खंडवा: तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर स्थित ज्योतिर्लिंग महादेव की पूजा अर्चना के बाद शाम को सवारी निकाली गई। इस सवारी में जमकर गुलाल उड़ाए गए। महज 24 घंटे की भीतर ही पुनासा एसडीएम के आदेशों की धज्जियां उड़ाई गईं। बताया जा रहा था कि गुलाल उड़ाने के बहाने महिलाओं को बैड टच किया जाता है।
दरअसल, पुनासा एसडीएम ने बाबा ओंकारेश्वर की निकलने वाली सवारी में रंग और गुलाल नहीं उड़ाने का आदेश जारी किया था। इसके बावजूद सवारी में लोगों ने जमकर रंग और गुलाल उड़ाए। जब इस बारे में एसडीएम शिवम प्रजापति ने मीडिया ने सवाल पूछा तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
क्यों जारी किया था आदेश?
बता दें कि पुनासा एसडीएम शिवम प्रजापति ने बताया था कि कुछ महिलाएं और औरतें इस बात की शिकायत की है कि रंग और गुलाल लगाने के बहाने उनके साथ छेड़छाड़ होती है। उनके साथ बदतमीजी की जाती है। जिसके बाद सवारी के एक दिन पहले रविवार उन्होंने गुलाल और रंग नहीं उड़ाने का आदेश जारी किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि सवारी में सिर्फ गुलाब की पंखुड़ियां उड़ाई जाएगी और बाबा ओंकारेश्वर को गुलाल चढ़ाने की अनुमति दी थी।
संतों ने जताई थी नाराजगी
एसडीएम के इस आदेश के बाद संतों में भारी नाराजगी थी। कुछ संतों ने साफ तौर पर कहा था कि व्यवस्था बनाने के नाम पर परंपराओं के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। सोशल मीडिया पर भी संतों ने जमकर टीका टिप्पणी की थी, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने कहा था कि गुलाल उड़ाना प्रतिबंधित रहेगा।
दरअसल, पुनासा एसडीएम ने बाबा ओंकारेश्वर की निकलने वाली सवारी में रंग और गुलाल नहीं उड़ाने का आदेश जारी किया था। इसके बावजूद सवारी में लोगों ने जमकर रंग और गुलाल उड़ाए। जब इस बारे में एसडीएम शिवम प्रजापति ने मीडिया ने सवाल पूछा तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
क्यों जारी किया था आदेश?
बता दें कि पुनासा एसडीएम शिवम प्रजापति ने बताया था कि कुछ महिलाएं और औरतें इस बात की शिकायत की है कि रंग और गुलाल लगाने के बहाने उनके साथ छेड़छाड़ होती है। उनके साथ बदतमीजी की जाती है। जिसके बाद सवारी के एक दिन पहले रविवार उन्होंने गुलाल और रंग नहीं उड़ाने का आदेश जारी किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि सवारी में सिर्फ गुलाब की पंखुड़ियां उड़ाई जाएगी और बाबा ओंकारेश्वर को गुलाल चढ़ाने की अनुमति दी थी।
संतों ने जताई थी नाराजगी
एसडीएम के इस आदेश के बाद संतों में भारी नाराजगी थी। कुछ संतों ने साफ तौर पर कहा था कि व्यवस्था बनाने के नाम पर परंपराओं के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। सोशल मीडिया पर भी संतों ने जमकर टीका टिप्पणी की थी, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने कहा था कि गुलाल उड़ाना प्रतिबंधित रहेगा।
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