इंदौर: 2008 में मालेगांव में हुए बम धमाके के एक अहम किरदार, रामजी कलसांगरा आज भी लापता हैं। इस धमाके में छह लोगों की जान गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस मामले में एक गोल्डन कलर की LML फ्रीडम बाइक का इस्तेमाल हुआ था। जितेंद्र भाकरोदा नाम के एक मैकेनिक ने इस बाइक की सर्विस की थी। NIA कोर्ट ने इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर का बाइक से संबंध साबित नहीं हो पाया है।
एक बाइक की सर्विस ने बदल दी जिंदगी
इंदौर के साकेत नगर के रहने वाले जितेंद्र भाकरोदा एक मैकेनिक हैं। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक बाइक उनकी जिंदगी बदल देगी। 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बम धमाका हुआ। इस धमाके में जिस बाइक का इस्तेमाल हुआ, उसे भाकरोदा ने कभी सर्विस किया था। जांच करने वालों के लिए यह बाइक एक अहम सबूत थी। भाकरोदा बताते हैं कि रामजी कलसांगरा नाम का एक शख्स अप्रैल 2007 में आखिरी बार बाइक लेकर आया था। धमाके के बाद कलसांगरा गायब हो गया।
आज भी याद है बाइक का नंबर
जांचकर्ताओं के अनुसार, कलसांगरा इस धमाके के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था। भाकरोदा को कलसांगरा का चेहरा और बाइक का नंबर आज भी याद है। यह बाइक प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी लेकिन प्रज्ञा ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने यह बाइक 2004 में सुनील जोशी को बेच दी थी। सुनील जोशी की 29 दिसंबर 2007 को देवास में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रज्ञा ठाकुर पर जोशी की हत्या का आरोप लगा था, लेकिन 2017 में उन्हें बरी कर दिया गया। जोशी की मौत हो चुकी है और कलसांगरा लापता है। इसलिए बाइक का मालिक कौन है, यह एक पहेली बन गई है।
कोर्ट से समन आय़ा लेकिन बिना सुरक्षा नहीं गए
इस मामले की वजह से भाकरोदा की जिंदगी मुश्किल हो गई। उन्हें कई बार समन भेजा गया, लेकिन सुरक्षा के बिना वह कोर्ट में पेश नहीं हुए। उन्हें डर था, कई गवाह गायब हो गए थे। दिलीप पाटीदार नाम के एक और शख्स को ATS ने नवंबर 2008 में उठाया था, जिसके बाद वह कभी नहीं दिखा। भाकरोदा ने 2022 में इंदौर के कमिश्नर को SMS करके बताया था कि पांच-छह लोग रहस्यमय तरीके से गायब हो गए हैं और उनकी जान को भी खतरा है।
सुरक्षा के लिए मिले थे हथियारबंद जवान
भाकरोदा को अपनी सुरक्षा के लिए हथियारबंद जवान मिले। उन्होंने बताया, 'जब मैं सुरक्षा के लिए लिखता रहा, तो NIA कोर्ट ने इंदौर के ADJ कोर्ट से इसकी जरूरत जांचने को कहा। तब मुझे दो हथियारबंद जवान मिले जो मुझे मुंबई कोर्ट तक ले गए। इस वजह से उनका गैराज बंद हो गया और उन्हें प्रॉपर्टी ब्रोकरेज का काम करना पड़ा।
एटीएस और एनआईए लगातार भेजते रहे नोटिस
भाकरोदा ने कहा, 'ATS और NIA लगातार समन भेजते रहे। मुझे जिंदा रहने के लिए लड़ना पड़ा। फिलहाल NIA कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो कि बाइक प्रज्ञा ठाकुर की थी या उसका इस्तेमाल उनके कहने पर हुआ था। मालेगांव मामले में 245 गवाहों से पूछताछ की गई, जिनमें से 20 अपने बयान से पलट गए।
एक बाइक की सर्विस ने बदल दी जिंदगी
इंदौर के साकेत नगर के रहने वाले जितेंद्र भाकरोदा एक मैकेनिक हैं। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक बाइक उनकी जिंदगी बदल देगी। 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बम धमाका हुआ। इस धमाके में जिस बाइक का इस्तेमाल हुआ, उसे भाकरोदा ने कभी सर्विस किया था। जांच करने वालों के लिए यह बाइक एक अहम सबूत थी। भाकरोदा बताते हैं कि रामजी कलसांगरा नाम का एक शख्स अप्रैल 2007 में आखिरी बार बाइक लेकर आया था। धमाके के बाद कलसांगरा गायब हो गया।
आज भी याद है बाइक का नंबर
जांचकर्ताओं के अनुसार, कलसांगरा इस धमाके के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था। भाकरोदा को कलसांगरा का चेहरा और बाइक का नंबर आज भी याद है। यह बाइक प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी लेकिन प्रज्ञा ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने यह बाइक 2004 में सुनील जोशी को बेच दी थी। सुनील जोशी की 29 दिसंबर 2007 को देवास में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रज्ञा ठाकुर पर जोशी की हत्या का आरोप लगा था, लेकिन 2017 में उन्हें बरी कर दिया गया। जोशी की मौत हो चुकी है और कलसांगरा लापता है। इसलिए बाइक का मालिक कौन है, यह एक पहेली बन गई है।
कोर्ट से समन आय़ा लेकिन बिना सुरक्षा नहीं गए
इस मामले की वजह से भाकरोदा की जिंदगी मुश्किल हो गई। उन्हें कई बार समन भेजा गया, लेकिन सुरक्षा के बिना वह कोर्ट में पेश नहीं हुए। उन्हें डर था, कई गवाह गायब हो गए थे। दिलीप पाटीदार नाम के एक और शख्स को ATS ने नवंबर 2008 में उठाया था, जिसके बाद वह कभी नहीं दिखा। भाकरोदा ने 2022 में इंदौर के कमिश्नर को SMS करके बताया था कि पांच-छह लोग रहस्यमय तरीके से गायब हो गए हैं और उनकी जान को भी खतरा है।
सुरक्षा के लिए मिले थे हथियारबंद जवान
भाकरोदा को अपनी सुरक्षा के लिए हथियारबंद जवान मिले। उन्होंने बताया, 'जब मैं सुरक्षा के लिए लिखता रहा, तो NIA कोर्ट ने इंदौर के ADJ कोर्ट से इसकी जरूरत जांचने को कहा। तब मुझे दो हथियारबंद जवान मिले जो मुझे मुंबई कोर्ट तक ले गए। इस वजह से उनका गैराज बंद हो गया और उन्हें प्रॉपर्टी ब्रोकरेज का काम करना पड़ा।
एटीएस और एनआईए लगातार भेजते रहे नोटिस
भाकरोदा ने कहा, 'ATS और NIA लगातार समन भेजते रहे। मुझे जिंदा रहने के लिए लड़ना पड़ा। फिलहाल NIA कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो कि बाइक प्रज्ञा ठाकुर की थी या उसका इस्तेमाल उनके कहने पर हुआ था। मालेगांव मामले में 245 गवाहों से पूछताछ की गई, जिनमें से 20 अपने बयान से पलट गए।
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