नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन बिल पर आज सुप्रीम कोर्ट फिर सुनवाई करने वाला है। माना जा रहा है कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट कोई अंतरिम आदेश भी जारी कर सकता है। बुधवार को इस मामले में हुई सुनवाई में जहां वक्फ बिल को चुनौती देने वाली याचिकाओं के पक्ष में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें रखीं तो सुप्रीम कोर्ट ने उनकी हर दलीलों पर सवाल भी कर डाले। वहीं, जब केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तर्क दे रहे थे तो CJI जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने तीखे सवाल भी पूछ डाले। आज ऊंट किस करवट बैठेगा, इस बारे में जानते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि जो भी संपत्तियां न्यायालय द्वारा वक्फ घोषित की गई हैं, उन्हें गैर-वक्फ नहीं माना जाएगा, चाहे वो वक्फ बाय यूजर से की गई हों या नहीं। वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट तीन सवालों पर दोनों पक्षों के दलीलों को सुनकर अंतरिम आदेश जारी करेगा। जानते हैं पूरी बात। क्या वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाइड की मंजूरी मिलेपहला सवाल: क्या वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाइड की अनुमति मिलनी चाहिए। दरअसल, ऐसी वक्फ प्रॉपर्टी जिन्हें कोर्ट ने वक्फ घोषित किया है या फिर ऐसी वक्फ प्रॉपर्टी जिसका वाद किसी कोर्ट में चल रहा है। उस बारे में कोर्ट कोई आदेश दे सकता है। क्या कलेक्टर के अधिकारों पर लगेगी रोकदूसरा सवाल: क्या विवाद की स्थिति में कलेक्टर के अधिकारों पर रोक लगानी चाहिए। इस सवाल की वजह है वक्फ कानून में किया गया नया प्रावधान, जो कहता है कि किसी वक्फ प्रॉपर्टी को लेकर खड़े हुए विवाद की जांच कलेक्टर करेगा। ये विवाद सरकारी जमीन या वक्फ की जमीन के निपटारे के संबंध में है। बड़ी बात ये है कि जांच के दौरान वक्फ की प्रॉपर्टी को वक्फ की प्रॉपर्टी नहीं माना जाएगा। हालांकि, केंद्र ने कहा है कि विवाद की स्थिति में दूसरा पक्ष ट्रिब्यूनल जा सकता है। क्या वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों की एंट्री सही हैतीसरा सवाल: क्या वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री सही है, क्योंकि दूसरे धर्मों से जुड़ी संस्थाओं में गैर-मजहबी लोगों की एंट्री पर रोक है। याचिकाओं में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री को गैर-संवैधानिक बताया गया है। कपिल सिब्बल ने यह दलील रखी कि पुराने कानून के तहत बोर्ड में सभी मुस्लिम होते थे। हिंदू और सिख बोर्ड में भी सभी सदस्य हिंदू और सिख ही होते हैं। नए वक्फ संशोधित अधिनियम में विशेष सदस्यों के नाम पर गैर मुस्लिमों को जगह दी गई है। ये नया कानून अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। जब जजों ने कहा-हमारा कोई धर्म नहीं हैसुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल की दलील को लेकर तुषार मेहता से सवाल पूछा कि इस कानून के अनुसार, 8 सदस्य मुसलमान हैं। 2 जज मुसलमान नहीं हो सकते। फिर बाकी गैर-मुस्लिम हैं। तब मेहता ने कहा तो ऐसे में यह पीठ भी मामले की सुनवाई नहीं कर सकती। इस पर कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कहा, 'क्या! जब हम यहां बैठते हैं। हम अपना धर्म खो देते हैं। हमारे लिए दोनों पक्ष एक जैसे हैं। आप इसकी तुलना न्यायाधीशों से कैसे कर सकते हैं? फिर हिंदू बंदोबस्ती के सलाहकार बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को भी क्यों नहीं रखा जाता? क्या आप न्यायालय के समक्ष ये बयान देने के लिए तैयार हैं कि अधिकतम 2 गैर मुस्लिम होंगे। जजों ने कहा-वक्फ बाय यूजर क्यों हटाया गयाकपिल सिब्बल ने कहा-ये इतना आसान नहीं है, वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये तीन सौ साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे, यहां समस्या है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वक्फ बाय यूजर क्यों हटाया गया, कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें हैं, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर्ड किया जाएगा। तुषार मेहता बोले-रजिस्टर्ड वक्फ प्रॉपर्टी वक्फ की हीअदालत ने आगे कहा, ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा। हम ये जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ सही वक्फ संपत्तियां हैं। इगर इसे खत्म करेंगे तो समस्या होगी। सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई संपत्ति वक्फ प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर्ड है तो वह वक्फ की संपत्ति ही रहेगी। किसी को रजिस्ट्रेशन से रोका नहीं गया है। 1923 में जो पहला कानून आया था उसमें भी सपत्ति का पंजिकरण अनिवार्य था। 1954, 1995 में भी अनिवार्य था। 2013 में बदलाव किया गया, उसमें भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था। कोर्ट के सवालों का केंद्र सरकार ने दिया जवाबसुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि अगर कोई संपत्ति बाय यूजर है और वो रजिस्टर्ड नहीं है तो उसका क्या होगा? ब्रिटिश काल के पहले रजिस्ट्रेशन का प्रावधान नहीं था, ऐसे में क्या होगा? अगर कोई संपत्ति वक्फ बाय यूजर है तो उस स्थिति में क्या होगा? इन सवालों पर केंद्र ने कहा-कलेक्टर उसकी जांच करेगा और पता चलता है कि वो सरकारी संपत्ति है तो रेवेन्यू रिकॉर्ड में उसे सही किया जाएगा। इसके अलावा, किसी को कलेक्टर के फैसले से समस्या है तो वो ट्रिब्यूनल में जा सकता है। वक्फ के पास 1.2 लाख करोड़ की जमीनभारत में वक्फ की कुल संपत्ति 8.72 लाख एकड़ है। यह संपत्ति इतनी ज्यादा है कि सेना और रेलवे के बाद वक्फ के पास सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी है। 2009 में यह प्रॉपर्टी करीब 4 लाख एकड़ ही थी, जो अब दोगुनी हो चुकी है। साल 2009 के बाद वक्फ की संपत्तियों में दोगुने का इजाफा हुआ है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में लोकसभा में जानकारी दी थी जिसके अनुसार वक्फ बोर्ड के पास 8,65,644 एकड़ अचल संपत्तियां हैं। वक्फ की इन जमीनों की अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ है। यूपी, तेलंगाना, बंगाल में वक्फ के पास ज्यादा जमीनभारत के हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है जो वक्फ की संपत्तियों का नियंत्रण करता है। देश के पांच राज्यों में वक्फ के पास सबसे ज्यादा संपत्तियां हैं और ये राज्य हैं-उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल। हैदराबाद में ही वक्फ के पास 77,000 प्रॉपर्टीज हैं, इसीलिए इस शहर को भारत की वक्फ राजधानी कहा जाता है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में वक्फ के पास 1.2 लाख संपत्तियां हैं। तेलंगाना का वक्फ बोर्ड देश का सबसे अमीर वक्फ बोर्ड है। पहले नंबर पर उत्तर प्रदेश आता है। जहां उसके पास 1.5 लाख वक्फ संपत्तियां हैं।
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