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Apple की टैक्स से बचने की रणनीति: अमेरिका भेजी गईं भारत से भरी फ्लाइट्स, भारत बन रहा नया मैन्युफैक्चरिंग हब

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Apple की टैक्स से बचने की रणनीति: अमेरिका भेजी गईं भारत से भरी फ्लाइट्स, भारत बन रहा नया मैन्युफैक्चरिंग हब

मार्च 2025 के आखिरी सप्ताह में Apple ने महज तीन दिनों में भारत और अन्य स्थानों से अमेरिका तक iPhones और अन्य प्रोडक्ट्स से भरी पांच फ्लाइट्स भेजीं। The Times of India की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है, जिसमें एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने इस कदम की पुष्टि की है। यह फैसला अमेरिका में 5 अप्रैल से लागू हुई 10 प्रतिशत की नई Reciprocal Tariff से बचने के उद्देश्य से लिया गया है।

नई टैरिफ से बचने की तैयारी

Apple ने संभावित टैक्स बढ़ोतरी से बचने के लिए पहले ही रणनीति बना ली थी। कंपनी ने भारत और चीन में स्थित अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से बड़ी मात्रा में उत्पादों की शिपिंग तेजी से शुरू कर दी थी। आमतौर पर इस समय शिपमेंट धीमी होती है, लेकिन Apple ने जोखिम को भांपते हुए अपना स्टॉक पहले ही अमेरिका पहुंचाना शुरू कर दिया।

स्टॉक जमा करने का लाभ

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में पहले से स्टॉक जमा करने से Apple फिलहाल प्रोडक्ट्स की कीमतों को स्थिर रख पाएगा। कंपनी ने अपने अमेरिकी वेयरहाउस में कई महीनों का माल पहले ही भेज दिया है। यह कदम टैक्स के तत्काल असर से बचाव करेगा। हालांकि, यदि यह टैरिफ नीति लंबे समय तक बनी रहती है, तो Apple को भारत जैसे ग्लोबल मार्केट्स में भी कीमतें बढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है।

भारत: Apple के लिए मजबूत विकल्प

अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने 9 अप्रैल से Reciprocal Tariff के तहत 26 प्रतिशत तक का नया आयात शुल्क लागू किया है। इससे Apple को अपने मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क में बदलाव करना जरूरी हो गया है। ऐसे में भारत एक मजबूत और स्थिर विकल्प बनकर सामने आया है।

वर्तमान में चीन से आयात होने वाले प्रोडक्ट्स पर अमेरिका में 54 प्रतिशत तक का टैक्स लागू है, जबकि भारत से आने वाले प्रोडक्ट्स पर यह शुल्क केवल 26 प्रतिशत है। यह 28 प्रतिशत का अंतर Apple को भारत में उत्पादन बढ़ाने के लिए आकर्षित कर रहा है।

Apple की भारत में मौजूदा स्थिति

Apple पहले से ही भारत में iPhone और AirPods का उत्पादन कर रहा है। भारत से अमेरिका भेजे गए लगभग 9 अरब डॉलर के स्मार्टफोन एक्सपोर्ट्स में Apple की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। यदि अमेरिका अन्य देशों के लिए भी टैरिफ नीति को सख्त करता है, तो Apple को अपनी ग्लोबल उत्पादन रणनीति में और भी बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं।

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