अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के खिलाफ बिजली कर्मचारियों का गुस्सा अब सड़कों पर नजर आने लगा है। मंगलवार को बड़ी संख्या में बिजली कर्मचारियों ने लखनऊ स्थित मंत्री आवास के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया है। नाराज कर्मचारी पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण और कर्मचारियों के उत्पीड़न के खिलाफ लामबंद हुए थे। प्रदर्शन के दौरान आक्रोशित कर्मियों ने ऊर्जा मंत्री इस्तीफा दो के नारे भी लगाए हैं। मंत्री एके शर्मा जब सुरक्षा घेरा में घर से बाहर निकले तो वो हाथ जोड़े हुए नजर आए।
कई घंटे तक चलता रहा प्रदर्शन
अपनी मांगों को लेकर लखनऊ स्थित ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के आवास के बाहर एकत्रित हुए कर्मचारी कई घंटे तक उनके आवास पर डटे रहे और नारेबाजी करते रहे। इस दौरान पुलिस बल की तैनात भी रही, लेकिन नाराज कर्मचारी किसी भी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं हुए। शाम को जब ऊर्जा मंत्री कैबिनेट बैठक के लिए निकलने वाले थे, तब पुलिस ने सुरक्षा घेरा बनाया और उन्हें बाहर निकाला गया। इस दौरान ऊर्जा मंत्री एके शर्मा हाथ जोड़कर घर से बाहर आए और अपनी गाड़ी में बैठकर रवाना हो गए।
मुरादाबाद में इंजीनियरों के निलंबन के बाद भड़का आक्रोश
बताया जा रहा है कि प्रदर्शन का एक बड़ा कारण मुरादाबाद में ऊर्जा मंत्री के कार्यक्रम के दौरान बिजली गुल होना माना जा रहा है। इस मामले में पांच अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया है, जिससे विभाग में रोष और गहरा गया है। कर्मचारी इसे एकतरफा कार्रवाई बताते हुए मंत्री के खिलाफ लामबंद हो गए है।
वहीं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने आरोप लगाया कि 3 दिसंबर 2022 और 19 मार्च 2023 को हुए लिखित समझौतों का अब तक पालन नहीं हुआ है। उस दौरान की गई दमनात्मक कार्रवाई को वापस लेने की बात कही गई थी, लेकिन सरकार अब उससे मुकर रही है। उल्टा कर्मचारियों का उत्पीड़न बढ़ गया है।
मंत्री ने मुलाकात से किया मना तो आक्रोशित हो गए कर्मचारी
ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के आवास के बाहर एकत्रित हुए कर्मचारी मंत्री से मिलकर अपनी बातें रखना चाहते थे। लेकिन बताया जा रहा है कि मंत्री एके शर्मा ने उनसे मुलाकात करने से मना दिया था। जिसके बाद कर्मचारी आक्रोशित हो गए और उत्पीड़न बंद करो और निजीकरण वापस लो के नारे लगाने शुरू कर दिए थे।
वहीं बिजली कर्मचारियों की मांग है कि पूर्व में हुए समझौतों का तत्काल पालन हो। बर्खास्त संविदा कर्मचारियों की बहाली की जाए। दमनात्मक तबादले और निलंबन रद्द किए जाएं। विजिलेंस जांच और दर्ज मुकदमे वापस हों। फेशियल अटेंडेंस के नाम पर रोका गया वेतन जारी किया जाए। निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल रोकी जाए। कर्मचारियों के घरों में मीटर लगाने की कार्रवाई बंद हो।
कई घंटे तक चलता रहा प्रदर्शन
अपनी मांगों को लेकर लखनऊ स्थित ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के आवास के बाहर एकत्रित हुए कर्मचारी कई घंटे तक उनके आवास पर डटे रहे और नारेबाजी करते रहे। इस दौरान पुलिस बल की तैनात भी रही, लेकिन नाराज कर्मचारी किसी भी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं हुए। शाम को जब ऊर्जा मंत्री कैबिनेट बैठक के लिए निकलने वाले थे, तब पुलिस ने सुरक्षा घेरा बनाया और उन्हें बाहर निकाला गया। इस दौरान ऊर्जा मंत्री एके शर्मा हाथ जोड़कर घर से बाहर आए और अपनी गाड़ी में बैठकर रवाना हो गए।
मुरादाबाद में इंजीनियरों के निलंबन के बाद भड़का आक्रोश
बताया जा रहा है कि प्रदर्शन का एक बड़ा कारण मुरादाबाद में ऊर्जा मंत्री के कार्यक्रम के दौरान बिजली गुल होना माना जा रहा है। इस मामले में पांच अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया है, जिससे विभाग में रोष और गहरा गया है। कर्मचारी इसे एकतरफा कार्रवाई बताते हुए मंत्री के खिलाफ लामबंद हो गए है।
वहीं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने आरोप लगाया कि 3 दिसंबर 2022 और 19 मार्च 2023 को हुए लिखित समझौतों का अब तक पालन नहीं हुआ है। उस दौरान की गई दमनात्मक कार्रवाई को वापस लेने की बात कही गई थी, लेकिन सरकार अब उससे मुकर रही है। उल्टा कर्मचारियों का उत्पीड़न बढ़ गया है।
मंत्री ने मुलाकात से किया मना तो आक्रोशित हो गए कर्मचारी
ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के आवास के बाहर एकत्रित हुए कर्मचारी मंत्री से मिलकर अपनी बातें रखना चाहते थे। लेकिन बताया जा रहा है कि मंत्री एके शर्मा ने उनसे मुलाकात करने से मना दिया था। जिसके बाद कर्मचारी आक्रोशित हो गए और उत्पीड़न बंद करो और निजीकरण वापस लो के नारे लगाने शुरू कर दिए थे।
वहीं बिजली कर्मचारियों की मांग है कि पूर्व में हुए समझौतों का तत्काल पालन हो। बर्खास्त संविदा कर्मचारियों की बहाली की जाए। दमनात्मक तबादले और निलंबन रद्द किए जाएं। विजिलेंस जांच और दर्ज मुकदमे वापस हों। फेशियल अटेंडेंस के नाम पर रोका गया वेतन जारी किया जाए। निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल रोकी जाए। कर्मचारियों के घरों में मीटर लगाने की कार्रवाई बंद हो।
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