सूर्य और चंद्र की युति का प्रभाव
सूर्यदेव पिता का प्रतिनिधित्व करते हैं, तो वहीं चंद्रदेव माता का प्रतिनिधित्व करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यदेव जब भी चंद्रमा के साथ युति का निर्माण करते हैं, तो इसके प्रभाव से व्यक्ति दृढ़ निश्चयी बनती है। साथ ही जातक के उनके माता-पिता के साथ संबंध मजबूत होते हैं।
सूर्य और मंगल की युति का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल को क्रोध, साहस और पराक्रम का कारक माना जाता है। सूर्य जब भी मंगल के साथ युति बनाते हैं, तो इस युति से अंगारक दोष का निर्माण होता है। इस कारण से सूर्य मंगल की युति से व्यक्ति क्रोधी हो जाता है। जीवन के बड़े-बड़े फैसले लेने में जल्दबाजी करता है, इस वजह से कभी-कभी फैसल ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध भी चले जाते हैं।
सूर्य और बुध की युति का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध को बुद्धि, वाणी, संवाद, विवेक और तर्कबुद्धि का कारक माना जाता है। सूर्य और बुध की युति व्यक्ति को आंतरिक और बाहरी रूप से बुद्धिमान बनाता है। ऐसे लोग फैसले लेने में मजबूत होते हैं। उनके पिता और पुत्र दोनों ही शिक्षित होते हैं। समाज में उनका सम्मान होता है। यह संयोजन शिक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। इससे व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
सूर्य और गुरु की युति का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु को ज्ञान, भाग्य, धन, संतान, विवाह, धर्म, और करियर का कारक माना जाता है। कुंडली में सूर्य और गुरु का साथ होना बहुत शुभ माना जाता है। इससे एक अच्छा आध्यात्मिक योग बनता है। वेदों में सूर्य को आत्मा और गुरु को आंतरिक बुद्धि कहा गया है। इसका मतलब है, सूर्य और गुरु की युति से व्यक्ति धर्म और अध्यात्म की ओर जाता है। हालांकि, इस योग का एक नकारात्मक पहलू यह है कि व्यक्ति थोड़ा जिद्दी हो सकता है।
सूर्य और शुक्र की युति का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला का कारक माना जाता है। सूर्य और शुक्र ग्रह जब कुंडली में एक साथ आते हैं, तो यह एक खास स्थिति होती है। शुक्र ग्रह जीवन में उत्साह का प्रतीक है। सूर्य ग्रह उस उत्साह को ऊर्जा देता है। ज्योतिष के अनुसार, ऐसे योग वाला व्यक्ति शाही अंदाज में जीवन जीता है। हालांकि, उनकी पर्सनल लाइफ में कुछ मनमुटाव हो सकते हैं। अगर व्यक्ति अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल नहीं रखता, तो वह विलासिता में डूब सकता है। वह सौंदर्य और स्त्रियों के प्रति आकर्षित हो सकता है और चीजों पर खूब पैसा खर्च कर सकता है।
सूर्य और शनि की युति का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि कर्मफलदाता यानी कर्मों के अनुसार फल देने वाले, न्यायधीश, मेहनत और अनुशासन के कारक हैं। सूर्य और शनि की युति होने पर एक संघर्षपूर्ण स्थिति बनती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य और शनि के बीच पिता और पुत्र का संबंध है लेकिन फिर भी दोनों एक-दूसरे के साथ शत्रुओं जैसा व्यवहार करते हैं। सूर्य और शनि के साथ युति होने पर पिता-पुत्र के बीच हमेशा संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है। साथ ही करियर में वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग न मिलने पर कड़ी मेहनत भी व्यर्थ चली जाती है।
सूर्य और राहु की युति का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु को झूठ, बनावटी रिश्तों, भटकाव और रहस्यों का कारक माना जाता है। जब सूर्य और राहु की युति बनती है, तो ग्रहण योग बनता है। इस ग्रहण योग से व्यक्ति सोच-समझकर फैसले नहीं ले पाता। दोनों की युति से पितृदोष भी बनता है। इन दोनों ग्रह की युति के प्रभाव से लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में अवरोध का सामना करना पड़ता है। वहीं, इसके प्रभाव से लोगों का आत्मविश्वास डगमगाने लग जाता है।
सूर्य और केतु की युति का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु को मोक्ष, वैराग्य, आध्यात्म और मानसिक क्षमताओं का कारक माना जाता है। सूर्य के साथ जब भी केतु की युति बनती है, तो व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को भूलकर वैराग्य की तरफ मुड़ने लगता है। इसके अलावा केतु के प्रभाव में आकर चंचल मन पर काबू नहीं रख पाता और हर बात पर शक करना भी उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है।
You may also like
Scorching Heatwave Grips Madhya Pradesh: Temperatures Soar Beyond 44°C in Several Districts
Sinthan Top Closed for Traffic Due to Heavy Snowfall on NH 244: Two-Day Suspension Announced
छत्तीसगढ़ में प्रेमी ने पुलिस से गर्लफ्रेंड की मांग की, खुदकुशी की दी धमकी
हरियाणा में राशन कार्ड धारकों के लिए नई चुनौतियाँ
वास्तु शास्त्र में भोजन से जुड़ी अहम बातें: बेड पर खाने से क्यों आती है दरिद्रता और अशांति