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शाहरुख खान की दिव्या भारती को लेकर भावुक यादें, कहा – 'वो सिर्फ एक एक्ट्रेस नहीं, एक संस्था थीं'

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शाहरुख खान की दिव्या भारती को लेकर भावुक यादें, कहा – ‘वो सिर्फ एक एक्ट्रेस नहीं, एक संस्था थीं’

फिल्म इंडस्ट्री में 90 के दशक की शुरुआत में एक ऐसी अदाकारा ने कदम रखा, जिसने बेहद कम उम्र में असाधारण सफलता हासिल कर ली थी। इस अभिनेत्री का नाम था दिव्या भारती। उन्होंने सिर्फ 19 साल की उम्र में अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में जगह बना ली थी। उनकी अचानक हुई मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।

दिव्या भारती ने कम समय में 20 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उनकी लोकप्रियता सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी थी। उन्होंने 1992 में फिल्म दीवाना से बॉलीवुड में शाहरुख खान के साथ डेब्यू किया था। आज भी शाहरुख उन्हें बड़े सम्मान और प्यार के साथ याद करते हैं।

दिव्या भारती और शाहरुख खान की पहली मुलाकात और एक यादगार बात

शाहरुख खान ने एक पुराने इंटरव्यू में दिव्या को याद करते हुए बताया था कि वे बेहद जिंदादिल और मस्ती से भरपूर थीं। वहीं शाहरुख खुद को गंभीर स्वभाव का व्यक्ति मानते हैं। उन्होंने बताया कि एक बार वे दोनों मुंबई के सी रॉक होटल से बाहर निकल रहे थे, तभी दिव्या ने उन्हें देखकर कहा था – “तुम सिर्फ एक एक्टर नहीं हो, तुम एक संस्था हो।”

शाहरुख कहते हैं कि दिव्या की ये बात उनके दिल को छू गई थी और आज भी वह पल उनके साथ है।

दिव्या की मौत से टूट गए थे शाहरुख

शाहरुख ने बताया कि जब उन्हें दिव्या की मौत की खबर मिली, वे उस समय दिल्ली में थे। उन्होंने कहा, “मैं रात को सो रहा था और तभी टीवी पर ऐसी दीवांग़ी गाना बज रहा था। मुझे लगा मैं अब एक स्टार बन गया हूं। लेकिन सुबह जब उठा तो पता चला कि दिव्या अब नहीं रहीं।”

यह खबर सुनकर शाहरुख बेहद दुखी हो गए थे। उन्होंने कहा कि दिव्या के साथ उनकी एक और फिल्म की योजना थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो सकी।

दिव्या की मौत एक दर्दनाक हादसे में हुई थी, जब वे अपने घर की खिड़की से गिर गई थीं। शाहरुख कहते हैं कि वे आज भी दिव्या को याद करते हैं और उनकी कमी महसूस करते हैं।

दिव्या भारती का फिल्मी सफर

दिव्या ने अपने करियर की शुरुआत तमिल फिल्म नीला पेन (1990) से की थी। इसके बाद वे तेलुगु सिनेमा में बोब्बिली राजा (1990) से मशहूर हुईं। उन्होंने राउडी अल्लुडु में चिरंजीवी और असेम्बली राउडी में मोहन बाबू के साथ अभिनय किया।

हिंदी फिल्मों में उनका डेब्यू विश्वात्मा (1991) से हुआ। इसके बाद बलवान, शोला और शबनम, दीवाना, दिल आशना है जैसी फिल्में आईं। खास बात यह है कि 1992 में उनकी 12 फिल्में रिलीज़ हुईं, जो उस समय किसी भी अभिनेत्री के लिए असाधारण उपलब्धि थी।

एक अधूरी कहानी, जो हमेशा याद रहेगी

दिव्या भारती का जीवन एक तेज चमकते सितारे की तरह रहा, जो अचानक बुझ गया। उनकी मासूम मुस्कान, चुलबुला अंदाज और बेमिसाल अभिनय आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा है। शाहरुख की भावनाएं यह बताने के लिए काफी हैं कि दिव्या सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं थीं, बल्कि वे अपने समय की प्रेरणा थीं।

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