य कार्रवाई की सटीकता को रेखांकित किया, बल्कि इसकी तकनीकी आत्मनिर्भरता को भी रेखांकित किया। यह देश के रक्षा सिद्धांत में एक मील का पत्थर है। बयान में कहा गया है कि ऑपरेशन सिंदूर असममित युद्ध के उभरते पैटर्न के लिए एक संतुलित सैन्य प्रतिक्रिया के रूप में उभरा... भारत की प्रतिक्रिया जानबूझकर, सटीक और रणनीतिक थी। कैसे एयर डिफेंस सिस्टम को दी मात?चीन की तरफ से सप्लाई किए गए डिफेंस सिस्टम को दरकिनार करके, भारतीय फाइटर प्लेन और मंडराते हथियारों ने स्वदेशी प्लेटफॉर्म का यूज करके नूर खान और रहीमयार खान एयरबेस सहित प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य स्थलों पर हमला किया। सरकार के अनुसार, ये हमले केवल 23 मिनट में पूरे किए गए।सभी हमले नियंत्रण रेखा या अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पार किए बिना किए गए। साथ ही किसी भी भारतीय संपत्ति का नुकसान नहीं हुआ। इस बीच, भारत की मल्टीलेवल एयर डिफेंस ने पारंपरिक और आधुनिक स्वदेशी प्रणालियों के मिश्रण का उपयोग करके पाकिस्तानी हमलों को सफलतापूर्वक विफल कर दिया।
- आकाश मिसाइल सिस्टम में कई हवाई खतरों को बेअसर करने में 'शानदार प्रदर्शन' किया।
- क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM) सिस्टम ने तुर्की मूल के ड्रोन को नष्ट कर दिया।
- भारत में विकसित अरुध्रा और अश्विनी रडार, ट्रैकिंग और अवरोधन के लिए उपयोग किया गया।
- नेत्रा AEW&C सिस्टम, 360-डिग्री निगरानी प्रदान करने के लिए पहली बार ऑपरेशन में उपयोग किया गया
- चीनी मूल की पीएल-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें
- तुर्की मूल का यूएवी जिसे 'यिहा' कहा जाता है
- लंबी दूरी के रॉकेट और क्वाडकॉप्टर
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